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भारत-चीन टकराव: सीमाओं से परे रणनीति, व्यापार और सुरक्षा की असली जंग

भारत-चीन विवाद अब सीमा से बढ़कर पानी, व्यापार और रणनीतिक साझेदारी तक पहुंच गया है। चीन की निर्भरता ने भारत को आर्थिक मोर्चे पर कमजोर कर दिया है।

भारत और चीन के बीच का टकराव अब सिर्फ बॉर्डर तक सीमित नहीं रहा। अब यह झगड़ा पानी, व्यापार, सुरक्षा और रणनीतिक साझेदारी तक फैल चुका है। हाल ही में चीन ने सीधा-सीधा धमकी दी है कि अगर भारत ने पाकिस्तान की ओर जाने वाले सिंधु नदी के पानी को रोका, तो वह भी भारत की तरफ आने वाले पानी को अपने इलाके में रोक देगा। यह सिर्फ पानी की लड़ाई नहीं है, यह चीन की भारत-विरोधी चालों का हिस्सा है, और अब चीन खुले तौर पर भारत के विरुद्ध खड़ा है और लगातार बयान दे रहा है।

चीन लगातार भारत के खिलाफ बोल रहा है और हर मौके पर पाकिस्तान का साथ देता दिख रहा है। इसके बावजूद भारत ने चीन से व्यापार बंद नहीं किया है, क्योंकि अब हमारी अर्थव्यवस्था इतनी ज्यादा चीनी उत्पादों पर टिकी हुई है कि एक झटके में उससे दूरी बना पाना मुमकिन ही नहीं है। 2023-24 में चीन से भारत का कुल आयात 101.73 अरब डॉलर का था, यह भारत का किसी देश से किया जाने वाला सबसे बड़ा आयात है।

इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल उपकरण, टेलीकॉम उपकरण, कंप्यूटर हार्डवेयर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान प्रमुख रूप से शामिल हैं। Samsung, Apple इत्यादि सारे फोन की यहां सिर्फ असेंबली होती है, कल-पुर्जे सब चीन से ही आते हैं।

इसके अतिरिक्त, सबसे अधिक आयातित वस्तुओं में लिथियम आयन बैटरी और उससे संबंधित कच्चा माल, लिथियम कार्बोनेट, कोबाल्ट, निकेल और ग्रेफाइट चीन से आते हैं, जो इलेक्ट्रिक वाहनों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बैटरी के लिए उपयोग होते हैं। इसका पूरी दुनिया में कहीं और कोई विकल्प नहीं है।

ध्यान दीजिए कि 2024 में भारत ने चीन से लगभग 2.2 अरब डॉलर की लिथियम आयन बैटरी आयात की। चीन जिस दिन चाहे, पूरी दुनिया की बैकअप एनर्जी सिस्टम समेत भारत के EV सेक्टर, इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर, इलेक्ट्रिकल सेक्टर, PVC सेक्टर, ऑर्गेनिक दवाओं के सेक्टर, मशीनरी और इंजीनियरिंग सेक्टर, डेयरी सेक्टर, न्यूक्लियर सेक्टर, बॉयलर औद्योगिक सेक्टर, लोहा, इस्पात, और एल्यूमीनियम पर आधारित उद्योग और फर्टिलाइज़र सेक्टर को जब चाहे अपने यहां निर्यात पर रोक लगाकर ठप कर सकता है।

चीन से लड़ने के लिए आपको पहले इन सब का विकल्प ढूंढना होगा, रेट, क्वालिटी और क्वांटिटी को मैच कराना होगा। नहीं तो चीन जब चाहे, अडाणी-अंबानी समेत तमाम लोगों को ज़मीन पर ला सकता है। GST आधारित अर्थव्यवस्था के चौथे, पांचवें, छठे अंक को बदल सकता है।

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अब आप पिछले 10-15 सालों में देखिए कि भारत में इसकी कोई कोशिश हुई? नहीं हुई। सिर्फ हिन्दू-मुस्लिम, मंगलसूत्र छीन लेंगे, घर छीन लेंगे, बेटी और रोटी छीन लेंगे, के साथ-साथ कब्रिस्तान और श्मशान की बातें हुई हैं। यहां नीचे मंदिर, वहां ऊपर मंदिर हुआ है, और यह इस गिरोह को भी पता है।

यही कारण है कि व्यापार घाटा, अर्थात ट्रेड डेफिसिट, बढ़कर 85.09 अरब डॉलर होने के बावजूद केंद्र की मोदी सरकार चीन को कुछ नहीं कह सकती। अधिक से अधिक टिकटॉक बंद कर सकते हैं।

भारतीय चैनलों के अतिरिक्त विदेशी चैनल देखिए, पाकिस्तान को हमले से पहले बता दिया था, हमले के बाद बता दिया गया था, जैसे बयान आपको मूर्ख बनाने के लिए हैं।

हकीकत यह है कि चीन ने बहुत पहले पाकिस्तान को भारतीय सीमा में हो रहे एक-एक मूवमेंट की जानकारी अपनी सैटेलाइट के माध्यम से दे दी थी। उसने अपना पूरा रडार सिस्टम और आधुनिक सैन्य क्षमता पाकिस्तान के सपोर्ट में लगा दी थी। बाकी 7 मई की रात क्या हुआ, यह आपको भविष्य में धीरे-धीरे पता चलेगा, और चल भी रहा है।

चीन से लड़ने की तैयारी करिए, पाकिस्तान तो उसका पिट्ठू है… पाकिस्तान अपने आप हार जाएगा…

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अनिल यादव एक वरिष्ठ पत्रकार हैं जो Anil Yadav Ayodhya के नाम से जाने जाते हैं। अनिल यादव की कलम सच्चाई की गहराई और साहस की ऊंचाई को छूती है। सामाजिक न्याय, राजनीति और ज्वलंत मुद्दों पर पैनी नज़र रखने वाले अनिल की रिपोर्टिंग हर खबर को जीवंत कर देती है। उनके लेख पढ़ने के लिए लगातार OBC Awaaz से जुड़े रहें, और ताज़ा अपडेट के लिए उन्हें एक्स (ट्विटर) पर भी फॉलो करें।

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