भारत के पास एक बेहद ताक़तवर और आधुनिक वायु रक्षा सिस्टम है, जिसमें रूस, इज़रायल और भारत में बनी कई मिसाइल प्रणालियाँ शामिल हैं। इनकी तुलना में पाकिस्तान की वायु सुरक्षा काफी सीमित और ज़्यादातर चीनी तकनीक पर निर्भर है।
S-400: सबसे बड़ा गेम चेंजर
भारत के पास रूस से ली गई S-400 ट्रायम्फ मिसाइल प्रणाली है, जो 380 किलोमीटर तक दुश्मन के लड़ाकू विमानों, मिसाइलों, ड्रोन और निगरानी विमानों को गिरा सकती है। इस सिस्टम में चार अलग-अलग रेंज की मिसाइलें होती हैं, 120, 200, 250 और 380 किमी तक मार करने वाली। इसे वायुसेना की IACCS (एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली) से जोड़ा गया है, जिससे यह और ज़्यादा असरदार हो जाता है।
भारत ने 2018 में रूस से 5.4 अरब डॉलर में पांच S-400 स्क्वाड्रन खरीदे थे। इनमें से तीन स्क्वाड्रन देश के उत्तर-पश्चिमी और पूर्वी इलाकों में तैनात किए जा चुके हैं। बाकी दो की डिलीवरी रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण 2026–27 तक टल गई है।
पाकिस्तान की वायु रक्षा: कमजोर और सीमित
पाकिस्तान के पास चीन का HQ-9 सिस्टम है, जिसकी रेंज अधिकतम 300 किमी है (अपग्रेडेड वर्जन)। इसके अलावा उनके पास फ्रांसीसी Spada सिस्टम भी है, लेकिन उसकी रेंज महज़ 20–25 किमी है।
भारत की दूसरी वायु रक्षा प्रणालियाँ:
- बराक-8: भारत और इज़रायल की मिड-रेंज मिसाइल, जिसकी रेंज 70+ किमी है।
- आकाश मिसाइल: भारत में बनी 25 किमी रेंज वाली मिसाइल, जो अब दूसरे देशों को भी बेची जा रही है।
- स्पाइडर: इज़रायल की क्विक रिस्पॉन्स मिसाइल, रेंज 15 किमी।
- Igla-S: कंधे पर रखकर दागी जाने वाली मिसाइल, रेंज 6 किमी।
- Pechora, OSA-AK-M, L-70: पुराने रूसी सिस्टम, जो अब भी काम में हैं।
- VSHORADS (DRDO): 6 किमी रेंज वाली नई पीढ़ी की मिसाइल, अभी ट्रायल में है।
- LR-SAM (Project Kusha): 350 किमी रेंज की स्वदेशी मिसाइल, जो 2028–29 तक तैयार होगी।
IACCS नेटवर्क:
यह एक ऐसा नेटवर्क है जो देशभर के सैन्य और सिविलियन रडार को जोड़ रहा है। इससे रीयल-टाइम में एयर ट्रैफिक की जानकारी सभी डिफेंस पोस्ट को मिलती है, जिससे भारत की हवाई सुरक्षा और मज़बूत हो गई है।