25 मई की रात नाहल गांव की नियति बदलने वाली साबित हुई। नोएडा पुलिस की एक विशेष टीम, जिसमें कांस्टेबल सौरभ देशवाल भी शामिल थे, सादे कपड़ों में गांव में दाखिल हुई। उनका मिशन था कादिर नाम के एक खतरनाक हिस्ट्री शीटर को गिरफ्तार करना। कादिर, जिसके नाम पर हत्या, डकैती और गैंगवार से जुड़े कई गंभीर मामले दर्ज थे, गांव का ही रहने वाला था। पुलिस को खुफिया सूचना मिली थी कि वह अपने घर पर मौजूद है।
इतिहास खुद को दोहराता है: पुलिस के लिए नाहल का सबक
25 मई की घटना नाहल गांव में पुलिस पर हुए हमलों की पहली घटना नहीं थी। यहां पुलिस के लिए काम करना हमेशा से एक जोखिम भरा काम रहा है। पुलिस अभिलेख बताते हैं कि लगभग एक साल पहले भी, जब पुलिस की एक टीम गांव में किसी अपराधी को गिरफ्तार करने पहुंची थी, तब उस पर बदमाशों ने भारी हमला बोल दिया था। उस घटना में अपराधियों ने न सिर्फ पुलिस पर गोलियां चलाईं, बल्कि कुछ पुलिसकर्मियों को बंधक भी बना लिया था। हैरानी की बात यह थी कि उन बदमाशों ने पुलिसकर्मियों के हथियार और गोला-बारुद तक छीन लिया था। उस घटना ने पुलिस की तैयारियों और रणनीति पर बड़े सवाल खड़े किए थे।
इसके अलावा, पिछले आठ महीनों में मुजफ्फरनगर और गाजियाबाद पुलिस की संयुक्त टीमों ने नाहल गांव के खूंखार बदमाशों के खिलाफ कई सफल एनकाउंटर भी किए हैं। इन मुठभेड़ों में गांव के कई नामचीन अपराधी घायल हुए या मारे गए, जिनमें इश्तियाक, फैजान, शाहनवाज, बिलाल, शादाब, रशीद, अब्दुल सलाम, अब्दुल रहमान और नन्नू जैसे नाम शामिल हैं।
अब्दुल रहमान को हाल ही में एक मुठभेड़ के बाद गंभीर रूप से घायल अवस्था में गिरफ्तार किया गया और अस्पताल में भर्ती कराया गया। इन घटनाओं से साफ है कि नाहल में अपराधियों का एक सुनियोजित और सशस्त्र नेटवर्क काम कर रहा है जो पुलिस को चुनौती देने से बिल्कुल भी नहीं हिचकिचाता। दिल्ली एनसीआर के हृदय स्थल से महज 30 किलोमीटर दूर, गाजियाबाद जिले में बसा नाहल गांव आज अपराध के काले साये में डूबा हुआ है।
कभी शांत और मेहनतकश लोगों का यह घर आज हिस्ट्री शीटरों का गढ़ बन चुका है, जहां गलियों में बंदूकों की खटखटाहट और पुलिस की सायरनें ही आम आवाज़ें हैं। हाल ही में 25 और 26 मई की दरम्यानी रात हुई एक भीषण गोलीबारी, जिसमें नोएडा पुलिस के जवान कांस्टेबल सौरभ देशवाल शहीद हो गए, ने इस गांव को एक बार फिर राष्ट्रीय सुर्खियों में ला खड़ा किया है।
यह घटना न सिर्फ कानून-व्यवस्था पर एक काला धब्बा है, बल्कि एक ऐसी सामाजिक त्रासदी का प्रतीक है जहां पीढ़ियां अपराध के गर्त में समा रही हैं। यहां के बुजुर्ग आज भी उस पुराने नाहल को याद करते हैं जो खेतों की हरियाली और मेहनत की मिसाल था, लेकिन आज उसकी पहचान सिर्फ और सिर्फ बंदूकों, डकैतियों और हत्या के मामलों तक सिमट कर रह गई है।
अपराध का जन्मस्थान: नाहल के आंकड़े जो डराते हैं
नाहल गांव की कहानी उसके आंकड़ों से ही शुरू होती है, जो किसी भी सभ्य समाज के लिए सिर्फ डरावने ही नहीं, शर्मनाक भी हैं। लगभग 35,000 की आबादी वाले इस गांव में पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार 40 से अधिक पंजीकृत हिस्ट्री शीटर (जघन्य अपराधी) और 350 से अधिक सक्रिय अपराधी निवास करते हैं। यह आंकड़ा इस भयावह सच्चाई को उजागर करता है कि यहां लगभग हर दूसरे घर में कम से कम एक व्यक्ति ऐसा है जिसके नाम पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से कई तो ऐसे हैं जिनकी उम्र अब 70-80 वर्ष को पार कर चुकी है, लेकिन उनके नाम पर दर्ज हत्याओं, डकैतियों और लूटपाट के मामलों का खौफ आज भी इलाके में कायम है।