पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के प्रमुख जीतनराम मांझी ने ताजपुर के मालपुर मैदान में आयोजित मिलन समारोह में अपनी ही सरकार को घेरा। उन्होंने साफ कहा, “हम जो कहते हैं, वो होता नहीं है,” और नीतीश सरकार की योजनाओं और कामकाज पर कई तीखे सवाल खड़े कर दिए।
बेटियों की पढ़ाई और सशक्तिकरण पर तंज
मांझी ने कहा कि सरकार नारी सशक्तिकरण की बात तो करती है, लेकिन हकीकत ये है कि गरीब बेटियों को न तो समय पर डिग्री मिलती है, न ही परीक्षा की डेट शीट। उन्होंने आरोप लगाया कि पैसे वाली लड़कियां सर्टिफिकेट खरीद लेती हैं, जबकि गरीब बेटियां पीछे रह जाती हैं।
पुल बनते हैं, लेकिन गिर जाते हैं
उन्होंने पुलों की खराब क्वालिटी पर भी सवाल उठाया। मांझी ने कहा, “सरकार पुल बनाती है, और दो महीने में गिर जाते हैं। सीमेंट घोटाले में 10 रुपये का सामान 1000 में खरीदा जा रहा है। जब काम में ईमानदारी नहीं होगी, तो ऐसे ही हाल होंगे।”
राजनीतिक ताकत के बिना बदलाव नामुमकिन
मांझी बोले, “हम बहुत कुछ करना चाहते हैं, लेकिन सरकार में दबाव के बिना कुछ नहीं होता। अगर हमें विधानसभा में ज्यादा सीटें मिलेंगी तो हम शिक्षा और वोकेशनल कोर्स में आरक्षण की बात को आगे बढ़ाएंगे।”
बेरोजगारी पर भी नाराजगी जताई
उन्होंने बेरोजगारी पर भी चिंता जताई और कहा, “डिग्री लेकर युवा बेरोजगार घूम रहे हैं। जब मैं मुख्यमंत्री था, तब ₹5000 भत्ता देने की योजना बनाई थी, लेकिन आज तक लागू नहीं हुई।”
कुछ बातों पर नीतीश की तारीफ भी की
हालांकि मांझी ने नीतीश कुमार की कुछ बातों की तारीफ भी की, जैसे बिजली और सड़क व्यवस्था में सुधार। कहा, “बिहार को आज 22 घंटे बिजली मिलती है, और सड़कें भी बेहतर हुई हैं, इसका श्रेय नीतीश को ही है।”