लेटेस्ट ख़बरे विधानसभा चुनाव ओपिनियन जॉब - शिक्षा विदेश मनोरंजन खेती टेक-ऑटो टेक्नोलॉजी वीडियो वुमन खेल बायोग्राफी लाइफस्टाइल

मॉक ड्रिल अगर पहले होती, तो शायद पुंछ के मासूम जिंदा होते: ऑपरेशन सिंदूर से पहले की चूक पर उठे सवाल

ऑपरेशन सिंदूर से पहले अगर पूंछ में मॉक ड्रिल कराई जाती, तो 12 मासूमों की जान बच सकती थी। सवाल सेना से नहीं, सरकार की नागरिक सुरक्षा व्यवस्था से है।

देश के 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 244 शहरों में हाल ही में 12 मिनट की ब्लैकआउट एक्सरसाइज आयोजित की गई। गृह मंत्रालय ने इन शहरों को सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट के रूप में सूचीबद्ध किया था। उद्देश्य स्पष्ट था, आपदा प्रबंधन और नागरिक सुरक्षा में सुधार। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या ऐसी ही तैयारी जम्मू-कश्मीर के पुंछ में भी होनी चाहिए थी, जहां हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान आम नागरिकों की दर्दनाक मौतें हुईं।

यदि पुंछ में भी मॉक ड्रिल कराई गई होती, तो शायद मासूम मोहम्मद जैन खान, जोया खान, विहान भार्गव, मरियम खातून और अन्य नागरिक जैसे मोहम्मद अकरम, बलविंदर कौर उर्फ रूबी, अमरीक सिंह, मोहम्मद इकबाल, रंजीत सिंह, अमरजीत सिंह, शकीला बी और मोहम्मद रफी की जान बचाई जा सकती थी।

इस हमले में पाकिस्तान ने किसी से उनका नाम नहीं पूछा, कलमा भी नहीं पढ़वाया, पैन्ट भी नहीं उतरवाई और न ही मस्जिद या गुरुद्वारे की परवाह की। निर्दोष नागरिकों को बेरहमी से निशाना बनाया गया। पाकिस्तान सेना की इस नापाक हरकत में पुंछ के श्री गुरु सिंह सभा साहिब गुरुद्वारे में तीन गुरसिखों की भी मौत हो गई।

युद्ध में दोनों तरफ़ से बढ़ा-चढ़ाकर दावे किए ही जातें हैं, अनियंत्रित मीडिया के सहारे देश के लोगों को खुश करने वाली खबरें चलवाई जाती हैं। जैसा कि हमने यूक्रेन-रूस और गाजा-इज़राइल युद्धों में भी देखा है। संभव हो कि ऐसा ही कुछ कल से हो रहा है क्योंकि अलग अलग मीडिया अलग अलग दावे कर रहा है, पाकिस्तान कुछ कह रहा है और भारत सरकार कुछ कह रही है।

खैर पाकिस्तानी दावों पर भरोसा करना मुर्खता ही होगी, हम लोग मीडिया पर भरोसा भले ना करें मगर हम भारत सरकार और भारतीय सेना के दावों के साथ हैं परन्तु पूंछ में जो हुआ उसकी तो लाशें भी सामने हैं।

सवाल सेना से नहीं, सरकार से है कि यदि यह होना ही था तो पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों को खाली क्यों नहीं कराया गया? यह काम प्रशासन का है कि वह देश के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करके ही कोई और काम करे। नागरिकों की सुरक्षा उसका प्रथम कर्तव्य है। तो जब “ऑपरेशन सिंदूर” करना था, तो LOC से लगे पुंछ के इस इलाके से लोगों को हटा लेना चाहिए था। कुछ नहीं कर सकते थे तो “मॉक ड्रिल” ही करा लेते।

whatsapp logoओबीसी आवाज चैनल को फॉलो करें

मॉक ड्रिल दरअसल एक अभ्यास होता है जिसमें किसी आपातकालीन स्थिति जैसे आग, भूकंप, आतंकी हमला, युद्ध आदि का नकली परिदृश्य बनाकर उसका सामना करने की तैयारी की जाती है।

इसका उद्देश्य लोगों को आपात स्थिति में सही प्रतिक्रिया, सुरक्षा उपाय और निकासी प्रक्रिया सिखाना है। यह सुनिश्चित करता है कि वास्तविक संकट में लोग घबराएं नहीं और संगठित तरीके से कार्य करें।

यही “पुंछ” के लोगों को पहले ही सिखा दिया जाता तो बेहतर होता, क्योंकि तनाव और आतंकवादी हमले की संभावनाओं के बीच सबसे अधिक वही रहते हैं।

बाकी “ऑपरेशन सिंदूर” करने पर सेना को सैल्यूट है। वही हुआ जो 2019 में हुआ था “सर्जिकल स्ट्राइक”। जबकि बात POK और पूरे पाकिस्तान को भारत में शामिल करने की हो रही थी। हम तो उसी इंतज़ार में हैं। उम्मीद है हमारी सेना हमारे उस सपने को भी पूरा करेगी।

जय हिंद — जय हिंद की सेना।

ताज़ा खबरों से अपडेट रहें! हमें फ़ॉलो जरूर करें X (Formerly Twitter), WhatsApp Channel, Telegram, Facebook रियल टाइम अपडेट और हमारे ओरिजिनल कंटेंट पाने के लिए हमें फ़ॉलो करें


अनिल यादव एक वरिष्ठ पत्रकार हैं जो Anil Yadav Ayodhya के नाम से जाने जाते हैं। अनिल यादव की कलम सच्चाई की गहराई और साहस की ऊंचाई को छूती है। सामाजिक न्याय, राजनीति और ज्वलंत मुद्दों पर पैनी नज़र रखने वाले अनिल की रिपोर्टिंग हर खबर को जीवंत कर देती है। उनके लेख पढ़ने के लिए लगातार OBC Awaaz से जुड़े रहें, और ताज़ा अपडेट के लिए उन्हें एक्स (ट्विटर) पर भी फॉलो करें।

Leave a Comment