बिहार में सत्तारूढ़ जेडीयू ने एक बार फिर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ अपनी असल मंशा को उजागर किया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी द्वारा वक्फ विधेयक का समर्थन किए जाने के बाद तीन प्रमुख मुस्लिम नेताओं के इस्तीफे से पार्टी की मुस्लिम विरोधी नीति पूरी तरह स्पष्ट हो गई है। कासिम अंसारी, शाहनवाज मलिक और तबरेज सिद्दीकी जैसे नेताओं ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया। इन इस्तीफों के बाद जेडीयू ने यह सफाई दी कि इन नेताओं का पार्टी से कोई संबंध नहीं था और न ही इनका पार्टी की गतिविधियों से कोई संबंध था।
यह घटनाक्रम जेडीयू की असल नीति को उजागर करता है, जिसमें मुस्लिम समाज के विश्वास के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। नीतीश कुमार ने वक्फ विधेयक का समर्थन करके यह संदेश दिया है कि वह मुस्लिम समुदाय के अधिकारों को कुचलने के पक्षधर हैं, जबकि वे खुद को उनके संरक्षक के रूप में पेश करते रहे हैं।
जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन का यह कहना कि वक्फ विधेयक गरीब और पसमांदा मुसलमानों के लिए एक “उम्मीद की किरण” है, दरअसल एक छलावा है। यह विधेयक न केवल मुस्लिम समुदाय के विश्वास को तोड़ने का प्रयास है, बल्कि उनके धार्मिक और सामाजिक संस्थानों को कमजोर करने की एक साजिश भी है।
नीतीश कुमार और जेडीयू ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह वक्फ विधेयक को लेकर भ्रांतियां फैला रहे हैं, लेकिन असल में यह विधेयक वक्फ बोर्ड जैसी संस्थाओं की पारदर्शिता और निष्पक्षता के बजाय उन्हें लूट का अड्डा बनाने का एक और तरीका है। इस तरह से जेडीयू का मुस्लिम समाज के प्रति गद्दारी का चेहरा अब पूरी तरह से उजागर हो चुका है।