लेटेस्ट ख़बरे विधानसभा चुनाव ओपिनियन जॉब - शिक्षा विदेश मनोरंजन खेती टेक-ऑटो टेक्नोलॉजी वीडियो वुमन खेल बायोग्राफी लाइफस्टाइल

हैदराबाद में जंगल उजाड़ने से बेनकाब हुए राहुल गांधी

"हैदराबाद में जंगल उजाड़ने से कांग्रेस की असलियत बेनकाब, राहुल गांधी की चुप्पी और रेवंत रेड्डी की हड़बड़ी ने पर्यावरण से लेकर गठबंधन तक सब पर सवाल खड़े कर दिए।"

हैदराबाद में जंगल उजाड़ने से एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। हैदराबाद यूनिवर्सिटी के पास 400 एकड़ जंगल को काटने का मामला इन दिनों गर्माया हुआ है। सरकार इसे आईटी पार्क बनाने के लिए साफ कर रही है। इस जंगल में मोर, हिरण और कई छोटे-बड़े जानवर रहते हैं। जैव विविधता भी खूब है, फिर भी बुलडोजर चला दिए गए। लोग इसे देखकर गुस्से में हैं।

सुप्रीम कोर्ट की रोक
लोगों ने कोर्ट का रुख किया। 3 अप्रैल, 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने कटाई पर रोक लगा दी। कोर्ट ने पूछा कि बिना इजाजत ये सब कैसे हो रहा है। उसने तेलंगाना हाईकोर्ट को जांच के लिए कहा। लेकिन तब तक आधे से ज्यादा पेड़ कट चुके थे। ये जल्दबाजी सवाल उठाती है।

सरकार की जल्दबाजी क्यों?
ऐसा लगता है कि सरकार कोर्ट का फैसला आने से पहले काम खत्म करना चाहती थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसे “भयावह” कहा। मुख्य सचिव से जवाब मांगा कि इतनी हड़बड़ी क्यों थी। क्या पर्यावरण की मंजूरी ली गई थी? ये सब सरकार की मंशा पर शक पैदा करता है।

रेवंत रेड्डी कौन हैं?
तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी इस मामले में चर्चा में हैं। वो पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े थे। ये संगठन आरएसएस का हिस्सा है। 1980 के दशक के आखिर से 1992 तक वो छात्र जीवन में इसके साथ रहे। फिर टीडीपी और टीआरएस में गए। 2017 में कांग्रेस में आए और 2023 में सीएम बने। उनका पुराना दक्षिणपंथी बैकग्राउंड आज भी चर्चा में रहता है।

रेवंत का जनता से टकराव
रेवंत कहते हैं कि आईटी पार्क से नौकरियां और पैसा आएगा। लेकिन छात्र और लोग इसे गलत मानते हैं। प्रदर्शन करने वालों पर पुलिस ने लाठियां चलाईं। कई को हिरासत में लिया गया। छात्रों का कहना है कि पुलिस ने उनसे बुरा बर्ताव किया। रेवंत का ये सख्त रुख जनता को नाराज कर रहा है।

बीजेपी कनेक्शन पर सवाल
रेवंत का पुराना एबीवीपी और आरएसएस से रिश्ता विपक्ष उठाता है। बीआरएस कहती है कि उनकी सोच बीजेपी जैसी है। उनके फैसले, जैसे जंगल काटना, बीजेपी की विकास नीतियों से मिलते-जुलते लगते हैं। ये कांग्रेस के लिए मुश्किल पैदा कर रहा है, जो बीजेपी को अपना विरोधी बताती है।

whatsapp logoओबीसी आवाज चैनल को फॉलो करें

राहुल गांधी की चुप्पी
राहुल गांधी पर्यावरण और जनता के हक की बात करते हैं। आरे और हसदेव जंगल पर वो बोले थे। लेकिन इस बार वो चुप हैं। बीआरएस ने तंज कसा कि ये “मोहब्बत की दुकान” नहीं, धोखे का बाजार है। उनकी खामोशी कांग्रेस की साख पर बट्टा लगा रही है।

कांग्रेस का दोहरा चेहरा
कांग्रेस का ये रवैया नया नहीं है। पहले भी उसने पर्यावरण को नजरअंदाज किया। 1980 में साइलेंट वैली प्रोजेक्ट और हाल में छत्तीसगढ़ में खदानों को मंजूरी दी। हैदराबाद का मामला भी ऐसा ही है। बोलते कुछ हैं, करते कुछ और। ये दोहरापन जनता को भटका रहा है।

जनता का गुस्सा
हैदराबाद में छात्रों और लोगों का विरोध बढ़ रहा है। वो कहते हैं कि सरकार उनकी बात नहीं सुन रही। जंगल काटने से जानवर बेघर हो रहे हैं। पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। लोग सड़कों पर उतरे, लेकिन सरकार टस से मस नहीं हुई।

