MSME योजनाएँ 2025: उद्यमियों की समस्याएँ और समाधान
हाल ही में मुझे सिलीगुड़ी के MSME DFO श्री टी.के. बनर्जी से मिलने का अवसर मिला। यह मुलाक़ात मेरे लिए बेहद उपयोगी और प्रेरणादायक रही मैं अपने साथ Dream of Soul का ईको-सस्टेनेबिलिटी किट ले गई थी-वही किट, जिसे मैं भारतीय संस्कृति और सस्टेनेबिलिटी को जोड़कर एक नए ग्रीन गिफ्टिंग मॉडल (Green Gifting Model) के रूप में आगे बढ़ा रही हूँ।
मैंने उनसे अपना पूरा बिज़नेस मॉडल साझा किया और 1 किट भेंट की। उन्होंने ध्यानपूर्वक हर प्रोडक्ट को देखा और ईमानदार फीडबैक दिया सबसे खास बात यह रही कि उन्होंने मुझे MSME की विभिन्न योजनाओं और पोर्टल्स के बारे में विस्तार से बताया, जो मेरे जैसे उद्यमियों के लिए सच में वरदान हैं।
इस अनुभव के आधार पर मैं यहाँ उन सामान्य समस्याओं और MSME समाधान को साझा कर रही हूँ, जिनका सामना हम उद्यमी रोज़ करते हैं।

औपचारिक बनें: सही पंजीकरण से शुरुआत
उद्योग का वर्गीकरण (MSME)
सरकार ने निवेश और वार्षिक टर्नओवर के आधार पर उद्यमों को तीन श्रेणियों में बाँटा है –
- माइक्रो (Micro): निवेश ₹1 करोड़ तक और टर्नओवर ₹5 करोड़ तक।
- स्मॉल (Small): निवेश ₹10 करोड़ तक और टर्नओवर ₹50 करोड़ तक।
- मीडियम (Medium): निवेश ₹50 करोड़ तक और टर्नओवर ₹250 करोड़ तक।
इस वर्गीकरण से उद्यमों को ऋण, सब्सिडी और विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है।
क्या करें: सबसे पहले Udyam Registration कराएँ। अगर आपके पास सभी डॉक्यूमेंट्स नहीं हैं तो Udyam Assist Platform (UAP) के माध्यम से भी औपचारिक उद्यम बन सकते हैं।
MSME समस्याएँ और समाधान: डेटा समर्थित दृष्टिकोण
ऋण के लिए जमानत की समस्या
समस्या: भारत में 70% से अधिक MSMEs बैंकों से क्रेडिट पाने में कठिनाई झेलते हैं क्योंकि उनके पास जमानत (Collateral) नहीं होती यह वित्तीय विकास में सबसे बड़ी बाधा है।
MSME समाधान: CGTMSE (Credit Guarantee Fund Trust for Micro and Small Enterprises) – 1 अप्रैल 2025 से संशोधित नियमों के तहत:
- माइक्रो/महिला/अग्निवीर प्रमोटेड MSEs → 90% गारंटी कवर
- NER, J&K, लद्दाख → 80%
- अन्य श्रेणी → 75%
प्रक्रिया: बैंक/NBFC को आवेदन करते समय CGTMSE कवर जोड़ें।
नई यूनिट शुरू करने के लिए पूँजी
समस्या: स्टार्टअप और ग्रीन-फील्ड MSMEs के पास equity gap की समस्या रहती है। बिना Seed Funding, पहला कदम उठाना कठिन है
MSME समाधान: PMEGP (Prime Minister’s Employment Generation Programme):
सब्सिडी (Margin Money):
- शहरी क्षेत्र → सामान्य वर्ग: 15% | महिला/SC/ST/NER: 25%
- ग्रामीण क्षेत्र → सामान्य वर्ग: 25% | महिला/SC/ST/NER: 35%
- अधिकतम प्रोजेक्ट कॉस्ट → मैन्युफैक्चरिंग ₹50 लाख, सर्विस ₹20 लाख।
प्रक्रिया: ऑनलाइन पोर्टल + DPR + EDP ट्रेनिंग।
बड़े खरीदारों से भुगतान में देरी
