भारत का iPhone अब अमेरिका को चीन की तुलना में 20 प्रतिशत कम कीमत पर निर्यात किया जा सकेगा, क्योंकि अमेरिकी सरकार ने भारत से भेजे जाने वाले स्मार्टफोन, टैबलेट और लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर नया आयात कर हटा दिया है। इस फैसले ने भारत को वैश्विक एक्सपोर्ट मार्केट में एक निर्णायक बढ़त दिला दी है, जो न सिर्फ आर्थिक रूप से बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी बहुत अहम मानी जा रही है।
इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) के अनुसार, यह छूट भारत के लिए ऐतिहासिक है। इससे भारत को चीन पर सीधी बढ़त मिलती है, क्योंकि वहीं से भेजे जाने वाले उत्पादों पर अमेरिका अभी भी भारी टैरिफ लागू कर रहा है। अमेरिका के इस फैसले को ट्रम्प प्रशासन की ‘चीन प्लस वन’ नीति के तहत देखा जा रहा है, जिसमें भारत को रणनीतिक साझेदार के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है।
ICEA की रिपोर्ट बताती है कि भारत का मोबाइल फोन एक्सपोर्ट वर्ष 2024-25 में ₹2 लाख करोड़ तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष ₹1.29 लाख करोड़ था। यानी कुल मिलाकर 55% की अभूतपूर्व वृद्धि। इस ग्रोथ के पीछे Apple की बड़ी भूमिका रही है, जिसने भारत में iPhone का उत्पादन बड़े पैमाने पर शुरू कर दिया है।
Apple का “iPhone इकोसिस्टम” न सिर्फ भारत में उत्पादन बढ़ा रहा है, बल्कि लाखों लोगों को रोजगार भी दे रहा है। फैक्टरी मज़दूरों से लेकर इंजीनियरों, लॉजिस्टिक्स कर्मियों और सप्लाई चेन मैनेजमेंट तक—Apple के बढ़ते नेटवर्क ने भारत के युवाओं के लिए रोज़गार के नए रास्ते खोले हैं। ICEA के मुताबिक, Apple अब देश में इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर का सबसे बड़ा रोज़गार प्रदाता बन चुका है।
यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब भारत, ‘मेक इन इंडिया’ और PLI (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) स्कीम जैसे कदमों के ज़रिए वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग का हब बनने की दिशा में अग्रसर है। इस नीति ने न केवल निवेशकों का भरोसा जीता है, बल्कि भारत को वैश्विक सप्लाई चेन का अहम हिस्सा भी बनाया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका का यह निर्णय महज़ एक व्यापारिक नीति नहीं, बल्कि भारत के साथ एक दीर्घकालिक साझेदारी का संकेत है। इससे आने वाले वर्षों में भारत की वैश्विक तकनीकी हैसियत और मैन्युफैक्चरिंग क्षमता में और अधिक मज़बूती आएगी।