पश्चिम बंगाल में 26 हजार से ज्यादा शिक्षकों और कर्मचारियों की भर्ती को सुप्रीम कोर्ट ने अवैध घोषित कर दिया है, जिसके बाद राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है। इस फैसले के बाद बीजेपी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इस्तीफे की मांग की है, जबकि सीपीएम ने इन पदों को जल्द से जल्द भरने की बात की है। ममता बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह न्यायपालिका का सम्मान करती हैं, लेकिन इस फैसले को स्वीकार नहीं कर सकतीं।
ममता बनर्जी का बयान: न्यायपालिका का सम्मान, लेकिन फैसले से असहमत
ममता बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दी प्रतिक्रिया, “मैं न्यायपालिका का सम्मान करती हूं, लेकिन इस फैसले को लेकर मैं खुश नहीं हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि वह उन लोगों से मिलेंगी जिन्होंने अपनी नौकरियां खो दी हैं और उन्हें उम्मीद न खोने के लिए प्रेरित करेंगी। ममता ने कहा कि वह नौकरी खो चुके लोगों के साथ खड़ी रहेंगी और उनकी परेशानियों को समझेंगी।
बीजेपी और ममता के बीच आरोप-प्रत्यारोप
बीजेपी ने इस फैसले के बाद ममता बनर्जी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया, और कहा कि ममता सरकार में शिक्षित बेरोजगार युवाओं की योग्यता को पैसे के बदले बेचा गया। ममता ने बीजेपी से सवाल करते हुए कहा, “क्या आप चाहते हैं कि बंगाल की शिक्षा प्रणाली पूरी तरह से ध्वस्त हो जाए?” उन्होंने बीजेपी के नेताओं से भी सवाल किया कि मध्य प्रदेश के व्यापम मामले में बीजेपी के कितने नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की गई?
धरने पर बैठे शिक्षक: न्यायपालिका से अपील
इस फैसले के बाद, 2016 की भर्ती परीक्षा पास करने वाले सैकड़ों शिक्षक महीनों से कोलकाता में धरने पर बैठे हैं और न्यायपालिका से उनकी समस्याओं पर विचार करने की अपील कर रहे हैं। इन शिक्षकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी उनके मामलों का सही तरीके से हल नहीं निकला है और वे न्याय की उम्मीद रखते हैं।