नई दिल्ली: भारत ने आखिरकार विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित Doctor-Patient अनुपात 1:1000 के लक्ष्य को हासिल कर लिया है। Edufever की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई 2024 तक भारत में 13.86 लाख एलोपैथिक डॉक्टर राज्य चिकित्सा परिषदों और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के साथ पंजीकृत हो चुके हैं।
स्वास्थ्य राज्यमंत्री द्वारा संसद में साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक, यदि 80% डॉक्टरों की उपलब्धता को ध्यान में रखा जाए और 5.65 लाख आयुष डॉक्टरों को भी जोड़ लिया जाए, तो भारत का डॉक्टर-पेशेंट अनुपात लगभग 1:836 है, जो WHO के 1:1000 मानक से बेहतर है। यहां तक कि यदि केवल एलोपैथिक डॉक्टरों को ही गिना जाए, तब भी अनुपात 1:1000 बना रहता है।
दक्षिण भारत की बड़ी उपलब्धि
रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और केरल जैसे दक्षिणी राज्य डॉक्टर-पेशेंट अनुपात में सबसे आगे हैं। गोवा ने देश में सबसे बेहतर अनुपात (1:353) दर्ज किया है। अन्य राज्यों का आंकड़ा इस प्रकार है:
- कर्नाटक – 1:457
- आंध्र प्रदेश – 1:488
- तमिलनाडु – 1:495
- केरल – 1:509
- तेलंगाना – 1:1452
हालांकि तेलंगाना का आंकड़ा अन्य दक्षिणी राज्यों की तुलना में कमजोर है, लेकिन अधिकांश डॉक्टर अभी भी आंध्र प्रदेश चिकित्सा परिषद में पंजीकृत हैं, जिससे वास्तविक अनुपात बेहतर हो सकता है।
उत्तर भारत और ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति चिंताजनक
उत्तर प्रदेश, जो देश का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है, वहां डॉक्टर-पेशेंट अनुपात 1:2363 है, जो कि सबसे कमजोर है। मिज़ोरम में केवल 156 पंजीकृत डॉक्टर हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में अब भी ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों, खासकर विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी है।
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य केंद्रों पर जरूरी उपकरण, दवाइयों की कमी और बुनियादी सुविधाओं का अभाव भी एक बड़ी समस्या है। इसके अलावा, डॉक्टरों का शहरी क्षेत्रों में अधिक रहने की प्रवृत्ति भी ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित करती है।
सरकार की कोशिशें और चुनौतियां
रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने अब तक 731 मेडिकल कॉलेजों में 1.12 लाख MBBS सीटें प्रदान की हैं। इसके अतिरिक्त, 157 नए मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 109 पहले ही शुरू हो चुके हैं।
फिर भी, विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी, संसाधनों की असमान उपलब्धता, और भ्रष्टाचार जैसी समस्याएं अभी भी देश के स्वास्थ्य ढांचे को चुनौती देती हैं।
Edufever की इस रिपोर्ट ने भारत के हेल्थकेयर सिस्टम की मजबूती और उसकी खामियों, दोनों को रेखांकित किया है। बेहतर नीति, डॉक्टरों का समान वितरण और ग्रामीण स्वास्थ्य ढांचे को मज़बूत करने की दिशा में ठोस कदम उठाना अब जरूरी है।
स्रोत: Edufever.com