बिहार के मिथिलांचल की उपज “मखाना” आज सिर्फ पारंपरिक भोजन नहीं, बल्कि स्वास्थ्य-प्रेमी उपभोक्ता के पसंदीदा सुपरफूड में बदल चुका है। इसी परिदृश्य में सामने आया है Makhana Today, जिसे गाँव के युवा उद्यमी ऋतुराज भारती ने शुरुआत दी और उन्होंने साहस, संवेदनशीलता व सूझ-बूझ के साथ अपने शहर सहरसा (बिहार) से दिल्ली-एनसीआर तक का सफर तय किया है।
ग्रामीण पृष्ठभूमि से उठती आवाज
सहरसा के किसान-परिवार से आने वाले हृतुराज ने बचपन से देखा कि स्थानीय किसान मखाना उगाते हैं, लेकिन अधिकांश मुनाफा बीचचौलियों को चला जाता है। उन्होंने यह ठाना कि किसान-से-उपभोक्ता तक सीधे पहुंच का मॉडल अपनाया जाए ताकि किसान का हिस्सा बढ़े और उपभोक्ता को भी गुणवत्ता मिल सके।
उद्योग का परिदृश्य: आंकड़ों के साथ अवसर एवं चुनौतियाँ
- भारत में मखाना उत्पादन में अग्रणी राज्य बिहार का योगदान लगभग 85-90 % तक है।
- 2023-24 में बिहार में मखाना उत्पादन लगभग 56,400 मीट्रिक टन और क्षेत्र लगभग 27,800 हेक्टेयर रहा।
- 2012-13 में बिहार में मखाना की खेती लगभग 13,000 हेक्टेयर पर थी, जो 2024 में लगभग 35,224 हेक्टेयर तक पहुँच गई करीब 170 % वृद्धि।
- भारत का मखाना बाजार (सेल्फ-रिटेल/ब्रांडेड स्नैक्स) 2024 में लगभग ₹ 850 करोड़ (INR 8.5 बिलियन) था, और अनुमान है कि 2033 तक यह लगभग ₹ 1,960 करोड़ तक पहुँच सकता है, CAGR ~9.2%।
- उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव: स्वस्थ स्नैक्स की ओर रुझान बढ़ रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 65 % उपभोक्ताओं ने मखाना को सुपरफूड के रूप में माना है।
- मूल्य-शृंखला में मुसीबतें: मखाना प्रसंस्करण व मार्केटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी के कारण किसानों को अपेक्षित मूल्य नहीं मिलता।
Makhana Today का मिशन: किसान-से-उपभोक्ता तक सीधा मार्ग
ऋतुराज ने “किसान से सीधे उपभोक्ता” (farm-to-consumer) मॉडल अपनाया। उन्होंने अपने गाँव के किसानों से मखाना सीधे उठाया, पैकेजिंग एवं ऑनलाइन बिक्री को सक्रिय किया, और दिल्ली-एनसीआर मे उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण मखाना उचित दामों पर उपलब्ध कराया।
उनकी प्राथमिकताएँ:
- स्थानीय किसानों को बेहतर दाम व अवसर देना
- गुणवत्ता, ताजगी, पॉपिंग प्रोसेस व पैकेजिंग पर विशेष ध्यान
- उपभोक्ता को स्वास्थ्य-स्नैक विकल्प के रूप में मखाना उपलब्ध कराना
भावनात्मक जुड़ाव: किसानों की आँखों से उपभोक्ता की रसोई तक
जब ऋतुराज एक मखाना-किसान के तालाब किनारे खड़े होते हैं, तो उन्हें सिर्फ फसल नहीं दिखती, उन्हें दिखती है वो पारीश्रम, वो उम्मीद-की-चिंगारी, वो मौसम-लड़ाई।
उधर, दिल्ली-एनसीआर की एक माँ अपने बच्चों को मखाना स्नैक देते वक्त सोचती है। यह सिर्फ स्नैक नहीं, गाँव-की-मेहनत का स्वाद है।
इससे जुड़ता है Makhana Today का मूल संदेश — खेती-का-सपना + शहर-का-स्वाद + किसान-का-सम्मान = एक साझा सफलता।
भविष्य की दिशा: आगे की राह
ऋतुराज का विजन है:
- ज़्यादा से ज़्यादा किसानों को इस मॉडल में शामिल करना
- नई फ्लेवर्स, हेल्थ-पैकिंग, ब्रांडिंग द्वारा श्रेणी का विस्तार करना
- उत्तर-भारत के बड़े शहरों में पहुँच बढ़ाना
- किसानों की आय में वृद्धि करना, ग्रामीण स्वरोजगार बढ़ाना
Makhana Today से कम क़ीमत पर मखाना ऑर्डर करने के लिए इनके आधिकारिक वेबसाइट पर जाए makhanatoday.com और ऑर्डर करें.


