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लालू यादव ने किया परिवारवाद का अंत, बीजेपी और दूसरी पार्टियों के चेहरे पर करारा तमाचा

लालू यादव ने बेटे तेज प्रताप को 6 साल के लिए RJD से निकाला, निजी विवादों के बीच पार्टी की गरिमा को तरजीह दी। उनके लिए परिवार से ऊपर पार्टी, और पार्टी से ऊपर जनता का भरोसा है।

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में एक ऐतिहासिक मोड़ आया जब पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया। यह फैसला तेज प्रताप की निजी जिंदगी को लेकर हुए विवादों के बाद लिया गया, लेकिन इसका राजनीतिक संदेश बहुत बड़ा है, लालू यादव ने साबित कर दिया कि उनके लिए समाज और पार्टी की गरिमा, परिवार से कहीं ऊपर है।

तेज प्रताप और ऐश्वर्या का विवाद: 7 साल से चल रही अदालती लड़ाई

तेज प्रताप यादव तब सुर्खियों में आए जब 2018 में उन्होंने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा प्रसाद राय की पोती ऐश्वर्या राय से शादी किया। लेकिन महज 175 दिनों बाद ही उन्होंने तलाक की अर्जी दाखिल कर दी। सात साल बीत चुके हैं, लेकिन मामला अब भी पटना सिविल कोर्ट में लंबित है। ऐश्वर्या ने सेटलमेंट के लिए ₹36 करोड़ की मांग की है, साथ ही राबड़ी देवी आवास जैसा घर, एक कार, ड्राइवर, नौकर और हर महीने ₹1.5 लाख खर्चे की भी डिमांड रखी है। तेज प्रताप की ओर से गोला रोड में तीन कमरों का फ्लैट दिया गया था, लेकिन समाधान नहीं निकला।

तेज प्रताप और ऐश्वर्या राय

अनुष्का विवाद और निष्कासन

हाल ही में तेज प्रताप यादव ने फेसबुक पर दावा किया कि वे अनुष्का यादव के साथ रिश्ते में हैं। कुछ ही देर बाद तेज प्रताप ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर बयान जारी कर कहा कि उनके सोशल मीडिया अकाउंट हैक किया गया है और यह पूरी पोस्ट एक साजिश का हिस्सा है। उन्होंने लोगों से अफवाहों से दूर रहने की अपील की। लेकिन पार्टी ने उनकी सफाई को नकार दिया। इसके बाद लालू यादव ने सोशल मीडिया पर सख्त बयान जारी करते हुए कहा:

अब से पार्टी और परिवार दोनों में तेज प्रताप की कोई भूमिका नहीं रहेगी। उसे छह साल के लिए निष्कासित किया जा रहा है।

इस बयान ने स्पष्ट कर दिया कि लालू यादव के लिए सामाजिक मर्यादा और राजनीतिक अनुशासन सर्वोपरि है।

तेज प्रताप की बहन रोहिणी आचार्य की दो टूक प्रतिक्रिया

तेज प्रताप की बहन ने भी एक्स (पूर्व ट्विटर) पर प्रतिक्रिया दी:

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जो परिवार और परंपरा की मर्यादा का ध्यान रखते हैं, उन पर कभी सवाल नहीं उठते। जो अपनी सीमा लांघते हैं, वे खुद ही आलोचना के पात्र बनते हैं। पापा हमारे लिए देवतुल्य हैं और पार्टी हमारी पूजा। किसी की वजह से इनकी प्रतिष्ठा पर आंच आए, ये हमे स्वीकार नहीं।

लालू यादव का असली नेतृत्व और बीजेपी को करारा जवाब

भारतीय राजनीति में ‘परिवारवाद’ शब्द का इस्तेमाल कई बार विपक्ष को बदनाम करने के हथियार की तरह होता है, और अक्सर इसका पहला शिकार लालू प्रसाद यादव और उनकी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल (RJD), बनते हैं। लेकिन हाल ही में लालू यादव द्वारा अपने बेटे तेज प्रताप यादव को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित करना, इस पूरे विमर्श की जड़ों को ही झकझोर देता है।

