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ईरान-इज़राइल संघर्ष: सैन्य हमलों की बौछार और भारत के लिए बढ़ता संकट

इज़राइल-ईरान में सीधी जंग शुरू, जिससे तेल संकट, भारतीयों की सुरक्षा और व्यापार पर खतरा बढ़ा। भारत के लिए कूटनीतिक संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण हो गया है।

ईरान-इज़राइल संघर्ष 2025: 13 जून को पश्चिम एशिया में हालात उस वक्त पूरी तरह बदल गए जब इज़राइल ने अचानक ईरान के भीतर कई अहम सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हमला कर दिया। यह हमला इतना अप्रत्याशित था कि इससे ईरान और अमेरिका के बीच चल रही परमाणु डील और प्रतिबंधों को लेकर बातचीत सीधे ठप हो गई।

शुरुआती कुछ घंटों में ही इज़राइल ने ईरान के कई टॉप सैन्य अफसरों को निशाना बनाकर मार गिराया। साथ ही देश की हवाई सुरक्षा को तगड़ा झटका देते हुए प्रमुख सैन्य और न्यूक्लियर ठिकानों पर ताबड़तोड़ हवाई हमले किए।

इसके तुरंत बाद ईरान ने भी जवाबी कार्रवाई में इज़राइल पर मिसाइलें दागनी शुरू कर दीं। अब हालात सीधे युद्ध की शक्ल ले चुके हैं, सिर्फ एक-दो ठिकानों की लड़ाई नहीं, बल्कि दोनों देशों के बीच एक खुले संघर्ष की शुरुआत हो चुकी है।

इज़राइल का ऑपरेशन राइजिंग लायन

इज़राइल ने हाल ही में ऑपरेशन राइजिंग लायन के अंतर्गत ईरान के भीतर कई प्रमुख ठिकानों पर हवाई और ड्रोन हमले किए। जिन जगहों को निशाना बनाया गया, उनमें थे:

  • तेहरान का कमांड सेंटर
  • नतांज का यूरेनियम प्लांट
  • एक प्रमुख परमाणु रिसर्च सेंटर
  • तबरीज़ के दो मिलिट्री बेस
  • केरमानशाह का मिसाइल डिपो

मकसद एक ही, ईरान को न्यूक्लियर हथियार बनाने से रोकना।

ईरान का जवाब: ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3

ईरान ने भी चुप रहने का विकल्प नहीं चुना। उसने ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3 के तहत इज़राइल पर बैलिस्टिक मिसाइलों की भरमार कर दी। इस हमले में येरुशलम और तेल अवीव जैसे बड़े शहरों में धमाके हुए, जिससे हालात और गंभीर हो गए।

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ईरान-इज़राइल संघर्ष की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

इज़राइल और ईरान के बीच मौजूदा टकराव अचानक पैदा नहीं हुआ, ये एक ऐसी दुश्मनी है जिसकी जड़ें चार दशक से भी ज्यादा पुरानी हैं। यह सिर्फ सीमाओं या सैन्य ताकत की लड़ाई नहीं, बल्कि दो बिलकुल अलग सोच रखने वाले सिस्टम की लड़ाई है।

1979 से पहले: दोस्ती और सहयोग

क्रांति से पहले ईरान और इज़राइल के रिश्ते दोस्ताना थे। ईरान के पहलवी शासन के दौरान दोनों देशों के बीच तेल, व्यापार और खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान होता था। इज़राइल, मध्य पूर्व में ईरान को अपना अहम रणनीतिक साथी मानता था।

1979 के बाद: दुश्मनी की शुरुआत

ईरान में जब इस्लामी क्रांति आई और अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी सत्ता में आए, तो उन्होंने इज़राइल से सारे संबंध तोड़ दिए। खुमैनी ने इज़राइल को इस्लाम का दुश्मन करार दिया और फिलिस्तीन के मुद्दे पर खुलकर खड़ा हो गया। यहीं से ईरान ने अरब दुनिया में अपनी पहचान एक इज़राइल-विरोधी ताकत के रूप में बनाई।

मौजूदा नीति और बयानबाज़ी

ईरान के मौजूदा सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई कई बार इज़राइल को कैंसर बता चुके हैं। दूसरी तरफ इज़राइल को डर है कि अगर ईरान के पास परमाणु हथियार आ गए, तो वो सीधे उसके वजूद को चुनौती देगा। यही डर इज़राइल की सैन्य रणनीति का मूल है।

2024: जब दुश्मनी खुलकर सामने आई

2024 वो साल था जब ये छुपा हुआ शीत युद्ध खुली भिड़ंत में बदल गया:

1 अप्रैल 2024 टकराव की शुरुआत

  • इज़राइल ने सीरिया के दमिश्क स्थित ईरानी वाणिज्य दूतावास पर एयरस्ट्राइक की।
  • इस हमले में कई सीनियर ईरानी अधिकारी मारे गए।
  • इस घटना को टकराव का टर्निंग पॉइंट माना गया।

13 अप्रैल 2024 ईरान की जवाबी कार्रवाई

  • ईरान और उसके सहयोगियों (जिसे वो Resistant Axis कहते हैं) ने पलटवार किया:

