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गैर पंजीकृत संगठन की बाढ़: न पंजीकरण, न जिम्मेदारी, फिर भी सत्ता का संरक्षण क्यों?

भारत में गैर पंजीकृत हिंदुत्व संगठनों की बाढ़ आई है, जो बिना कानूनी जवाबदेही के काम कर रहे हैं। ये संगठन अक्सर उग्रता फैलाकर सामाजिक अस्थिरता बढ़ा रहे हैं।

संघ की छतरी तले काम कर रहे सैकड़ों हिंदुत्ववादी संगठन अब बेलगाम हो चुके हैं। एक वक्त था जब सिर्फ विश्व हिंदू परिषद और उससे जुड़ा बजरंग दल चर्चा में रहते थे, लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं कि ये दोनों भी बाकी के मुकाबले शांत नजर आने लगे हैं।

सत्ता के संरक्षण में हर दिन कोई ना कोई संगठन सामने आ रहा है, और अब तक लाखों ऐसे संगठन पैदा हो चुकें हैं। कहीं राम रक्षा दल, सनातन संस्था, गो रक्षा दल, हिंदू युवा वाहिनी, धर्म रक्षा दल, अभिनव भारत, इनमें तमाम संगठन तो हथियार बंद संगठन भी हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में हिंदू संगठनों की सूची में मात्र 66 से कुछ अधिक संगठन पंजीकृत हैं, ओर धार्मिक, और राष्ट्रवादी गतिविधियों में सक्रिय हैं।

इसके अलावा, कई छोटे-बड़े संगठन, जैसे गौ रक्षा दल, हिंदू जनजागृति समिति, और स्थानीय अखाड़ा परिषद, भी हिंदू नाम से कार्य करते हैं।

इनमें मंदिर संगठन, सामाजिक संगठन, और शैक्षिक संस्थान शामिल हैं। एक अनुमान के मुताबिक, देश में हजारों छोटे-बड़े संगठन “हिंदू” नाम से देश में काम कर रहे हैं, लेकिन कोई आधिकारिक गणना उपलब्ध नहीं है। मगर कस्बे कस्बे, शहर शहर आपको कोई ना कोई “हिंदुत्ववादी” संगठन ज़रूर मिल जाएंगे।

भारत में संगठन या संस्था बनाने की एक कानूनी प्रक्रिया है, भारत में किसी संगठन के पंजीकरण के लिए सोसाइटी, ट्रस्ट, कंपनी, सेक्शन 8 के तहत गैर-लाभकारी संगठन, सहकारी समिति के अतिरिक्त राजनीतिक संगठन के पंजीकरण की पूरी एक कानूनी प्रक्रिया है।

मगर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अपंजीकृत चरित्र की तरह देश में लाखों ऐसे संगठन अपंजीकृत रूप से केवल लेटर पैड, पोस्टर और बैनर बनवा कर खुद को अध्यक्ष महामंत्री बना कर काम कर रहे हैं, फिर कह रहा हूं कि इनमें ज्यादातर तो हथियार बंद संगठन हैं।

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इनका कहां पंजीकरण हुआ है , यह उस पंजीकरण के नियमों का पालन कर रहें हैं कि नहीं इसका ना कोई परिक्षण है ना अवलोकन।

दरअसल ऐसे संगठनों के निर्माण की शुरुआत दशहरे की रामलीला कमेटी और दुर्गा पूजा कमेटी से होती है जहां इसके माध्यम से मुहल्ले के नेता पैदा होते हैं, फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उन्हें उस मुहल्ले की वोटर लिस्ट पकड़ाता है और फिर गली गली के वोटर लिस्ट के पन्ने का संघ “पन्ना प्रमुख” बनाता है।

इस तरह, एक पन्ने पर यदि 25-30 वोटर हैं तो संघ उनके‌ वोट को दिलवाने और फिर अगले 5 साल तक उनकी देखभाल और कोई काम हो तो उसे कराने के लिए “पन्ना प्रमुख” नियुक्त करता है।

इनमें से ही तमाम लोग आगे चलकर लेटर पैड छपवाते हैं “हिंदू” जैसा कुछ नाम रखते हैं, अपने साथ 10-15 लोगों को इकट्ठा करते हैं और फिर यह लोग अपने क्षेत्र के “हिन्दू हृदय सम्राट” बन जाते हैं।

यही हिन्दू हृदय सम्राट कहीं किसी मजदूर मुसलमान, कहीं रेहड़ी पटरी वाले मुसलमान को पकड़ कर पीटते हैं, उससे जयश्री राम का नारा लगवाते हैं और अपने हिंदुत्व की पताका लहराते हैं।

मज़ेदार बात यह है कि यह सब गैरकानूनी काम झुंड में करते हैं, किसी गरीब मुसलमान के साथ करते हैं, ना यह अकेले कुछ कर पाते हैं ना किसी मज़बूत मुसलमान के साथ इनकी ऐसा करने की हिम्मत है।

हैरानी की बात यह है कि ऐसे एक पन्ने पर बने संगठनों के बारे में पुलिस प्रशासन सबको पता होता है मगर इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती।

दूसरे को तो छोड़िए, खुद कांग्रेस की सरकारें कुछ नहीं करतीं, ममता बनर्जी, पिनराईल विजयन और स्टैलिन जैसी सरकारें भी कुछ नहीं करतीं। यद्यपि यह भी सच है कि वहां ऐसी सरकारों में यह बिल में चले जाते हैं।

विरोधी पार्टियों को समझना होगा कि सबसे पहले इन संगठनों को या तो बंद करना होगा या इनकी ज़िम्मेदारी तय करके इन्हें पंजिकरण के लिए बाध्य किया जाएगा, और संबंधित पंजीकरण के दिशा निर्देश के अनुसार ही काम कराना होगा।

यह अपने आप समाप्त हो जाएंगे, नहीं तो यह ऐसे ही संगठन बनाकर देश में अशांति और अव्यवस्था फैलाते रहेंगे और अपने कृत्य का संरक्षण करने वाली पार्टी को फिर यह अपने मुहल्ले अपनी गली के 100% वोट डलवाते रहेंगे। यही मौजूदा सत्ताधारी दल की सफलता का मूलमंत्र है।

आज जिस तरह पुलवामा, ऊरी, पठानकोट, पहलगाम जैसे बड़े हमलों के बाद भी कोई राजनीतिक असर नहीं दिखता, वो इसी व्यवस्था की ताकत को दिखाता है, जहां सहिष्णुता की जगह अब उग्रता ने ले ली है।

आगे और वीभत्स भविष्य है।

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अनिल यादव एक वरिष्ठ पत्रकार हैं जो Anil Yadav Ayodhya के नाम से जाने जाते हैं। अनिल यादव की कलम सच्चाई की गहराई और साहस की ऊंचाई को छूती है। सामाजिक न्याय, राजनीति और ज्वलंत मुद्दों पर पैनी नज़र रखने वाले अनिल की रिपोर्टिंग हर खबर को जीवंत कर देती है। उनके लेख पढ़ने के लिए लगातार OBC Awaaz से जुड़े रहें, और ताज़ा अपडेट के लिए उन्हें एक्स (ट्विटर) पर भी फॉलो करें।

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