समस्या: FICCI रिपोर्ट (2024) के अनुसार 40% MSMEs को ग्राहकों से 60 दिनों से अधिक देर से भुगतानमिलता है। इससे Cash Flow क्राइसिस होती है
MSME समाधान:
- MSME Samadhaan: पेमेंट डिफॉल्ट केस MSEFC में दर्ज → 45 दिन में निपटारा।
- MSME-ODR: डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म से ऑनलाइन विवाद समाधान।
पोर्टल: samadhaan.msme.gov.in
सरकारी खरीद में प्रवेश
समस्या: सरकारी टेंडरिंग प्रक्रिया लंबी और खर्चीली लगती है, छोटे MSMEs को एट्री में कठिनाई होती है।
MSME समाधान: Public Procurement Policy (2012)
- 25% खरीद MSMEs से अनिवार्य।
- इसमें 3% महिला उद्यमियों और 4% SC/ST के लिए उप-लक्ष्य।
- टेंडर डॉक्युमेंट्स मुफ्त + EMD से छूट।
पोर्टल: https://sambandh.msme.gov.in
गुणवत्ता और सर्टिफिकेशन का खर्च
समस्या: अंतरराष्ट्रीय व्यापार और B2B कॉन्ट्रैक्ट्स में NABL/ISO टेस्ट रिपोर्ट अनिवार्य होती है। लेकिन MSMEs के लिए इसका खर्च बहुत भारी है।
MSME समाधान:
- ZED Certification (Zero Defect Zero Effect): महिला-स्वामित्व MSMEs को 100% सब्सिडी।
- Technology Upgradation & Quality Certification: टेस्टिंग ऑडिट खर्च पर 75% सहायता(सीलिंग लागू)।
पोर्टल: https://zed.msme.gov.in
उत्पादन में लागत और वेस्टेज
समस्या: 60% MSMEs अभी भी पारंपरिक तरीकों से काम करते हैं, जिससे वेस्टेज ज़्यादा और प्रोडक्टिविटी कम होती है।
MSME समाधान: LEAN Scheme (31 मार्च 2026 तक वैध):
- बेसिक → इंटरमीडिएट → एडवांस्ड स्तर पर ट्रेनिंग।
- इंडस्ट्री 4.0 टूल्स अपनाने पर सब्सिडी।
पोर्टल: lean.msme.gov.in
डिज़ाइन, नवाचार और बौद्धिक संपदा
समस्या: IPR खर्च MSMEs के लिए बड़ा बोझ है। GI, ट्रेडमार्क, पेटेंट आदि कराने का खर्च कई लाख तक जाताहै।
MSME समाधान: MSME Innovative Scheme:
- विदेशी पेटेंट → ₹5 लाख तक रीइम्बर्समेंट।
- घरेलू पेटेंट → ₹1 लाख।
- GI → ₹2 लाख।
- ट्रेडमार्क → ₹10,000
पोर्टल: innovative.msme.gov.in
महँगी मशीनरी और टेस्ट लैब
समस्या: सभी MSMEs के लिए अलग से लैब और हाई-एंड मशीन लगाना संभव नहीं।
MSME समाधान: MSE-CDP (Cluster Development Programme):
- कॉमन फैसिलिटी सेंटर (CFC) बनाकर सभी MSMEs को साझा सुविधा।
पोर्टल: dcmsme.gov.in
पहली बार निर्यात
समस्या: EPC रजिस्ट्रेशन, टेस्टिंग, इंश्योरेंस और क्वालिटी सर्टिफिकेशन MSMEs के लिए भारी खर्च है।
MSME समाधान: International Cooperation (IC) Scheme:
- EPC-RCMC फीस, एक्सपोर्ट इंश्योरेंस, टेस्टिंग/सर्टिफिकेशन खर्च का रीइम्बर्समेंट।
पोर्टल: ic.msme.gov.in
प्रमाणित टेस्ट रिपोर्ट की ज़रूरत
समस्या: विदेशी खरीदार और सरकारी टेंडर NABL-ग्रेड टेस्ट रिपोर्ट मांगते हैं
MSME समाधान: MSME के Testing Centres & Stations
दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई + 18 अन्यजगहों पर।
