बुधवार को जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक सम्मानजनक समारोह में शपथ दिलाई।
एक ऐतिहासिक क्षण
जस्टिस गवई भारत के पहले बौद्ध मुख्य न्यायाधीश बने हैं। साथ ही, वे अनुसूचित जाति समुदाय से इस पद को संभालने वाले दूसरे व्यक्ति हैं। उनसे पहले जस्टिस के.जी. बालकृष्णन ने 2007 से 2010 तक यह जिम्मेदारी निभाई थी।
गांधी और अंबेडकर को श्रद्धांजलि
शपथ ग्रहण के तुरंत बाद, जस्टिस गवई ने महात्मा गांधी और डॉ. भीमराव अंबेडकर की मूर्तियों पर पुष्प चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी, यह उनके विचारों और संविधान के प्रति सम्मान का प्रतीक था।
समारोह में मौजूद रहे देश के बड़े नेता
इस मौके पर राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जज, वरिष्ठ वकील और अन्य गणमान्य लोग शामिल हुए।
संविधान की रक्षा का संकल्प
जस्टिस गवई ने कहा,
मैं गांधीजी और अंबेडकर जी को नमन करता हूं। उनका दृष्टिकोण और उनके सिद्धांत हमारे न्याय तंत्र की नींव हैं।
अब वह भारतीय न्यायपालिका का नेतृत्व करते हुए संविधान की रक्षा और न्याय की पहुंच को मजबूत करने का काम करेंगे।
जस्टिस गवई का सफर
- जन्म: 24 नवंबर 1960, अमरावती, महाराष्ट्र
- कानूनी करियर शुरू: 16 मार्च 1985
- प्रैक्टिस की शुरुआत: राजा एस. भोंसले (पूर्व एडवोकेट जनरल) के साथ
- पूर्व पद: सुप्रीम कोर्ट जज (2019 से), बॉम्बे हाईकोर्ट जज
उनका कार्यकाल करीब 6 महीने का होगा, और वे सेवानिवृत्त हुए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना की जगह ले रहे हैं।