यह महज़ पारिवारिक दूरी नहीं है, यह राजनीतिक ईमानदारी की एक जीवंत मिसाल है। जब एक पिता, जो दशकों से राजनीति में हो, अपने ही बेटे को अनुशासनहीनता पर सज़ा देता है, तो वह यह दिखा देता है कि उसके लिए परिवार से ऊपर पार्टी है, और पार्टी से ऊपर जनता का भरोसा।

राजनीति में सिद्धांतों की मिसाल

तेज प्रताप यादव का विवाद सिर्फ निजी नहीं था, बल्कि यह पार्टी की छवि को प्रभावित कर रहा था। चाहे तलाक का लंबा मामला हो या फिर फेसबुक पर अनुष्का यादव को लेकर की गई हल्की टिप्पणी, यह सब RJD के अनुशासन और सामाजिक छवि के खिलाफ जा रहा था।

लालू यादव ने ना सिर्फ तेज प्रताप को बाहर का रास्ता दिखाया, बल्कि ये दिखा दिया कि वो ‘परिवार से पहले पार्टी’ और ‘पार्टी से पहले जनता’ की भावना रखते हैं।

यह उस समय में एक साहसी निर्णय है जब अधिकांश नेता अपने बच्चों को राजनीति में आगे बढ़ाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं। ऐसे माहौल में लालू यादव का यह कदम राजनीतिक ईमानदारी की मिसाल है।

बीजेपी और दूसरी पार्टियों को लालू यादव से सीख लेनी चाहिए

परिवारवाद पर नैतिकता का चश्मा सिर्फ दूसरों को पहनाना काफी नहीं, खुद भी उसे लगाना पड़ता है। बीजेपी और दूसरी पार्टियाँ जो इस मुद्दे पर सबसे ज्यादा शोर मचाती हैं, वो खुद जब अपनी अगली पीढ़ियों को सीधा मंच और ओहदा देती हैं, तो सवाल तो उठेंगे ही।

कभी बिजनेस से आए लोग खेल संघों के मुखिया बन जाते हैं, कभी किसी नेता का बेटा पार्टी की कमान संभालने लगता है, तो किसी की बेटी बिना पॉलिटिकल बैकग्राउंड के संसद पहुंच जाती है। जब अपने घरों में सत्ता की कुर्सी सौंपी जा रही हो, तब दूसरों पर परिवारवाद का आरोप लगाना सिर्फ सियासी ड्रामा लगता है।

लालू यादव ने ये दिखा दिया कि अगर नेता में हिम्मत और ईमानदारी हो, तो वह अपने ही बेटे को भी पार्टी से बाहर कर सकता है। दूसरों को आईना दिखाने से पहले, उसमें खुद झांकना जरूरी है।

लालू का नेतृत्व, सिर्फ परिवार तक सीमित नहीं

लालू यादव हमेशा से ही एक जननेता रहे हैं, उनकी राजनीति का आधार सामाजिक न्याय, पिछड़ों की भागीदारी और गरीबों की आवाज रहा है।
उनकी राजनीति परिवार से शुरू नहीं होती, और ना ही वहां खत्म होती है। तेजस्वी यादव को आगे लाने के पीछे भी एक स्पष्ट रणनीतिक सोच रही है, उनकी नेतृत्व क्षमता, जनाधार और संवाद करने की ताकत। लेकिन तेज प्रताप जैसे सदस्य को जब वह पार्टी से निकालते हैं, तो वो यह साबित करते हैं कि लालू यादव के लिए पार्टी कोई निजी संपत्ति नहीं, बल्कि एक जनआस्था का मंच है।

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शिवम कुमार एक समर्पित और अनुभवी समाचार लेखक हैं, जो वर्तमान में OBCAWAAZ.COM के लिए कार्यरत हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में गहरी रुचि रखने वाले शिवम निष्पक्ष, तथ्यात्मक और शोध-आधारित समाचार प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते हैं। उनका प्रमुख फोकस सामाजिक मुद्दों, राजनीति, शिक्षा, और जनहित से जुड़ी खबरों पर रहता है। अपने विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण और सटीक लेखन शैली के माध्यम से वे पाठकों तक विश्वसनीय और प्रभावशाली समाचार पहुँचाने का कार्य करते हैं। शिवम कुमार का उद्देश्य निष्पक्ष और जिम्मेदार पत्रकारिता के जरिए समाज में जागरूकता फैलाना और लोगों को सटीक जानकारी प्रदान करना है।

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