पटना के दीदारगंज में निर्मित जेपी गंगा पथ पुल, जिसे राज्य सरकार ने विकास की मिसाल कहा था, उद्घाटन के सिर्फ दो दिन के बाद ही दरारों के चलते सुर्खियों में आ गया है। 3831 करोड़ रुपये के लागत से निर्मित इस पुल में पिलर नंबर ए-3 पर दरारें दिखाई दीं, और यह दरारें एक तरफ नहीं दोनों लेन में फैल चुकी हैं।
सीएम नीतीश ने आंधी-बारिश के बीच किया था उद्घाटन
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2 दिन पहले ही इस पुल का लोकार्पण भारी आंधी और बारिश के बीच किया था। आयोजन में डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा, पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन, विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव, विधायक संजीव चौरसिया और विभागीय अधिकारी मंच पर उपस्थित थे। रिमोट से बटन दबाकर लोकार्पण किया गया, और इसे राज्य की बड़ी उपलब्धि कहा गया।
उद्घाटन के पहले ही पुल में आईं तकनीकी खामियां
वाहनों की आवाजाही शुरू होते ही सड़क पर गहरी दरारें दिखाई देने लगीं। धीरे-धीरे यह दरारें पूरे गंगा पथ के दोनों लेनों में फैल गईं। इतनी बड़ी परियोजना के इतने कम समय में दरारें दिखाई देने से लोगों में नाराजगी और चिंता दोनों बढ़ गई हैं।
लोग सवाल पूछ रहे हैं– इतनी जल्दबाज़ी क्यों?
अब सबसे बड़ा प्रश्न यही उठ रहा है कि सरकार ने चुनाव से पहले विकास दिखाने की जल्दबाज़ी में तकनीकी जांच को इग्नोर कर दिया? जनता की जान जोखिम में डालकर सिर्फ दिखावा कर दिया? लोग यह भी पूछ रहे हैं कि जब मौसम बहुत खराब था, तब मुख्यमंत्री उद्घाटन करने क्यों पहुंचे?
बिहार में निर्माण की गुणवत्ता फिर सवालों के घेरे में
यह कोई नई बात नहीं है जब बिहार में कोई नया पुल या सड़क कुछ दिनों में खराब हो गई हो। हाल के समय में अररिया में भी एक नया पुल दरारों के कारण विवाद में था। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या बिहार में महंगे प्रोजेक्ट्स सिर्फ उद्घाटन और प्रचार के लिए बन रहे हैं, न कि जनता की स्थायी सुविधा के लिए?