केंद्र सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले वक्फ संशोधन बिल को लेकर जनता दल यू (जदयू) ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए केंद्र से कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। खबरों के अनुसार, सरकार बुधवार, दो अप्रैल को यह बिल लोकसभा में पेश कर सकती है, लेकिन इससे पहले जदयू ने अपनी शर्तें तय कर दी हैं। पार्टी का कहना है कि उसने वक्फ बिल के मसले पर सरकार से कई महत्वपूर्ण विचार साझा किए हैं, और उसे उम्मीद है कि सरकार इन सुझावों को गंभीरता से लेगी। हालांकि, पार्टी का अंतिम निर्णय इस बिल की कॉपी को देखने के बाद ही होगा, क्योंकि अब तक सरकार की ओर से बिल की किसी भी आधिकारिक कॉपी को साझा नहीं किया गया है।
इससे पहले, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार, 29 मार्च को पटना का दौरा किया था, जहां उन्होंने दो दिन तक चलने वाले इस दौरे के दौरान किसी भी मौके पर एनडीए के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर नीतीश कुमार का नाम नहीं लिया। इस पर राजनीति के गलियारों में चर्चाएं तेज हो गईं हैं। इसके बावजूद, सूत्रों के अनुसार, जदयू ने केंद्र सरकार से स्पष्ट रूप से यह अनुरोध किया है कि यदि वक्फ संशोधन बिल पारित होता है, तो उसे पिछली तारीख से लागू नहीं किया जाए।
इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पुराने और मौजूदा मुस्लिम धार्मिक स्थल जैसे मस्जिद, दरगाह, और अन्य वक्फ संपत्तियों के साथ कोई छेड़छाड़ न हो। जदयू का मानना है कि नए कानून में इस बात का स्पष्ट प्रावधान होना चाहिए, ताकि धार्मिक स्थलों की गरिमा और उनकी संरचना सुरक्षित रहे।
अब देखना यह है कि सरकार जदयू के इन सुझावों को कैसे स्वीकार करती है और वक्फ संशोधन बिल को कैसे पेश करती है। इस मुद्दे पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं, क्योंकि यह केवल धार्मिक स्थानों की सुरक्षा से जुड़ा नहीं है, बल्कि राजनीति के गलियारों में चल रहे समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है।