चीन अपनी सैन्य ताकत को लगातार आधुनिक बना रहा है और अब वह सितंबर 2025 में बीजिंग की सैन्य परेड में HQ-29 मिसाइल डिफेंस सिस्टम को पहली बार दुनिया के सामने पेश करने की तैयारी में है। HQ-29, चीन के पहले से तैनात HQ-9 और HQ-22 सिस्टम का उन्नत संस्करण है। यह सिस्टम खासतौर पर बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल, ड्रोन और यहां तक कि सैटेलाइट्स को भी निशाना बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
इसकी सबसे बड़ी ताकत है इसका एडवांस्ड रडार और सेंसर सिस्टम, जो बेहद तेज़ गति से आने वाले खतरों को पहचानकर उन्हें इंटरसेप्ट कर सकता है। HQ-29 के लॉन्चर में दो बड़े मिसाइल कैनिस्टर लगे हैं, जिससे इसकी मारक क्षमता और ज्यादा बढ़ जाती है। चीन का दावा है कि यह सिस्टम अमेरिका के THAAD और रूस के S-400 जैसे हाई-एंड डिफेंस सिस्टम को चुनौती देने में सक्षम है।
भारत के लिए कितना बड़ा खतरा
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद और सैन्य प्रतिस्पर्धा किसी से छुपी नहीं है। HQ-29 की तैनाती से चीन की वायु रक्षा प्रणाली और मजबूत होगी, जिससे भारत की सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल जैसी रणनीतिक क्षमताओं की प्रभावशीलता पर असर पड़ सकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि HQ-29 वाकई उतना सक्षम है जितना दावा किया जा रहा है, तो भारत की मिसाइल स्ट्राइक रणनीति को नई चुनौती मिलेगी, खासकर सीमावर्ती इलाकों में।
चीन-पाकिस्तान सैन्य गठजोड़ को देखते हुए, HQ-29 का इस्तेमाल पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत के खिलाफ रणनीतिक बढ़त के लिए भी किया जा सकता है। हाल ही में पाकिस्तान द्वारा चीन से 40 J-35 फाइटर जेट्स खरीदने की खबरें भी भारत के लिए चिंता का विषय हैं।
क्षेत्रीय और वैश्विक सैन्य संतुलन पर असर
HQ-29 की तैनाती न सिर्फ भारत, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया और वैश्विक सैन्य संतुलन के लिए महत्वपूर्ण है। यह सिस्टम चीन को क्षेत्रीय प्रभुत्व और सुरक्षा में बढ़त दिला सकता है, जिससे अमेरिका और रूस जैसे देशों के डिफेंस सिस्टम को भी चुनौती मिलेगी। चीन की यह रणनीति पाकिस्तान जैसे सहयोगी देशों को भी प्रभावित कर सकती है, जिससे भारत को दो मोर्चों पर दबाव झेलना पड़ सकता है। HQ-29 के आने से दक्षिण एशिया में सैन्य दौड़ और तेज़ हो सकती है, जिससे क्षेत्र में अस्थिरता और प्रतिस्पर्धा बढ़ने की आशंका है।
भारत की जवाबी रणनीति और तैयारियां
भारत भी अपनी वायु रक्षा क्षमताओं को लगातार अपग्रेड कर रहा है। DRDO द्वारा विकसित QRSAM (Quick Reaction Surface to Air Missile) और हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (HGV) जैसी तकनीकें भारत को क्षेत्रीय खतरों से निपटने में सक्षम बना रही हैं। इसके अलावा, भारत के पास रूस से प्राप्त S-400 ट्रायम्फ डिफेंस सिस्टम भी है, जो 400 किमी तक की रेंज में दुश्मन के मिसाइलों और ड्रोन्स को नष्ट कर सकता है। इन सभी एडवांस्ड सिस्टम्स के चलते भारत की एयर डिफेंस क्षमता मजबूत बनी हुई है और वह चीन की नई चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है।
चीन का HQ-29 मिसाइल डिफेंस सिस्टम तकनीकी रूप से उन्नत और बहुआयामी है, जो भारत समेत पूरे क्षेत्र के लिए नई रणनीतिक चुनौती पेश करता है। हालांकि भारत भी अपनी रक्षा तैयारियों को लगातार मजबूत कर रहा है, लेकिन आने वाले समय में एशिया में मिसाइल और एयर डिफेंस की होड़ और तेज़ हो सकती है।