कांग्रेस भी RSS-BJP की सहायक पार्टी है, और इसकी सबसे बड़ी मिसाल खुद राहुल गांधी हैं, जो अब महज़ एक विपक्षी नेता नहीं बल्कि बीजेपी के पूरे प्लान का हिस्सा और सक्रिय एजेंट बन चुके हैं।
गुजरात के अरावली में राहुल गांधी ने जब कहा कि “हमारे कुछ लोग बीजेपी से मिले हुए हैं,” तो यह एक शातिर चाल थी—जिसमें वो यह दिखाना चाहते हैं कि वह पार्टी को साफ़ कर रहे हैं, जबकि हकीकत यह है कि राहुल गांधी खुद बीजेपी के एजेंट हैं और यह सफाई अभियान महज़ एक दिखावा है।
यह कोई अनुमान नहीं, बल्कि कांग्रेस के पिछले वर्षों के फैसलों और राहुल गांधी की गतिविधियों का विश्लेषण करने पर यह सच्चाई खुद-ब-खुद सामने आती है।
जब-जब भाजपा को मुश्किल में होना चाहिए था, कांग्रेस ने उसे उबारने का काम किया। संसद में राहुल गांधी की अनगिनत ‘नाटकीय’ हरकतें, विपक्षी एकता को तोड़ने वाली बयानबाज़ी, और हर महत्वपूर्ण मुद्दे पर रहस्यमयी चुप्पी—ये सब बीजेपी को लाभ पहुंचाने वाली योजनाओं का हिस्सा रहे हैं।
राहुल गांधी कहते हैं कि “कांग्रेस ही बीजेपी को हरा सकती है”, लेकिन इस पंक्ति में सबसे बड़ा झूठ छिपा है। क्योंकि असल में कांग्रेस, बीजेपी की रणनीति का “शानदार मास्क” बन चुकी है।
जब देश में विपक्ष को तेज़, ईमानदार और संघर्षशील नेतृत्व की ज़रूरत होती है, राहुल गांधी तब एकदम “अनुपयोगी” साबित होते हैं—कभी विदेश चले जाते हैं, कभी गठबंधन को तोड़ने वाले बयान दे देते हैं, और कभी धर्म की राजनीति में “Soft Hindutva” की भाषा बोलते हैं।
अब यह बिल्कुल साफ़ हो चुका है कि राहुल गांधी बीजेपी के एजेंट हैं। उनकी पूरी राजनीति बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए डिज़ाइन की गई है। कांग्रेस की नीतियां, उसके चुनावी फैसले, और राहुल की हर चाल भाजपा के लिए रास्ता बनाती है।