सोमवार, 9 जून 2025 की सुबह 10:30 बजे केरल के बेयपोर तट से 78 नॉटिकल मील दूर अरब सागर में एक बड़ा धमाका हुआ। यह धमाका सिंगापुर के झंडे वाले कंटेनर जहाज़ एमवी वान हाई 503 के अंडरडेक में हुआ, जिसके बाद जहाज़ में भीषण आग लग गई।
650 कंटेनरों से लदा यह जहाज़ देखते ही देखते आग की चपेट में आ गया। करीब 40-50 कंटेनर समुद्र में गिर गए, जिनमें कुछ में ज्वलनशील रसायन होने की आशंका है। हादसे के समय जहाज़ पर मौजूद 22 क्रू सदस्यों में से 18 ने लाइफबोट के ज़रिए समुद्र में छलांग लगाई, जबकि 4 सदस्य (2 ताइवानी, 1 इंडोनेशियाई और 1 म्यांमार नागरिक) अब भी लापता हैं।
घायलों में से 5 की हालत गंभीर है और उन्हें कोच्चि के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
हाज़ की तकनीकी जानकारी
एमवी वान हाई 503 एक 270 मीटर लंबा और 32 मीटर चौड़ा कंटेनर जहाज़ है, जिसका वजन 42,500 टन है। यह जहाज़ 2005 में बनाया गया था और अब 20 वर्ष पुराना है।
यह 7 जून को कोलंबो से मुंबई के न्हावा शेवा बंदरगाह के लिए रवाना हुआ था। समुद्री विशेषज्ञों के अनुसार, पुराने जहाज़ों में तकनीकी खामियों और जर्जर मैकेनिकल-इलेक्ट्रिकल सिस्टम के कारण इस प्रकार के हादसे का खतरा अधिक होता है।
धमाके से जहाज़ का संचार तंत्र पूरी तरह नष्ट हो गया, जिससे क्रू सदस्यों को मदद मँगाने में देरी हुई। स्टीयरिंग सिस्टम फेल होने के कारण जहाज़ समुद्र में बेकाबू होकर बहने लगा।
बचाव अभियान: नौसेना और कोस्ट गार्ड की ऐतिहासिक सफलता
जैसे ही हादसे की सूचना मिली, भारतीय नौसेना और कोस्ट गार्ड ने ऑपरेशन समुद्र शक्ति शुरू किया। मुंबई स्थित मैरीटाइम ऑपरेशन सेंटर (MOC) ने कोच्चि को अलर्ट कर INS सूरत युद्धपोत को घटनास्थल की ओर रवाना किया।
इसके अतिरिक्त, कोस्ट गार्ड ने चार जहाज़, ICGS राजदूत, अर्नवेश, सचेत और समुद्र प्रहरी, तथा दो डोर्नियर विमान भी तैनात किए। 18 क्रू सदस्यों को सफलतापूर्वक बचा लिया गया, हालांकि कुछ को जलने और दम घुटने जैसी चोटें आई थीं।
लापता 4 सदस्यों की तलाश के लिए हेलिकॉप्टर, ड्रोन, सोनार और इन्फ्रारेड तकनीकों का सहारा लिया जा रहा है। जहाज़ से उठ रहे धुएँ को नियंत्रित करने के लिए विशेष फायर रिटार्डेंट केमिकल का छिड़काव भी किया गया है।
पर्यावरणीय संकट: समुद्र में बिखरे कंटेनर और रसायनों का खतरा
इस हादसे ने केरल के समुद्री इकोसिस्टम को गंभीर खतरे में डाल दिया है। जहाज़ से गिरे कंटेनरों में नाइट्रिक एसिड, प्लास्टिक नर्डल्स और कैल्शियम कार्बाइड जैसे खतरनाक रसायन होने की आशंका है।
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने चेतावनी दी है कि कैल्शियम कार्बाइड पानी के संपर्क में एसिटिलीन गैस छोड़ता है, जो ज्वलनशील और विषैली है, इससे समुद्री जीवन और तटीय समुदाय दोनों को खतरा है।
पिछले महीने हुए MSC एल्सा 3 हादसे की तरह इस बार भी प्लास्टिक नर्डल्स जैसे रसायनों के तटीय इलाकों तक पहुँचने की आशंका है। मालाबार अपवेलिंग ज़ोन जैसी संवेदनशील समुद्री जगहों को इससे बड़ा नुकसान हो सकता है। इसलिए मछुआरों को कोझिकोड से कोल्लम तक समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है।
नीतिगत कमियाँ और भविष्य की चुनौतियाँ
यह हादसा भारत की समुद्री सुरक्षा नीति पर गंभीर सवाल खड़े करता है। केरल सरकार ने केंद्र सरकार के सामने तीन प्रमुख माँगें रखी हैं:
- 25 साल से पुराने जहाज़ों पर प्रतिबंध।
- खतरनाक कार्गो की रियल-टाइम ट्रैकिंग व्यवस्था।
- तटीय निगरानी के लिए एडवांस्ड ड्रोन की तैनाती।
भारतीय नौसेना के पूर्व प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने इस हादसे को केरल तट पर दो महीने में दूसरा बड़ा हादसा बताया और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार निरीक्षण प्रक्रिया को और सख्त करने की सलाह दी।
प्रारंभिक जांच और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
सिंगापुर की मैरीटाइम एंड पोर्ट अथॉरिटी (MPA) भारतीय अधिकारियों के साथ मिलकर जाँच कर रही है। प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अनुसार, जहाज़ के इंजन रूम में शॉर्ट सर्किट के कारण विस्फोट हुआ हो सकता है, लेकिन अभी पुष्टि नहीं हुई है।