19 अप्रैल 2024 सीमित जवाबी हमला

  • इज़राइल ने ईरान और सीरिया में फिर हवाई हमले किए।
  • ये हमले रणनीतिक रूप से सीमित थे।
  • विशेषज्ञों ने इसे तनाव घटाने की कोशिश माना।
  • ईरान ने उस समय कोई पलटवार नहीं किया, जिससे लड़ाई छद्म युद्ध के मोड में लौट आई।

31 जुलाई 2024 दो टॉप कमांडरों की हत्या

  • तेहरान में हमास नेता इस्माइल हनीयेह की हत्या हुई।
  • कुछ ही घंटे पहले, लेबनान में हिज़्बुल्लाह के टॉप कमांडर फुआद शुक्र को भी इज़राइली हमले में मारा गया।
  • इसके तुरंत बाद, ईरान और हिज़्बुल्लाह ने बदला लेने की धमकी दी।

1 अक्टूबर 2024 ईरान का बड़ा हमला

  • ईरान ने इज़राइल पर बैलिस्टिक मिसाइलों की सीरीज़ दागी, जिससे टकराव और बढ़ गया।

26 अक्टूबर 2024 इज़राइल की जवाबी कार्रवाई

  • इज़राइल ने फिर से ईरान के भीतर बड़े पैमाने पर एयरस्ट्राइक की।

भारत के लिए चेतावनी की घंटी

भारत, जो इस पूरे क्षेत्र से तेल, व्यापार, कूटनीतिक साझेदारी और प्रवासी रिश्तों के ज़रिए गहराई से जुड़ा हुआ है, अब एक बेहद नाज़ुक और संवेदनशील स्थिति में आ गया है।

ऊर्जा सुरक्षा पर संकट

भारत हर दिन लगभग 20 लाख बैरल कच्चा तेल मिडिल ईस्ट से आयात करता है। यह सप्लाई होर्मुज़ जलडमरूमध्य से होकर आती है, जो अब युद्ध की वजह से सीधे खतरे में है। अगर यह रास्ता बाधित हुआ, तो तेल की कीमतों में जबरदस्त उछाल आ सकता है और देश में महंगाई तेजी से बढ़ सकती है।

प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा

मिडिल ईस्ट में करीब 1.34 करोड़ भारतीय रहते हैं। अगर हालात और बिगड़े, तो भारत को फिर से बड़े पैमाने पर निकासी अभियान चलाना पड़ सकता है, जैसे 1990 में कुवैत संकट और 2022 में यूक्रेन युद्ध के दौरान किया गया था।

रणनीतिक परियोजनाओं पर असर

ईरान का चाबहार बंदरगाह और India-Middle East-Europe Corridor (IMEC) भारत की रणनीतिक और व्यापारिक योजनाओं में अहम कड़ी हैं। लेकिन इस टकराव के चलते इन प्रोजेक्ट्स पर या तो ब्रेक लग सकता है या वे पूरी तरह अटक सकते हैं।

कूटनीतिक संतुलन की चुनौती

भारत के इज़राइल से रक्षा और टेक्नोलॉजी में मजबूत रिश्ते हैं, जबकि ईरान से एनर्जी और रणनीतिक पहुंच जुड़ी हुई है। ऐसे में किसी एक पक्ष का खुला समर्थन करना भारत की तटस्थता और उसकी रणनीतिक स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचा सकता है।

संघर्ष से निकलने के रास्ते क्या हैं?

  • इज़राइल-फिलिस्तीन विवाद का हल
    • द्वि-राज्य समाधान पर फिर से काम शुरू हो और फिलिस्तीन को यूएन प्रस्तावों के तहत मान्यता दी जाए।
  • सीधी बातचीत और समझौता
    • संयुक्त राष्ट्र या यूरोपीय संघ की मदद से दोनों देश बात करें और भरोसे की बहाली हो।
  • JCPOA में वापसी
    • ईरान न्यूक्लियर डील में लौटे और इज़राइल को भी हमलों से पीछे हटने की कूटनीतिक गारंटी दी जाए।
  • क्षेत्रीय सहयोग और रिश्तों की बहाली
    • जैसे UAE और इज़राइल के बीच हुआ, वैसे ही कूटनीतिक रिश्ते बहाल करके तनाव को कम किया जा सकता है।

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शिवम कुमार एक समर्पित और अनुभवी समाचार लेखक हैं, जो वर्तमान में OBCAWAAZ.COM के लिए कार्यरत हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में गहरी रुचि रखने वाले शिवम निष्पक्ष, तथ्यात्मक और शोध-आधारित समाचार प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते हैं। उनका प्रमुख फोकस सामाजिक मुद्दों, राजनीति, शिक्षा, और जनहित से जुड़ी खबरों पर रहता है। अपने विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण और सटीक लेखन शैली के माध्यम से वे पाठकों तक विश्वसनीय और प्रभावशाली समाचार पहुँचाने का कार्य करते हैं। शिवम कुमार का उद्देश्य निष्पक्ष और जिम्मेदार पत्रकारिता के जरिए समाज में जागरूकता फैलाना और लोगों को सटीक जानकारी प्रदान करना है।

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