जादवपुर यूनिवर्सिटी (JU) ने इस साल ओबीसी कैटेगरी के तहत किसी भी छात्र को एडमिशन न देने का फैसला किया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, ये फैसला सुप्रीम कोर्ट में लंबित केस और मई 2024 में आए कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले के आधार पर लिया गया है, जिसमें 2010 के बाद किए गए ओबीसी वर्गीकरण को संविधान के नियमों से हटकर बताया गया था। इस फैसले को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी हुई है।
पिछले साल, JU ने ओबीसी-A और ओबीसी-B कैटेगरी में एडमिशन लेने वाले छात्रों से नॉन-ज्यूडिशियल स्टांप पेपर पर हलफनामा भरवाया था कि अगर भविष्य में उनका प्रमाणपत्र अमान्य पाया गया तो उनका दाखिला रद्द कर दिया जाएगा। यूनिवर्सिटी ने इस मुद्दे पर उच्च शिक्षा विभाग को चिट्ठी भी भेजी है, लेकिन अभी तक कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं मिले हैं।
हाल ही में लाइब्रेरी साइंस कोर्स में एडमिशन के लिए जारी नोटिस में ओबीसी आरक्षण का कोई जिक्र नहीं है। एक अधिकारी ने कहा कि यह कदम कानूनी सलाह के आधार पर उठाया गया है।
उधर हाईकोर्ट में चल रही एक जनहित याचिका की सुनवाई में ये बात सामने आई कि कई यूनिवर्सिटीज अब भी ओबीसी-A और OBC-B कोटा लागू कर रही हैं, जो हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ है। जादवपुर यूनिवर्सिटी का मामला भी वहां पेश किया गया।
इसी बीच, सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज के प्रिंसिपल फादर डॉमिनिक सैवियो ने कहा, “हमारे यहां तो शुरू से ही एससी, एसटी और ओबीसी कैटेगरी के स्टूडेंट्स को दाखिला मिलता रहा है, खासकर तब से जब हमें स्वायत्त दर्जा मिला।”