नोबेल पुरस्कार के लिए नामित ग्रेटा थनबर्ग याद है? वही 22 साल की लड़की, जो किसान आंदोलन के समर्थन के कारण देश में दक्षिणपंथियों की गालियों का शिकार हो चुकी है।
वही ग्रेटा थनबर्ग आज उन 850 करोड़ लोगों पर भारी है, जिनकी मानवता मर चुकी है। अगर ये मुर्दा लोग 22 साल की, पर्यावरण संरक्षण में नोबेल नामित ग्रेटा से प्रेरणा ले सकें, तो ठीक है; नहीं तो चुल्लू भर पानी में डूब मरें।
गाज़ा में भुखमरी और बेकसूर आम नागरिकों पर ज़ुल्म से व्यथित यह स्वीडिश लड़की एक छोटी सी मेडलीन जहाज़ में राहत सामग्री लेकर समुद्री रास्ते से 1 जून 2025 को इटली के सिसिली द्वीप के कटानिया बंदरगाह से 1,878 किलोमीटर दूर गाज़ा के लिए रवाना हुई।
इस जहाज़ में शिशु आहार, आटा, चावल, डायपर्स, महिलाओं के लिए सैनिटरी प्रोडक्ट्स, पानी शुद्धिकरण किट, चिकित्सा उपकरण, बैसाखी और बच्चों के लिए कृत्रिम अंग थे।
कल रात तक यह जहाज़ गाज़ा से 144 किमी दूर था। ज़ालिम इज़राइली हुकूमत ने इस जहाज़ के गाज़ा में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया।
इज़रायल के रक्षा मंत्री ने रविवार, 08 जून 2025 को ग्रेटा थनबर्ग और ग्यारह अन्य एक्टिविस्ट्स को ले जा रहे मानवीय सहायता जहाज़ को गाज़ा में पहुंचने से रोकने का आदेश दिया। इज़रायली डिफेंस फोर्स (IDF) ने पहले ही चेतावनी दी थी कि वह इस जहाज़ को गाज़ा तक नहीं पहुंचने देगा।
आज सोमवार तड़के सुबह, स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता और नोबेल पीस प्राइज़ के लिए नामांकित ग्रेटा थनबर्ग और उनके जहाज़ को इज़राइली नौसैनिकों से भरी पांच स्पीड बोट्स ने घेर लिया और कब्जे में ले लिया। इसके बाद सैनिक जहाज़ पर चढ़े और उसे पूरी तरह अपने नियंत्रण में ले लिया।ग्रेटा थनबर्ग और उनके साथियों ने वीडियो जारी कर आरोप लगाया है कि इज़रायली सैनिकों ने उन्हें इंटरनेशनल वाटर्स (अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र) में अपहरण कर लिया है।
इस छोटी सी बच्ची के साहस को सलाम।
उसने 850 करोड़ लोगों के मुंह पर थूक दिया…