NDA का ‘नॉट डिपेंडेबल अलायंस’ (Not Dependable Alliance) यह शब्द इन दिनों बिहार की सियासत में गर्मी का कारण बने हुए हैं। आरजेडी नेता रोहिणी आचार्य ने 18 अप्रैल को एक पोस्ट के माध्यम से नीतीश कुमार पर करारा तंज कसा। हालांकि, उन्होंने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री का नाम नहीं लिया, लेकिन उनकी टिप्पणी से यह साफ़ हो गया कि उनका इशारा बिहार के मुख्यमंत्री की ओर था।
रोहिणी आचार्य ने अपने पोस्ट में लिखा,
“नॉट डिपेंडेबल अलायंस (NDA) की भी अजब दुश्वारी है, जिसका दिमागी स्क्रू ढीला हो चुका उसको ही आगे कर चुनावी दंगल में उतरने की लाचारी है।”
यह वाक्य सियासी मायने में गहरे तंज से भरा हुआ है। आरजेडी नेता ने बिना नाम लिए नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए यह आरोप लगाया कि उनका नेतृत्व अस्थिर हो चुका है, जिससे एनडीए की स्थिति कमजोर हो रही है।
इसके बाद रोहिणी आचार्य ने लिखा,
“मुंगेरी लाल के हसीन सपने देखने वालों की भीड़ वहां बड़ी भारी है। एक-दूसरे के पीठ में खंजर घोंपने के लिए मौके की तलाश जारी है।”
यह बयान किसी भी राजनैतिक आलोचक के लिए स्पष्ट संकेत था कि महागठबंधन, खासकर आरजेडी, एनडीए के अंदरूनी संघर्षों को उजागर करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। उनका यह आरोप है कि एनडीए के भीतर ही सत्ता की कुर्सी के लिए संघर्ष हो रहा है, और एक-दूसरे पर हमला बोलने का सिलसिला जारी है।
बिहार की राजनीति में यह मुद्दा नया नहीं है। कई बार ऐसा देखा गया है कि गठबंधन बदलने, नेताओं का पार्टी बदलना और पुराने गठबंधनों को तोड़ना आम बात बन चुकी है। ऐसे में रोहिणी आचार्य का यह बयान एनडीए की अस्थिरता को लेकर सवाल उठाता है।
महागठबंधन में लगातार यह कहा जा रहा है कि एनडीए चुनावी रणनीतियों के मामले में कमजोर साबित हो सकता है। रोहिणी आचार्य का यह बयान उस अस्थिरता को और भी अधिक उजागर करता है, जिसे बिहार की राजनीति में पिछले कुछ वर्षों से महसूस किया जा रहा है।
NDA की तरफ से इस पर कोई प्रतिक्रिया अभी तक सामने नहीं आई है, लेकिन यह स्पष्ट है कि रोहिणी आचार्य ने यह बयान देने के बाद बिहार के सियासी माहौल में उबाल ला दिया है।