लगातार हो रही मूसलाधार बारिश और भयानक भूस्खलन ने सिक्किम की सुरम्य वादियों को विध्वंस के मंजर में तब्दील कर दिया है। राज्य के उत्तरी हिस्से, विशेषकर लाचुंग और चुंगथांग क्षेत्र, सबसे ज्यादा प्रभावित हैं जहाँ पर्यटकों की भारी संख्या फंस गई है। अब तक राहत और बचाव दलों ने 1,678 पर्यटकों को सफलतापूर्वक निकाला है, जो एक जटिल अभियान का हिस्सा रहा। हालाँकि, लाचेन क्षेत्र में अभी भी 100 से अधिक लोग फंसे हुए हैं, जिन तक पहुँचने के प्रयास लगातार जारी हैं। मौसम की प्रतिकूलता और दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियाँ इस कार्य को और कठिन बना रही हैं।
चटेन इलाके में आए भीषण भूस्खलन ने तो पूरे क्षेत्र को तबाही की ओर धकेल दिया। इस घटना में मलबे में दबे तीन व्यक्तियों के शव बरामद किए गए हैं, जो इस आपदा की भयावहता को दर्शाता है। सैन्य टुकड़ियों के लिए यह आपदा विशेष रूप से कष्टदायी रही। भूस्खलन के शिकार होकर तीन जवानों ने अपने प्राण गँवाए हैं और छह अन्य लापता हैं, जिनकी तलाश के प्रयास पूरी ताकत से चल रहे हैं। तीस्ता और रंगीत जैसी नदियों ने कई स्थानों पर तटबंध तोड़ दिए हैं, जिससे आसपास के गाँव पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं। सड़कों और पुलों के क्षतिग्रस्त होने से राहत सामग्री पहुँचाने में भी गंभीर बाधाएँ उत्पन्न हो गई हैं।
असम: ब्रह्मपुत्र का उफान, 5.5 लाख से अधिक लोग विस्थापित
असम में बारिश का कहर किसी भी अन्य राज्य से कम नहीं है। ब्रह्मपुत्र नदी समेत कई अन्य नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से काफी ऊपर पहुँच गया है, जिससे राज्य के 22 जिलों के 1,254 गाँवों में भयानक बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस आपदा ने 5.35 लाख से अधिक नागरिकों के जीवन को प्रभावित किया है। मानवीय त्रासदी के रूप में अब तक 11 लोगों की जान जाने की पुष्टि हो चुकी है। श्रीभूमि जिला सर्वाधिक प्रभावित है, जहाँ लगभग 1.94 लाख लोग बाढ़ की चपेट में हैं। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने के लिए राज्य प्रशासन द्वारा तत्काल प्रभाव से 165 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जहाँ 31,212 लोगों को अस्थायी आश्रय दिया गया है।
नागाओं जिले में कोपिली नदी का प्रकोप विशेष रूप से विकराल रहा है। कामपुर इलाका पूरी तरह जलमग्न हो गया है, जिससे हजारों परिवार अपने घर-बार छोड़कर भागने को मजबूर हैं। जीविका का संकट गहराता जा रहा है क्योंकि खेतों और फसलों को भारी नुकसान पहुँचा है। राज्य सरकार ने पूरी तरह ध्वस्त हुए घरों के लिए 1.25 लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की है, लेकिन कृषि भूमि को हुए नुकसान का आकलन अभी जारी है, जो एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।
मणिपुर: 48 घंटे की अविरल वर्षा, नदियाँ बनी विनाश का सबब
मणिपुर में पिछले 48 घंटों से लगातार जारी मूसलाधार बारिश ने पूरे राज्य को ठहराव की स्थिति में ला दिया है। राज्य की प्रमुख नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुँच गया है, जिसके परिणामस्वरूप व्यापक बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएँ हुई हैं। इससे अब तक 3,800 से अधिक नागरिक प्रभावित हुए हैं। इंफाल पूर्व और थंबलखोंग जैसे क्षेत्रों में स्थिति विशेष रूप से गंभीर है, जहाँ बाढ़ के पानी ने 883 घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया है। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने का कार्य पुलिस और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की टीमें नावों के माध्यम से कर रही हैं।
खुरई और चेकोन इलाकों में उफनती नदियों ने तटबंधों को तोड़कर शहरी क्षेत्रों के विस्तृत हिस्सों को जलमग्न कर दिया है। फिडांग ब्रिज के निकट तीस्ता नदी का बढ़ता जलस्तर एक डरावना दृश्य प्रस्तुत कर रहा है। जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। आवागमन के साधन ठप पड़े हैं, बाजार बंद हैं, और आवश्यक सेवाएँ बाधित हैं। स्थानीय प्रशासन का मुख्य ध्यान जीवनरक्षा और आवश्यक राहत सामग्री के वितरण पर केंद्रित है, लेकिन पानी की गति और निरंतर बारिश के कारण यह कार्य बेहद चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।
केंद्र सरकार एवं प्रशासनिक प्रतिक्रिया
इस गंभीर संकट की घड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीधे हस्तक्षेप करते हुए असम, मणिपुर और सिक्किम के मुख्यमंत्रियों, हिमंत बिस्वा शर्मा, एन. बीरेन सिंह और प्रेम सिंह तमांग से फोन पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने प्रत्येक राज्य की स्थिति की जानकारी ली और केंद्र सरकार की ओर से हरसंभव सहायता का पूर्ण आश्वासन दिया। यह आश्वासन सैन्य बलों, एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) और वित्तीय संसाधनों के त्वरित समन्वय के रूप में सामने आया है।
सेना, वायु सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें पूरे समन्वय के साथ राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं। सिक्किम जैसे दुर्गम इलाकों में हेलिकॉप्टरों का सहारा लेकर फंसे लोगों को निकाला जा रहा है। असम और मणिपुर में एनडीआरएफ की 12 से अधिक विशेषज्ञ टीमें नावों और आवश्यक उपकरणों के साथ प्रभावित क्षेत्रों में तैनात हैं। सिक्किम में पर्यटकों को निकालने का अभियान एक बड़ी सफलता रही है, जहाँ 1,678 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। हालाँकि, खराब मौसम, धुंध, और टूटी हुई सड़कों व पुलों के कारण राहत कार्यों में गंभीर बाधाएँ आ रही हैं। राहत शिविरों में भोजन, पेयजल, दवाइयों और स्वच्छता सामग्री की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करना एक निरंतर चुनौती बनी हुई है।