सेवा: मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, मेटलर्जिकल, केमिकल टेस्टिंग।
सरकारी तंत्र से जुड़ाव
समस्या: उद्यमी नहीं जानते किस दफ्तर में जाएँ और कौन उनकी मदद करेगा
MSME समाधान: DC(MSME) का नेटवर्क:
- 30+ MSME DFOs,
- 20+ टेस्टिंग सेंटर्स,
- 10 टेक्नोलॉजी सेंटर्स → कंसल्टेंसी + स्किल + एक्सपोर्ट प्रमोशन।
B2B विज़िबिलिटी
समस्या: MSMEs को खरीदार नहीं मिलते और ऑनलाइन उपस्थिति की कमी रहती है।
MSME समाधान: NSIC Global Mart:
- सरकारी समर्थित B2B पोर्टल।
- लीड्स, इवेंट्स और नेटवर्किंग की सुविधा।
पोर्टल: nsic.co.in
शिकायत और मार्गदर्शन
समस्या: अलग-अलग मुद्दों पर अलग विभागों के चक्कर लगाने पड़ते हैं
MSME समाधान: CHAMPIONS पोर्टल:
- शिकायत निवारण, मार्गदर्शन और स्कीम लिंकिंग।
पोर्टल: champions.gov.in
इनवॉइस से जल्दी नकदी
समस्या: 90–120 दिन तक पेमेंट अटका रहता है, जिससे Working Capital ब्लॉक हो जाती है।
MSME समाधान: TReDS (Trade Receivables Discounting System):
- RBI-रेग्युलेटेड प्लेटफ़ॉर्म।
- MSMEs अपने इनवॉइस को डिस्काउंट कर कैश फ्लो तुरंत पा सकते हैं।
महिला उद्यमियों के लिए विशेष प्रोत्साहन
समस्या: महिलाओं को पहचान, नेटवर्क और प्रेफरेंस कम मिलती है
MSME समाधान:
- ZED में महिला MSMEs को 100% सब्सिडी।
- Public Procurement Policy में 3% कोटा।
सारी जानकारी एक जगह
समस्या: MSMEs अक्सर कन्फ्यूज़ रहते हैं कि कौन-सी योजना किस पोर्टल पर मिलेगी।
MSME समाधान: MY MSME Portal – Udyam, Samadhaan, Lean, ZED, Innovative आदिसबका सिंगल विंडो एक्सेस।
मेरी 10-स्टेप एक्शन चेकलिस्ट
- Udyam/UAP रजिस्ट्रेशन कराएँ।
- बैंक से ऋण लेते समय CGTMSE कवर जोड़ें।
- नई यूनिट/विस्तार के लिए PMEGP पर आवेदन करें।
- ZED ब्रॉन्ज से क्वालिटी रोडमैप शुरू करें।
- LEAN स्कीम से प्रक्रियाओं का मूल्यांकन कराएँ।
- IPR/डिज़ाइन के लिए रीइम्बर्समेंट लें।
- समय पर भुगतान न मिलने पर Samadhaan/ODR का उपयोग करें।
- सरकारी खरीद में GeM और Sambandh से लाभ लें।
- निर्यात हेतु IC स्कीम के अंतर्गत EPC/टेस्टिंग/इंश्योरेंस रीइम्बर्स कराएँ।
- नज़दीकी MSME-DFO या टेस्टिंग स्टेशन से परामर्श लें।
निष्कर्ष
MSME सिर्फ़ एक विभाग नहीं, बल्कि हर उद्यमी का सच्चा ग्रोथ पार्टनर है। सही रजिस्ट्रेशन, योजनाओं कीजानकारी और डिजिटल पोर्टल्स का उपयोग करके हम सभी उद्यमी अपने व्यवसाय को नई ऊँचाइयों तक ले जासकते हैं।
मैं विशेषकर महिला उद्यमियों से कहना चाहूँगी: कुछ भी असंभव नहीं है।
सही कदम उठाइए, चाहे वह CGTMSE के माध्यम से वित्तीय सहायता हो, ZED सर्टिफिकेशन से गुणवत्तासुधार, LEAN से क्षमता निर्माण, या Samadhaan से विवाद निवारण, हर समस्या का समाधान MSME के पास है।
(लेखक रंजीता मंडल दक्षिण भारत की उभरती हुई उद्यमी है। )