मोदी और ट्रंप की आर्थिक नीतियों को लेकर कांग्रेस ने सोमवार को तीखा हमला बोला। शेयर बाजार में लगभग 19 लाख करोड़ रुपये के नुकसान के बाद पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को निशाने पर लिया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “इसमें कोई हैरानी नहीं कि मोदी और ट्रंप खुद को अच्छे दोस्त कहते हैं। दोनों ही अपनी-अपनी अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान पहुंचाने में माहिर हैं।”
सोमवार को भारतीय शेयर बाजार खुलते ही निवेशकों को गहरा झटका लगा। सेंसेक्स में 4,000 अंकों की और निफ्टी में 1,200 अंकों की बड़ी गिरावट दर्ज की गई। इस गिरावट के साथ बाजार 10 महीने के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। इस अचानक आई गिरावट की वजह अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ नीति को बताया जा रहा है, जिसका असर भारतीय उद्योगों पर भी साफ नजर आया।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ ही मिनटों में बाजार से करीब 19 लाख करोड़ रुपये की पूंजी साफ हो गई। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार पहले से ही ट्रंप की टैरिफ नीति को लेकर आगाह थी, फिर भी उसकी कोई ठोस तैयारी नहीं थी। इस मुद्दे पर राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने नोटबंदी के दिन को याद करते हुए कहा, “8 नवंबर 2016 को जब नोटबंदी हुई थी, तब भी बाजार को तगड़ा झटका लगा था। अब 2 अप्रैल 2025 को टैरिफ लागू किए गए हैं, जिनका असर फिर से बाजार पर पड़ रहा है।”
इस मुद्दे को लेकर राहुल गांधी ने भी संसद में कड़ा रुख अपनाया। लोकसभा में शून्यकाल के दौरान उन्होंने मोदी सरकार से सवाल किया कि आखिर किन आधारों पर इतने गंभीर टैरिफ लागू किए जा रहे हैं? राहुल गांधी ने चेताया कि ये कदम भारतीय मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट सेक्टर को बर्बाद कर देंगे। उन्होंने कहा कि आज जब देश को स्थिर नीति की ज़रूरत है, तब सरकार बिना पूर्व योजना के ऐसे निर्णय ले रही है जिनसे अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो रहा है।
राहुल गांधी ने अपने भाषण में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के एक ऐतिहासिक वक्तव्य का हवाला देते हुए कहा, “किसी ने उनसे पूछा था कि विदेश नीति में आप बाएं झुकती हैं या दाएं? उन्होंने जवाब दिया था—मैं न दाएं झुकती हूं, न बाएं, मैं सीधी खड़ी रहती हूं।” इस बयान के माध्यम से राहुल ने संकेत दिया कि सरकार को आत्मनिर्भर और संतुलित रुख अपनाना चाहिए, न कि अमेरिकी दबाव में निर्णय लेने चाहिए।
कांग्रेस का मानना है कि यदि समय रहते सरकार ने टैरिफ नीति पर पारदर्शिता दिखाई होती और घरेलू उद्योगों की सुरक्षा के लिए कदम उठाए होते, तो बाजार में इतनी भारी गिरावट नहीं आती। विपक्ष की मांग है कि सरकार तुरंत इस नीति की समीक्षा करे और वित्तीय बाजारों को स्थिर करने के लिए प्रभावी कदम उठाए।