झारखंड में JMM अधिवेशन पर हेमंत सोरेन: रांची में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के दो दिवसीय केंद्रीय अधिवेशन की शुरुआत 14 अप्रैल को ज़ोरदार सामाजिक न्याय और क्षेत्रीय अधिकारों की हुंकार के साथ हुई। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मंच से एलान किया—“अब झारखंड लूट का नहीं, जनता के शासन का प्रतीक बनेगा।”
शिबू सोरेन की अध्यक्षता में शुरू हुए इस अधिवेशन में पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) को घेरते हुए वक्फ संशोधन कानून पर तीखा विरोध दर्ज कराया। हेमंत सोरेन ने कहा कि आदिवासी, मूलवासी, दलित और शोषित तबकों की एकता ने सामंती ताक़तों को पराजित कर सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित की है।
पार्टी के वरिष्ठ नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने वक्फ कानून को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि इसे बिना राज्य सरकारों की सलाह के पारित किया गया है, जबकि भूमि राज्य का विषय है। उनका कहना था कि इस कानून का मक़सद अल्पसंख्यकों की संस्थाओं को कमजोर करना और राज्यों के अधिकारों में कटौती करना है।
पार्टी ने अपने प्रस्ताव में वक्फ संशोधन को धर्म और जाति के नाम पर भय का माहौल बनाने की रणनीति बताया। साथ ही क्षेत्रीय दलों और नागरिक संगठनों से इस कानून के खिलाफ एकजुट होकर आंदोलन छेड़ने का आह्वान किया गया।
इस अधिवेशन में 108 पृष्ठों की संगठनात्मक रिपोर्ट भी पेश की गई, जिसमें ‘जल, जंगल, जमीन’ पर अधिकार, वनवासियों को स्थायी पट्टा, और भूमि पुनरुद्धार अधिनियम (Land Revival Act) की मांग प्रमुख रही। JMM ने जोर देकर कहा कि बिना भूमि सुधार के आदिवासी और मूलवासी समाज को न्याय नहीं मिल सकता।
पार्टी ने जनगणना आधारित परिसीमन का विरोध करते हुए इसे आदिवासियों की राजनीतिक भागीदारी पर चोट बताया। उनका दावा है कि यह प्रक्रिया झारखंड जैसे राज्यों में जनजातीय नेतृत्व को हाशिए पर डालने की एक रणनीति है।
अधिवेशन का समापन 15 अप्रैल को होगा। इस मौके पर बिहार और पश्चिम बंगाल के लिए पार्टी की चुनावी रणनीति साझा की जाएगी, साथ ही नए अध्यक्ष की नियुक्ति भी की जाएगी।