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हज यात्रा में बड़ा बदलाव: 12 साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं मिलेगा वीजा

हज यात्रा में बड़ा बदलाव: अब 12 साल से कम उम्र के बच्चों को वीजा नहीं मिलेगा, सऊदी अरब ने 291 आवेदन किए निरस्त, उत्तर प्रदेश के 18 बच्चे भी शामिल।

हज यात्रा में बड़ा बदलाव सामने आया है, जिससे कई परिवारों की उम्मीदों और योजनाओं पर असर पड़ा है। सऊदी अरब सरकार ने घोषणा की है कि हज 2025 के लिए 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों को वीजा जारी नहीं किया जाएगा। इस निर्णय के चलते देशभर से प्राप्त 291 बच्चों के आवेदन रद्द कर दिए गए हैं। अकेले उत्तर प्रदेश के 18 बच्चे इस नई नीति से प्रभावित हुए हैं, जिनका इस वर्ष हज पर जाना अब संभव नहीं है।

राज्य हज कमेटी के सचिव एसपी तिवारी के अनुसार, हज कमेटी ऑफ इंडिया, मुंबई द्वारा जारी एक सर्कुलर में यह स्पष्ट किया गया है कि सऊदी सरकार ने इस वर्ष छोटे बच्चों के लिए वीजा जारी न करने का निर्णय लिया है। परिणामस्वरूप, उन कवर नंबरों में शामिल अन्य यात्री हज यात्रा पर जा सकेंगे, लेकिन संबंधित बच्चों के नाम सूची से हटा दिए जाएंगे।

उत्तर प्रदेश से इस वर्ष 13748 आज़मीन को हज यात्रा पर रवाना किया जाना है। इनमें कुछ ऐसे कवर नंबर भी थे जिनमें हज की ख्वाहिश रखने वाले बच्चों को शामिल किया गया था। अब उन यात्रियों के पास यह विकल्प है कि वे या तो बच्चों के बिना यात्रा करें, या फिर 14 अप्रैल तक अपनी यात्रा ऑनलाइन या हज सुविधा ऐप के माध्यम से निरस्त करा दें।

एसपी तिवारी ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि कोई यात्री 14 अप्रैल तक यात्रा निरस्त करता है, और वह निर्णय बच्चे के कारण लिया गया है, तो उसे किसी प्रकार का रद्दीकरण शुल्क नहीं देना होगा। निर्धारित तिथि के बाद की गई रद्दीकरण प्रक्रिया पर नियमानुसार शुल्क की कटौती की जाएगी। यह सुविधा केवल उन्हीं यात्रियों को दी जाएगी जो बच्चों के वीजा अस्वीकृत होने के कारण यात्रा रद्द कर रहे हैं।

हालाँकि, इस निर्णय के पीछे सऊदी सरकार की ओर से कोई औपचारिक कारण अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। लेकिन यह माना जा रहा है कि यह कदम भीड़ नियंत्रण, सुरक्षा व्यवस्था और बेहतर प्रबंधन के उद्देश्य से उठाया गया है। यह संकेत भी मिलते हैं कि भविष्य में हज यात्रा से जुड़ी नीतियाँ और अधिक कठोर हो सकती हैं।

यह बदलाव उन माता-पिता और परिवारों के लिए विशेष रूप से संवेदनशील है, जो अपने नन्हें बच्चों के साथ हज की ख्वाहिश रखते थे। अब उन्हें या तो बिना बच्चों के हज यात्रा करनी होगी, या अगली बार तक प्रतीक्षा करनी होगी। धार्मिक भावना, पारिवारिक योजना और प्रशासनिक निर्णयों के बीच संतुलन बनाना आसान नहीं होता, और यही वह जगह है जहाँ संवेदनशीलता और समझदारी की सबसे अधिक आवश्यकता होती है।

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