पर्यावरण का नुकसान
400 एकड़ जंगल साफ करने का असर बड़ा है। पेड़ हवा को साफ रखते हैं। जानवरों का घर बचाते हैं। लेकिन अब ये सब खत्म हो रहा है। पर्यावरणविद कहते हैं कि इससे गर्मी बढ़ेगी, बारिश कम होगी। सरकार इसे नजरअंदाज कर रही है।

विकास या विनाश?
सरकार का दावा है कि आईटी पार्क से 50,000 करोड़ का निवेश आएगा। 5 लाख नौकरियां मिलेंगी। लेकिन सवाल ये है कि क्या ये कीमत जंगल और जानवरों की जिंदगी से चुकानी चाहिए? लोग कहते हैं कि विकास जरूरी है, पर विनाश के साथ नहीं।

महागठबंधन पर असर
कांग्रेस विपक्षी गठबंधन का हिस्सा है। लेकिन उसका ये रवैया सहयोगियों को परेशान कर सकता है। बिहार में आरजेडी जैसे दल जनता और पर्यावरण की बात करते हैं। कांग्रेस की हरकतों से गठबंधन कमजोर हो सकता है।

बिहार में खतरा
बिहार में 2025 का चुनाव आने वाला है। आरजेडी तेजस्वी यादव के साथ मजबूत है। लेकिन कांग्रेस की खराब छवि से नुकसान हो सकता है। बीजेपी-जेडीयू इसका फायदा उठा सकते हैं। आरजेडी को सतर्क रहना होगा।

कांग्रेस की हार का सिलसिला
कांग्रेस को 2014, 2019 और 2024 में हार मिली। तेलंगाना में जीत के बाद उम्मीद थी कि वो सुधरेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जनता का भरोसा टूट रहा है। उसे अपनी नीतियां बदलनी होंगी।

राहुल को करना होगा काम
राहुल गांधी को सिर्फ बोलने से काम नहीं चलेगा। उन्हें अपने वादों पर अमल करना होगा। पर्यावरण और जनता के मुद्दों पर साफ रुख चाहिए। वरना लोग उन पर भरोसा नहीं करेंगे।

सुधार की जरूरत
कांग्रेस को अपनी सोच बदलनी होगी। विकास और पर्यावरण में बैलेंस बनाना होगा। जनता की बात सुननी होगी। अगर ऐसा नहीं हुआ तो उसकी साख और डूबेगी।

विपक्ष का हमला
बीआरएस और एआईएमआईएम कांग्रेस पर हमलावर हैं। वो कहते हैं कि रेवंत और राहुल की जोड़ी जनता को धोखा दे रही है। ये हमले कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं।

जनता की उम्मीद
लोग चाहते हैं कि सरकार उनकी सुने। जंगल बचाने की मांग जोर पकड़ रही है। वो कहते हैं कि नौकरियां चाहिए, पर प्रकृति को नुकसान देकर नहीं। सरकार पर दबाव बढ़ रहा है।

आगे क्या?
हैदराबाद का ये मामला अभी खत्म नहीं हुआ। कोर्ट का फैसला बाकी है। लोग सरकार से जवाब चाहते हैं। ये देखना होगा कि राहुल गांधी, रेवंत रेड्डी और कांग्रेस इससे कैसे निपटते हैं।

कांग्रेस हुई बेनकाब
हैदराबाद का जंगल कटाई मसला सिर्फ पेड़ों की बात नहीं है। ये कांग्रेस की कमजोरी दिखाता है। रेवंत का पुराना एबीवीपी बैकग्राउंड, उनका सख्त रवैया और राहुल की चुप्पी सब कुछ उजागर कर रही है। गठबंधन के लिए भी ये चेतावनी है। खासकर कांग्रेस का साथ देने वाले और उसके साथ मिलकर चुनाव लड़ने वालों को भी कांग्रेस के इस कृत्य का जवाब देना पड़ सकता है।

(यह लेख देश के प्रसिद्ध वरिष्ठ पत्रकार महेंद्र यादव जी की कलम से, जो जनभावनाओं की आवाज़ उठाने के लिए जाने जाते हैं।)

ताज़ा खबरों से अपडेट रहें! हमें फ़ॉलो जरूर करें X (Formerly Twitter), WhatsApp Channel, Telegram, Facebook रियल टाइम अपडेट और हमारे ओरिजिनल कंटेंट पाने के लिए हमें फ़ॉलो करें


महेंद्र यादव एक वरिष्ठ पत्रकार, संपादक और राजनीतिक विश्लेषक हैं। वे स्वतंत्र विचारक और निष्पक्ष टिप्पणीकार के रूप में जाने जाते हैं। राजनीति, सामाजिक न्याय और अर्थव्यवस्था जैसे विषयों पर उनकी पैनी दृष्टि और विश्लेषण उन्हें खास बनाते हैं। उनके लेख कई प्रतिष्ठित पोर्टलों और पत्रिकाओं में प्रकाशित होते हैं। वे सोशल मीडिया पर भी सक्रिय हैं और आमजन के मुद्दों को जोरदार ढंग से उठाते हैं। महेंद्र नारायण यादव के बारे में विस्तार से जानें

Leave a Comment