हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X के एक यूज़र ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और सामाजिक न्याय के पुरोधा, लालू प्रसाद यादव को एक भावुक ख़त लिखा, जिसमें उनकी राजनीति, संघर्ष और समाज के हाशिए पर खड़े लोगों के प्रति उनके योगदान का उल्लेख किया गया। इस ख़त में लालू यादव की विचारधारा और उनकी विरासत को सम्मान दिया गया है।
पटना से दिल्ली तक लालू की गूंज
आज अप्रैल महीने का पहला दिन है। दिल्ली में मानो सूरज आग उगलने पर उतावला हो गया हो। इसी तपिश के बीच, एक छोटे से किराए के मकान में बैठा एक युवक, पंखे की गर्म हवा महसूस करते हुए, एक ख़त लिखने बैठा है। यह ख़त सिर्फ़ किसी व्यक्ति को नहीं, बल्कि उस विचारधारा को समर्पित है, जिसने पिछड़ों, गरीबों और वंचितों को आवाज़ दी। यह ख़त लालू प्रसाद यादव के नाम है।
सामाजिक न्याय की लड़ाई के प्रतीक
लालू यादव महज़ एक नाम नहीं हैं, बल्कि संघर्ष और सामाजिक न्याय के प्रतीक हैं। वे उस दोस्त की प्रेरणा थे, जो पिछड़ा होते हुए भी हर अन्याय से लड़ जाता था। जब उससे पूछा जाता कि इतनी हिम्मत कहां से लाते हो, तो वह कहता—’लालू यादव से।’ यही कारण है कि आज भी लाखों लोगों के दिलों में उनकी पहचान बनी हुई है।
राजनीति से परे एक आंदोलन
लालू प्रसाद यादव को सिर्फ़ राजनीति तक सीमित कर देना उनके योगदान को कमतर आंकने जैसा होगा। वे उस विचारधारा के वाहक हैं, जिसने सदियों से हाशिए पर रहे समाज को सत्ता के केंद्र में लाने का प्रयास किया। उन्होंने यह सिद्ध किया कि राजनीति सिर्फ़ सत्ता का खेल नहीं, बल्कि हाशिए पर खड़े लोगों के अधिकारों की लड़ाई भी हो सकती है।
घोटालों से आगे बढ़ती विरासत
लालू यादव के नाम को सिर्फ़ चारा घोटाले से जोड़कर देखना उनके संघर्ष का अपमान होगा। एक साजिश के तहत उन्हें फंसाने की कोशिश की गई, लेकिन क्या इससे उनकी उपलब्धियां मिटाई जा सकती हैं? रेलवे को घाटे से मुनाफे में लाने वाले लालू यादव ने प्रशासनिक क्षमता का परिचय भी दिया। उनकी राजनीति ने जातीय विभाजन के बजाय समानता और अधिकारों की बात की।
‘लालू अभी जिंदा है!’
आज जब उनकी सेहत को लेकर खबरें आती हैं, तो उनके समर्थकों के दिल भारी हो जाते हैं। भले ही वे सत्ता में न हों, लेकिन विचारों की सत्ता में उनकी पकड़ आज भी उतनी ही मजबूत है। विरोधी भी मानते हैं कि ‘लालू अभी जिंदा है।’ यह वही भावना है, जिसने गरीबों और वंचितों को लोकतंत्र में भागीदारी का भरोसा दिलाया।
लालू यादव: एक अमिट पहचान
लालू यादव केवल एक नेता नहीं, बल्कि एक भावना हैं, जिसने इस देश के हर हाशिए पर खड़े व्यक्ति को अहसास दिलाया कि लोकतंत्र केवल अमीरों और ऊंची जातियों के लिए नहीं है, बल्कि इसमें हर किसी की हिस्सेदारी है। उनकी विरासत को मिटाया नहीं जा सकता।
इस ख़त को लिखते हुए, लेखक ने अपने लैपटॉप पर ए.आर. रहमान का प्रसिद्ध गीत बजा रखा है—“ये जो देश है तेरा…”। शायद यह गीत ही उस भावना को व्यक्त कर रहा है, जो लालू यादव के विचारों से गूंजती है।
प्रिय, लालू जी। @laluprasadrjd
— चाय, इश्क और राजनीति। (@chayisquerajnit) April 1, 2025
आज अप्रैल महीने का पहला दिन है, दिल्ली में मानो सूरज आग उगलने पर उतावले हो गया हो, इसी आग उगलते हुए शहर के एक छोटे से किराए के मकान में पंखे के गर्म को महसूस करते हुए, एक लड़का आपको याद करते हुए ख़त लिखने बैठा है।
आपको ख़त लिखने का कारण ये है कि… pic.twitter.com/QN6qGfqpNl