हरियाणा की मशहूर यूट्यूबर और ट्रैवल व्लॉगर ज्योति मल्होत्रा पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का गंभीर आरोप लगा है। उन्हें 16 मई को गिरफ्तार किया गया और 5 दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। अब यह मामला सिर्फ एक गिरफ्तारी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसने सोशल मीडिया influencers की भूमिका और जिम्मेदारी को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है।
कौन हैं ज्योति मल्होत्रा?
ज्योति मल्होत्रा ‘Travel with JO’ नाम से यूट्यूब चैनल चलाती हैं, जिसके 3.77 लाख से ज़्यादा सब्सक्राइबर हैं। उनके इंस्टाग्राम अकाउंट पर भी 1.33 लाख से ज़्यादा फॉलोअर्स हैं। वह ट्रैवल कंटेंट क्रिएटर हैं और पाकिस्तान के कई वीडियो भी अपने चैनल पर डाल चुकी हैं।
पुलिस के अनुसार, ज्योति ने तीन बार पाकिस्तान का दौरा किया और पाकिस्तान हाई कमीशन के एक अधिकारी से भी संपर्क में थीं। आरोप है कि उन्होंने उस अधिकारी को भारत से जुड़ी संवेदनशील जानकारी दी, जिसे गंभीर जासूसी माना जा रहा है।
क्या हैं आरोप?
दिल्ली पुलिस ने बताया कि ज्योति ने एक पाकिस्तानी अधिकारी को कुछ अहम जानकारियां दीं। उस अधिकारी को भारत सरकार ने 13 मई को देश से बाहर निकाल दिया था। जांच में यह भी सामने आया है कि ज्योति को सोशल मीडिया पर पाकिस्तान की सकारात्मक छवि दिखाने का जिम्मा सौंपा गया था।
इस केस के बाद उनकी फाइनेंशियल डिटेल्स की भी जांच की जा रही है। पता लगाया जा रहा है कि उन्हें इस काम के बदले कितनी रकम मिली और वो पैसे कहां से आए।
क्या बोले सांसद?
हरियाणा से BJP सांसद किरण चौधरी ने इस मसले पर नाराज़गी जाहिर की है। उन्होंने बात करते हुए कहा,
“सरकार को एक ऐसा सिस्टम बनाना चाहिए जिससे यह पता चलता रहे कि यूट्यूबर्स क्या कर रहे हैं। यह सिर्फ ज्योति का मामला नहीं है, यह देश की सुरक्षा का मुद्दा है। मैं इस विषय को संसद में ज़रूर उठाऊंगी।”
उन्होंने आगे कहा कि कई यूट्यूबर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर रहे हैं और उन्हें भी जवाबदेह ठहराना ज़रूरी है।
दिल्ली से भी आई मांग
दिल्ली के सांसद और व्यापारी नेता प्रवीण खंडेलवाल ने भी सोशल मीडिया influencers की जवाबदेही तय करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जब किसी का प्रभाव लाखों लोगों पर पड़ता है, तो सरकार को उसकी गतिविधियों पर नज़र रखनी चाहिए।
सरकार क्या करने जा रही है?
सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार सोशल मीडिया influencers के लिए आचार संहिता (Code of Conduct) लाने पर विचार कर रही है। यह गाइडलाइंस सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा तैयार की जाएंगी। इसके तहत कंटेंट क्रिएटर्स को अपने वीडियो को ‘रेटिंग’ देनी पड़ सकती है, जिससे यह स्पष्ट हो कि कंटेंट बच्चों के लिए है या नहीं, या कोई संवेदनशील जानकारी तो नहीं है।
सवाल जो उठ रहे हैं:
- क्या हर यूट्यूबर की गतिविधियों पर सरकार को निगरानी रखनी चाहिए?
- क्या सोशल मीडिया की आज़ादी को अब नई सीमाएं मिलेंगी?
- क्या influencers की जवाबदेही तय करने का वक्त आ गया है?
इस पूरे मामले ने डिजिटल मीडिया और कंटेंट क्रिएटर्स के लिए एक चेतावनी का काम किया है। ज़रूरत है संतुलन की; जहां अभिव्यक्ति की आज़ादी बनी रहे लेकिन देश की सुरक्षा से समझौता न हो।