ख़बर है कि चीन सिलीगुड़ी से 12 किमी दूर बांग्लादेश के लालमोनिरहाट जिले के रंगपुर स्थान पर एयरबेस बना रहा है। यह जगह पश्चिम बंगाल के कूचबिहार से भी 72 किमी दूर है।
दरअसल, यहां पहले से ही एक जर्जर हवाई अड्डा था जिसे विश्व युद्ध-II के लिए बनवाया गया था। अब बांग्लादेश ने उसे लेकर चीन के साथ भागीदारी की है और चीन उसको अपने एयरबेस के रूप में विकसित कर रहा है, जहां वह रडार और तमाम अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों को तैनात करेगा।
चिकन नेक से केवल 135 किमी दूर
ध्यान दीजिए कि भारत का भौगोलिक रूप से सबसे कमज़ोर क्षेत्र जिसे “चिकन नेक” कहा जाता है, वहां से यह हवाई अड्डा 135 किमी दूर है।
चिकन नेक अर्थात मुर्गी की गर्दन के आकार का यही क्षेत्र भारत को उत्तर-पूर्वी राज्यों से मुख्य भूमि से जोड़ता है और भारत के लिए यह बेहद संवेदनशील है।
क्या पाकिस्तान भी शामिल है?
ऐसी भी ख़बरें हैं कि पाकिस्तान की एक प्रमुख कंपनी इस परियोजना में चीन के साथ शामिल होकर यहां एयरबेस बनाने पर काम कर रही है।
दरअसल, यह सब क्यों हो रहा है, यह इससे समझिए कि भारतीय सेना का त्रिशक्ति कोर सिलीगुड़ी के सुकना में तैनात है, और यहीं हाशिमारा हवाई अड्डे पर राफेल लड़ाकू विमानों की तैनाती है।
भारत की तरफ़ से यह सैन्य एयरबेस चिकन नेक और पूर्वोत्तर राज्यों की सुरक्षा के लिए बनाया गया था, जहां से 12 किमी दूर अब चीन का एयरबेस तैयार किया जा रहा है।
आपको ख़तरा महसूस नहीं हो रहा है? दिल से सांप्रदायिक ज़हर निकालकर देखें तो स्पष्ट ख़तरा महसूस होगा क्योंकि चीन का यह एयरबेस भारतीय सीमा के सबसे करीब होगा, जहां से वह भारत के विरुद्ध सैन्य उद्देश्यों, भारतीय सीमा के अंदर की निगरानी या खुफिया जानकारी एकत्र करने का कार्य करेगा।
चीन-पाकिस्तान का सैन्य गठजोड़
अगर आपको लगता है कि पाकिस्तान ने पहलगाम आतंकवादी हमला चीन की जानकारी के बिना किया होगा तो आप “पोगो” देखिए। चारों आतंकवादी अत्याधुनिक तकनीक से लैस थे, हाथों में अत्याधुनिक प्रतिबंधित अमेरिकी एम4 राइफल का प्रयोग किया, बॉडी कैमरे से अपने किए कायराना कृत्य की शूटिंग करते रहे, उसे रिकॉर्ड करने के बाद या तो इंटरनेट के माध्यम से अपने आकाओं को भेजते रहे या किसी डिवाइस में सेव कर लिया, और अभी तक उनका पता नहीं कि ज़मीन खा गई या आसमान।
क्या आपको लगता है कि यह सब उन्होंने अकेले कर लिया होगा? असंभव। क्या पाकिस्तान ने इसे चीन को बिना बताए किया होगा? असंभव।
क्योंकि तर्क है कि पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद भारतीय सेना की बालाकोट कार्रवाई के कारण पाकिस्तान ने इस बार चीन को अवश्य विश्वास में लिया होगा।
दरअसल, सैन्य अभियान और उसकी रणनीति बनाने का कार्य बेहद गोपनीय होता है। गोपनीयता तो इतनी होती है कि अब 7 साल बाद खबरें आ रही हैं कि 2018 में ही चीन ने अपने सभी 46 सैटेलाइट्स का एक्सेस मिलिट्री ऑपरेशन के लिए पाकिस्तान को दे रखा है और पाकिस्तान के सभी लड़ाकू विमान J-10 और JF-17 इसी सैटेलाइट के डाटा लिंक के ज़रिए काम करते हैं।
