जब पूरी दुनिया आतंकवाद के खिलाफ दिखावे की बातें कर रही है, उसी वक्त IMF ने फिर से पाकिस्तान को कर्ज़ देकर एक बार फिर ये साबित कर दिया कि असली खेल कहीं और चल रहा है। पाकिस्तान, जो आतंकियों को पनाह देता है, उसे बार-बार आर्थिक सहारा देना बताता है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नैतिकता नहीं, बस चालाकी चलती है।
सबसे हैरानी की बात तो ये है कि भारत के जिन देशों को हम दोस्त मानते थे, उन्होंने भी इस मदद का समर्थन कर दिया। अब ये साफ हो चुका है कि भू-राजनीतिक रिश्ते सिर्फ कूटनीतिक मुस्कुराहटों तक ही सीमित हैं।
भारत-पाकिस्तान के बीच जो तनाव बढ़ा है, उस वक्त भारत का हर नागरिक धर्म, जाति, भाषा और विचारधारा से ऊपर उठकर देश के साथ खड़ा है। ये समय किसी भी तरह की आंतरिक राजनीति या फूट डालने की कोशिशों का नहीं है। जो ऐसा कर रहा है, वह सच में भारत के साथ नहीं है।
अब लड़ाई सिर्फ सीमा पर नहीं, सोशल मीडिया, खबरों और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी लड़ी जा रही है। भारत की छवि को तोड़ने की साजिशें भी चल रही हैं। ऐसे में हमें केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि रणनीतिक रूप से भी सतर्क रहना होगा।
मेरी सातवीं इंद्रिय साफ़-साफ़ कह रही है कि जो दिख रहा है, वह अधूरा है। असली खेल पर्दे के पीछे है, चुपचाप, योजनाबद्ध और लंबी लड़ाई के संकेत के साथ। ऐसे में ज़रूरत है कि हम एकजुट रहें, संयम बनाए रखें और हर स्तर पर देश की सुरक्षा और गरिमा का साथ दें।