बेल्जियम में मेहुल चोकसी गिरफ्तार होना भारत के लिए एक बड़ी कानूनी और कूटनीतिक सफलता मानी जा रही है। ₹13,000 करोड़ के पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले में मुख्य आरोपी और भगोड़ा हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को बेल्जियम में हिरासत में ले लिया गया है। यह कार्रवाई भारत की CBI और ED द्वारा की गई लंबी कानूनी प्रक्रिया और प्रत्यर्पण अनुरोध का परिणाम है, जिसे शनिवार को बेल्जियम की एजेंसियों ने मंजूरी दी।
मेहुल चोकसी 2018 में देश छोड़कर पहले एंटीगुआ भाग गया था, जहां उसने नागरिकता भी हासिल कर ली थी। हालांकि, पिछले साल वह इलाज के बहाने बेल्जियम गया और वहीं छिपा रहा। इंटरपोल द्वारा जारी रेड नोटिस पहले ही हटा लिया गया था, इसलिए भारतीय एजेंसियों ने वैकल्पिक रास्ता अपनाते हुए आधिकारिक प्रत्यर्पण का अनुरोध किया था।
भारत ने चोकसी के खिलाफ दो खुले गिरफ्तारी वारंट, 2018 और 2021 में जारी किए गए, बेल्जियम को सौंपे। इसके अलावा सीबीआई और ईडी की ओर से उसके खिलाफ कुल पाँच चार्जशीट भी दाखिल की जा चुकी हैं। इस गिरफ्तारी के बाद अब औपचारिक दस्तावेजी प्रक्रिया जारी है और उम्मीद है कि जल्द ही उसे भारत लाया जा सकेगा।
क्या है PNB घोटाला?
इस मामले में मेहुल चोकसी और उसका भांजा नीरव मोदी मुख्य आरोपी हैं। इन दोनों ने बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से मुंबई के ब्रैडी हाउस ब्रांच से फर्जी LOUs (लेटर ऑफ अंडरटेकिंग) और FLCs (फॉरेन लेटर ऑफ क्रेडिट) जारी करवा कर विदेशी बैंकों से कर्ज लिया, जिसे चुकाया ही नहीं गया। इससे PNB को ₹13,000 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ।
घोटाले के सामने आते ही चोकसी और नीरव मोदी देश छोड़कर फरार हो गए। नीरव मोदी फिलहाल लंदन की जेल में बंद है और उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया भी चल रही है।
बेल्जियम में मेहुल चोकसी गिरफ्तार होने के बाद अब भारत की कोशिश है कि उसे जल्द से जल्द देश वापस लाया जाए ताकि उस पर भारतीय कानून के तहत मुकदमा चलाया जा सके। हालांकि, चोकसी स्वास्थ्य के आधार पर बेल्जियम की अदालत में जमानत की अर्जी दे सकता है, लेकिन भारत की एजेंसियां तैयार हैं।
इस गिरफ्तारी से एक बार फिर यह सिद्ध होता है कि अब आर्थिक अपराधियों के लिए विदेशों में भी सुरक्षित रह पाना आसान नहीं होगा। भारत सरकार की कड़ी नीतियों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के चलते ऐसे भगोड़ों पर शिकंजा कसता जा रहा है।