गोपालगंज में अमित शाह की रैली महज एक फ्लॉप शो बनकर रह गई। जनता का उत्साह ठंडा पड़ा था, क्योंकि वही घिसे-पिटे बयान सुन-सुनकर लोग तंग आ चुके हैं। बिहार के लोग अब समझ चुके हैं कि नीतीश कुमार और भाजपा की सियासत सिर्फ सत्ता के लिए है, जनता के लिए नहीं। 20 सालों से विकास के नाम पर सिर्फ खोखले वादे हुए, लेकिन हकीकत यह है कि बिहार बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, अपराध और महंगाई से जूझ रहा है। नीतीश कुमार की पलटीमार राजनीति और भाजपा के झूठे दावों की असलियत अब किसी से छिपी नहीं। बिहार की जनता अब बदलाव चाहती है, उसे विकास के नाम पर छले जाने का और कोई इरादा नहीं। अब जुमलेबाजी नहीं, अब जनता जवाब देगी – “लालू महामंत्र ही खेवैया!”
1️⃣ लोग पिछले 20 सालों से एक ही जुमला सुनते-सुनते तंग आ चुके हैं
हर चुनाव में भाजपा और जदयू के नेता वही पुराने वादे दोहराते हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत बिल्कुल उलट होती है।
- 2005 में कहा गया था कि बिहार को औद्योगिक राज्य बनाया जाएगा, लेकिन 2025 में भी हालात वही हैं – बेरोजगारी चरम पर है।
- हर चुनाव में विशेष राज्य का दर्जा देने की बात उठती है, लेकिन जब सरकार बनती है तो यह मुद्दा ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।
- बिहार के युवाओं को रोज़गार देने की बात करने वाले NDA नेताओं को बताना चाहिए कि पिछले 20 सालों में कितनी फैक्ट्रियां लगीं?
2️⃣ हर मंच से नीतीश कुमार की बेइज्जती से JDU कार्यकर्ता नाराज
नीतीश कुमार अब एक लाचार मुख्यमंत्री से ज़्यादा कुछ नहीं रह गए हैं। भाजपा के नेता खुले मंच से उन्हें “पलटीमार” कहते हैं, लेकिन सत्ता की भूख में वे बार-बार भाजपा के दरवाजे पर खड़े हो जाते हैं।
- 2017 में BJP से गठबंधन तोड़कर महागठबंधन में गए, फिर 2020 में वापस आ गए, और अब फिर भाजपा के करीब दिख रहे हैं।
- JDU कार्यकर्ता असमंजस में हैं – वे सत्ता में हैं या विपक्ष में? पार्टी की असली पहचान ही खत्म हो गई है।
- अमित शाह खुद कह चुके हैं कि नीतीश कुमार पर अब कोई भरोसा नहीं कर सकता – फिर भी BJP उन्हें गले लगाने को तैयार है!
3️⃣ 2005 में चीनी मिलों को खोलने का वादा, 2025 में फिर वही जुमला!
- बिहार में बंद पड़ी चीनी मिलों को लेकर 2005 में बड़ी-बड़ी घोषणाएं की गई थीं, लेकिन 20 साल बाद भी स्थिति जस की तस है।
- गोपालगंज, पश्चिम चंपारण और सीवान में एक समय चीनी मिलें अर्थव्यवस्था की रीढ़ थीं, लेकिन अब वहां सिर्फ बेरोजगारी और पलायन है।
- आज भी किसानों को गन्ने का भुगतान समय पर नहीं मिलता, और सरकार सिर्फ खोखले दावे करती है।
4️⃣ बेतहाशा बढ़ती महंगाई ने मिडल क्लास की कमर तोड़ रखी है
- गैस सिलेंडर ₹1200 का हो गया, पेट्रोल ₹110 लीटर – यह किसका “अच्छे दिन” है?
- खाद्य पदार्थों के दाम इतने बढ़ गए हैं कि आम आदमी के लिए घर चलाना मुश्किल हो गया है।
- बिहार में सरकारी योजनाओं का लाभ गरीबों तक नहीं पहुंचता, क्योंकि भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी चरम पर है।
5️⃣ बिहार में हत्या, लूट, घूसखोरी चरम पर – NDA चुप क्यों?
- शराबबंदी के नाम पर पुलिस गरीबों और दलितों को परेशान कर रही है, जबकि असली शराब माफिया सत्ता के संरक्षण में फल-फूल रहे हैं।
- पिछले पांच वर्षों में बिहार में अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ा है – हत्या, लूट, अपहरण के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे।
- भ्रष्टाचार इतना बढ़ चुका है कि आम आदमी को हर सरकारी काम के लिए रिश्वत देनी पड़ती है।
6️⃣ बिहार की शिक्षा व्यवस्था रसातल में – लेकिन नीतीश को चिंता नहीं!
- Bihar Board लगातार घोटालों का अड्डा बन चुका है – “टॉपर घोटाला”, “नकल माफिया”, “फर्जी अंकपत्र”।
- सरकारी स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं, कॉलेजों में एडमिशन के लिए छात्रों को दर-दर भटकना पड़ता है।
- बिहार के विश्वविद्यालयों में सेशन लेट एक आम समस्या बन चुकी है – चार साल की डिग्री छह-सात साल में पूरी हो रही है।
7️⃣ नशे का जाल बिछा, अधिकारी पैसे उगाही में लगे, सामाजिक सुरक्षा नगण्य
- पहले शराब माफियाओं को खुली छूट दी गई, फिर शराबबंदी के नाम पर घूसखोरी का नया धंधा शुरू हुआ।
- छोटे अधिकारी घूस लेकर शराब बेचने देते हैं, बड़े अधिकारी पैसे उगाही करते हैं, और आम जनता पिस रही है।
- शराबबंदी के बावजूद बिहार में हर जगह अवैध शराब धड़ल्ले से बिक रही है – यह साबित करता है कि कानून सिर्फ दिखावा है।
8️⃣ BPSC घोटाला और युवाओं का पलायन – नीतीश की चुप्पी क्यों?
- BPSC की परीक्षाओं में धांधली कोई नई बात नहीं है – पेपर लीक, रिजल्ट में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के कारण युवाओं का भविष्य अंधकार में है।
- बिहार के युवा रोज़गार की तलाश में पलायन कर रहे हैं – दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र में बिहारी मज़दूरों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
- सरकार सिर्फ वादे करती है, लेकिन वास्तविकता यह है कि बिहार में सरकारी नौकरी मिलना एक सपना बन चुका है।
NDA के झूठ और नीतीश की नाकामी का अंत!
बिहार ने 20 सालों में NDA की राजनीति देख ली, उनके जुमले सुन लिए, उनके खोखले वादों का दर्द झेल लिया। बेरोजगारी बढ़ती गई, महंगाई आसमान छूती गई, घूसखोरी, अपराध और भ्रष्टाचार ने बिहार की आत्मा को छलनी कर दिया। नीतीश कुमार की राजनीति सिर्फ सत्ता में बने रहने के लिए है – उनकी पलटीमार चालें अब किसी को चौंकाती नहीं, बल्कि जनता के जख्मों पर नमक छिड़कती हैं। भाजपा और जदयू ने बिहार को छलने के अलावा कुछ नहीं किया हैं । बिहार ने ठान ली है कि इस निरंकुश शासन को उखाड़ फेंकेगा!