नया आधार कार्ड ऐप अब पहचान प्रक्रिया को उतना ही सरल बना देगा जितना कि एक यूपीआई पेमेंट करना। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में इस ऐप को लॉन्च किया है, जो अभी बीटा टेस्टिंग फेज में है। इस ऐप के जरिए अब किसी होटल में चेक-इन करते समय, यात्रा के दौरान या किसी दुकान पर पहचान देने के लिए आपको आधार कार्ड की फोटोकॉपी या फिजिकल कॉपी साथ ले जाने की कोई आवश्यकता नहीं होगी।
इस ऐप को यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) के सहयोग से विकसित किया गया है। इसमें फेस आईडी पहचान और त्वरित क्यूआर कोड सत्यापन जैसी उन्नत तकनीक शामिल हैं। इसका उद्देश्य पूरी पहचान प्रक्रिया को डिजिटल और यूज़र-कंट्रोल्ड बनाना है, ताकि कोई भी व्यक्ति केवल वही जानकारी साझा करे जो ज़रूरी हो।
केंद्रीय मंत्री ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि यह ऐप पूरी तरह से सिक्योर है और उपयोगकर्ता की सहमति के बिना किसी भी जानकारी को साझा नहीं किया जा सकता। जैसे यूपीआई पेमेंट के लिए हर दुकान या स्थान पर क्यूआर कोड होता है, वैसे ही अब ‘पॉइंट्स ऑफ ऑथेंटिकेशन’ पर आधार सत्यापन के लिए भी क्यूआर कोड उपलब्ध होंगे।
उपयोगकर्ता बस उस क्यूआर कोड को स्कैन करेंगे और उनका फेस तुरंत पहचान लिया जाएगा। इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की हार्ड कॉपी की जरूरत नहीं पड़ेगी। ऐप यूज़र को यह सुविधा देता है कि वह खुद तय करे कि कौन-सी जानकारी कब और किससे साझा की जाए।
इस ऐप का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह पूर्णतः डिजिटल और शेयरेबल है, लेकिन पूरी तरह से उपयोगकर्ता की अनुमति पर आधारित। इससे न केवल पहचान की प्रक्रिया तेज़ और सुरक्षित होगी, बल्कि फिजिकल डॉक्यूमेंट की आवश्यकता भी समाप्त हो जाएगी।
सरकार का यह कदम डिजिटल इंडिया मिशन को और मजबूती देने वाला है। इससे नागरिकों को न केवल सहूलियत मिलेगी, बल्कि डेटा प्राइवेसी और सिक्योरिटी के दृष्टिकोण से भी यह एक महत्वपूर्ण नवाचार साबित हो सकता है।
अब लोग अपने फोन से ही क्यूआर कोड स्कैन कर, केवल जरूरी जानकारी साझा करते हुए, तुरंत पहचान सत्यापन कर पाएंगे—बिना कोई फोटोकॉपी दिए, बिना किसी हार्ड कॉपी के झंझट के।