बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं और सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीति में जुट चुके हैं। इस बीच एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी शुक्रवार से दो दिवसीय बिहार दौरे पर पहुंच रहे हैं। बताया जा रहा है कि उनकी पार्टी करीब 50 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है, जिससे महागठबंधन की चिंता बढ़ गई है।
सीमांचल से शुरुआत, मिथिलांचल तक विस्तार
पार्टी प्रवक्ता आदिल हसन के अनुसार, सीमांचल क्षेत्र के किशनगंज में ओवैसी शुक्रवार शाम को पहुंचेंगे और रात्रि विश्राम के बाद शनिवार को बहादुरगंज में रैली को संबोधित करेंगे। इसके बाद वे दरभंगा और फिर मोतिहारी के ढाका में जनसभा करेंगे। रविवार को वे गोपालगंज में पार्टी नेताओं से मुलाकात कर गोरखपुर के लिए रवाना होंगे।
AIMIM का 2020 का प्रदर्शन और 2025 की चुनौती
2020 के विधानसभा चुनाव में AIMIM ने 18 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से 5 सीटों पर जीत मिली थी। हालांकि बाद में इनमें से चार विधायक आरजेडी में शामिल हो गए। फिर भी ओवैसी की पार्टी को सीमांचल क्षेत्र में मुस्लिम वोटों को विभाजित करने वाली ताकत के रूप में देखा गया।
मुस्लिम वोटों के बंटवारे से किसे होगा फायदा?
बिहार में मुस्लिम आबादी लगभग 17% है। अगर AIMIM इस बार 50 सीटों पर उतरती है तो इसका सीधा असर महागठबंधन के वोट बैंक पर पड़ सकता है, जिससे एनडीए को लाभ मिलने की संभावना है। खासकर किशनगंज, कटिहार, अररिया और पूर्णिया जैसे मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में AIMIM की उपस्थिति निर्णायक हो सकती है।