पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भारत को लेकर एक तीखा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि 1972 का शिमला समझौता अब कोई अहमियत नहीं रखता और इसे “मरा हुआ दस्तावेज़” बताया। उनके मुताबिक, पाकिस्तान अब कश्मीर को लेकर 1948 की स्थिति पर लौट आया है और एलओसी अब सिर्फ एक युद्धविराम की लाइन है, न कि कोई तय सीमा।
एक टीवी इंटरव्यू में आसिफ ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच अब कोई बातचीत की प्रक्रिया नहीं बची है। उन्होंने साफ कहा, अब ये मामला सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बीच नहीं रहेगा, इसे अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सुलझाया जाएगा।
उन्होंने ये भी जोड़ा कि जैसे सिंधु जल संधि पर सवाल उठाए जाते हैं, वैसे ही शिमला समझौते को भी अब खत्म मान लेना चाहिए।
पहले भी पाकिस्तान ने उठाया था सवाल
ये कोई नई बात नहीं है। जब 2019 में भारत ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया था, तब भी पाकिस्तान ने शिमला समझौते को रद्द करने की बात कही थी। पाकिस्तान लगातार कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता रहा है, जबकि भारत का रुख साफ रहा है कि ये उसका आंतरिक मामला है।
शिमला समझौता क्या था?
1971 की जंग के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच 1972 में शिमला समझौता हुआ था। इसमें तय किया गया था कि दोनों देश आपसी मसलों को बातचीत से हल करेंगे और किसी तीसरे पक्ष को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा।
पहलगाम हमला और बढ़ता तनाव
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में कुछ भारतीय टूरिस्ट मारे गए। भारत ने इसके पीछे पाकिस्तान के आतंकी संगठनों का हाथ बताया।
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
इस हमले के जवाब में भारत ने एलओसी के पार आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए, जिससे दोनों देशों के बीच हालात और ज्यादा तनावपूर्ण हो गए हैं।