एक ख़बर यह भी है कि पुलवामा-बालाकोट के बाद चीन और पाकिस्तान ने मिलकर एक सैन्य समझौता “शाहीन सीरीज़ ऑफ एयरफोर्स एक्सरसाइज” किया, जिसके तहत वे मिलकर युद्ध अभ्यास करते हैं और उनका मुख्य लक्ष्य भारत से संभावित युद्ध होता है।
चारों दिशाओं से घिरता भारत
कहने का अर्थ यह है कि चीन 2017 में ही श्रीलंका में हंबनटोटा बंदरगाह प्राप्त करके भारत के दक्षिण में बैठ गया, भारत के उत्तर में वह पहले से ही मौजूद है और लद्दाख, सियाचिन कब्जा करके बैठा है। और अब बांग्लादेश में एयरबेस बनाकर वह भारत की उत्तर-पूर्वी सीमा पर भी आ जाएगा।
अब बचा गोबर पट्टी क्षेत्र, तो बहुत जल्दी ही इसकी ख़बर आएगी कि चीन गोरखपुर से 90 किमी और नौतनवा के भारत-नेपाल सीमा से 5 किमी दूर स्थित भैरहवा और रक्सौल से 23 किमी दूर वीरगंज एयरपोर्ट को अपने नियंत्रण में लेकर कभी भी इन्हें अपना एयरबेस बना सकता है और भारत के चारों दिशाओं में आकर बैठ सकता है।
ध्यान दीजिए कि ये नेपाल के सबसे बड़े और आधुनिक हवाई अड्डे हैं और नेपाल इन्हें बनाने के लिए चीन से लिए गए कर्ज़ को चुका नहीं पा रहा है और अनुबंध के अनुसार अंततः ये चीन के नियंत्रण में जा सकते हैं।
सैन्य गोपनीयता बनाम राजनीतिक प्रचार
बस इंतज़ार करिए… सैन्य अभियान और उससे जुड़ी गतिविधियां बेहद गोपनीय होती हैं। चीन की गतिविधियों से इसे समझिए। मगर अपने वाले को इससे क्या? उसे तो हेडलाइन में बने रहने की सनक है। इसीलिए 4 दिन मीडिया में यह ब्रेकिंग हेडलाइन चलीं कि इस सेनाध्यक्ष की प्रधानमंत्री से मुलाकात, उस सेनाध्यक्ष की प्रधानमंत्री से मुलाकात, तीनों सेनाध्यक्ष की प्रधानमंत्री से मुलाकात, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना को खुली छूट दी।
6 दिन देशी-विदेशी मीडिया में इसे लेकर प्रधानमंत्री का चेहरा दिखता रहा। नरेंद्र मोदी को बस यही चाहिए, सैन्य अभियान की गोपनीयता गई भाड़ में।
क्या इन ख़बरों से दुश्मन अलर्ट नहीं होगा? क्या वह समझेगा कि किसी देश के इतने महत्वपूर्ण लोग गप्पेबाज़ी करने बैठे हैं? नहीं, वह अलर्ट मोड में आ गया होगा, उसने अपने अनुमानित ठिकानों को खाली करा लिया होगा, उसके रडार और सैटेलाइट सक्रिय हो गए होंगे… बाकी आप खुद समझदार हैं…
जब चीन रणनीति बुनता है, हम जुमलों में उलझे रहते हैं
इस आदमी को कभी आपने लपक-लपक कर किसी से मिलते देखा है? हर जगह फोटो खिंचवाने के लिए मौजूद रहते देखा है? हर विषय पर तुक्केबाज़ी और जुमले सेट करते देखा है?
उसका सारा दिमाग अमेरिका से लड़ने और भारत को घेरने में लगा रहता है। और हम? कब्रिस्तान-श्मशान, बेटी छीन लेंगे, रोटी छीन लेंगे, मंगलसूत्र छीन लेंगे, इन्हीं सब बातों में उलझकर नगर पालिका से लेकर देश का चुनाव जीतने में लगे हैं।
देश घिर रहा है, उससे कोई मतलब नहीं…