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पाकिस्तान का विघटन: क्षेत्रीय और वैश्विक संकट की दस्तक

पाकिस्तान के विघटन से क्षेत्रीय अस्थिरता, परमाणु हथियारों का खतरा, चरमपंथ का उभार और मानवीय संकट गहराएगा, जिससे भारत और वैश्विक शांति पर गंभीर असर पड़ेगा।

दुनिया के नक्शे पर यदि कोई देश एक साथ परमाणु हथियार, राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक दिवालियापन और आतंकवाद का केंद्र हो, तो वह पाकिस्तान है। आज यह देश जितना अंदर से खोखला हो चुका है, उतना ही बाहर से खतरनाक दिखाई देता है। अगर पाकिस्तान का विघटन होता है; जो कि एक कल्पना नहीं, बल्कि एक वास्तविक संभावना बनती जा रही है, तो उसके प्रभाव केवल दक्षिण एशिया तक सीमित नहीं रहेंगे। यह एक वैश्विक संकट का रूप ले सकता है।

चलिए इस जटिल विषय को विभिन्न दृष्टिकोणों से समझते हैं।

क्षेत्रीय भू-राजनीति

अगर पाकिस्तान का विघटन होता है और उसके हिस्से पंजाब, बलूचिस्तान, सिंध, खैबर पख्तूनख्वा, गिलगित-बाल्टिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर (POK) के रूप में अलग-अलग इकाइयों में बदल जाते हैं, तो यह दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी भौगोलिक और राजनीतिक पुनर्संरचना होगी।

भारत के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि POK की वापसी हो सकती है। यह दशकों पुराने संघर्ष का पटाक्षेप होगा, लेकिन यह चीन को उकसा सकता है क्योंकि CPEC नामक महत्त्वाकांक्षी परियोजना इसी क्षेत्र से होकर गुजरती है। यदि यह गलियारा असुरक्षित हो जाता है, तो चीन की अरबों डॉलर की निवेश योजना ध्वस्त हो सकती है।

बलूचिस्तान और सिंध जैसे प्रदेशों की स्वतंत्रता की स्थिति में अमेरिका, चीन, रूस और खाड़ी देशों की नजरें इन क्षेत्रों के खनिज, ऊर्जा संसाधनों और बंदरगाहों (जैसे ग्वादर) पर टिक जाएँगी। ऐसे में ये प्रदेश शीत युद्ध (cold war) जैसे संघर्षों के केंद्र बन सकते हैं।

नए चरमपंथ का उभार: अफगान-पख्तून बेल्ट में खतरा

अगर पाकिस्तान का केंद्रीकृत शासन ताश के पत्तों की तरह बिखरता है, तो जिन इलाकों में सेना और सरकार का नियंत्रण पहले ही कमजोर है, वहाँ चरमपंथी ताकतें फौरन हावी हो सकती हैं।

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खैबर पख्तूनख्वा और उसके साथ सटा अफगान क्षेत्र पहले से ही तालिबान और अन्य आतंकी संगठनों की गतिविधियों का केंद्र रहा है। यदि यह इलाका स्वायत्त या अर्ध-स्वतंत्र होता है, तो यह चरमपंथ का नया अंतरराष्ट्रीय अड्डा बन सकता है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP), इस्लामिक स्टेट खुरासान (ISKP) और अल-कायदा जैसे संगठन वहां से न सिर्फ अफगानिस्तान, बल्कि मध्य एशिया, भारत और चीन तक अस्थिरता फैला सकते हैं।

इसका एक और गंभीर परिणाम यह हो सकता है कि पाकिस्तानी सेना के कुछ गुट या रिटायर्ड अधिकारी इन संगठनों से हाथ मिला लें, जिससे उन्हें हथियारों और रणनीति की विशेषज्ञता भी मिल जाएगी।

परमाणु संकट

पाकिस्तान के परमाणु हथियार अब तक एक संतुलन बनाए रखने का प्रतीक रहे हैं। लेकिन अगर राज्य ढहता है, तो यही हथियार सबसे बड़ा वैश्विक खतरा बन सकते हैं।

पाकिस्तान के पास लगभग 150 से 200 परमाणु हथियार होने का अनुमान है, जो विभिन्न सैन्य ठिकानों में फैले हुए हैं। यदि केंद्रीय नियंत्रण तंत्र खत्म हो जाता है, तो किसी चरमपंथी संगठन द्वारा इन हथियारों तक पहुँच बना लेना एक वास्तविक संभावना बन सकती है।

हालाँकि अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियाँ संभवतः त्वरित कार्रवाई करेंगी, लेकिन इतने व्यापक भूभाग में हथियारों को ट्रैक करना और सुरक्षित करना एक असंभव कार्य जैसा हो सकता है।

इसके अलावा, जिन वैज्ञानिकों और तकनीशियनों ने इन हथियारों को बनाया है, वे या तो बेरोजगार होंगे या फिर उग्र संगठनों के प्रभाव में आ सकते हैं। वे परमाणु तकनीक की जानकारी को बेच सकते हैं, जिससे ‘परमाणु प्रसार’ का खतरा बहुत बढ़ जाएगा।

मानवीय और प्रवासी संकट: सीमाएँ टूटेंगी, लोग बहेंगे

पाकिस्तान का विघटन केवल एक राजनीतिक घटना नहीं होगी, बल्कि यह एक गहरा मानवीय संकट भी होगा। विभिन्न जातीय, धार्मिक और भाषाई समुदायों के बीच दशकों की अनबन खुलकर सामने आएगी, जिससे बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे और पलायन होंगे।

भारत, ईरान और अफगानिस्तान की सीमाओं पर लाखों शरणार्थी पहुँच सकते हैं, जिनमें से कई अवैध रूप से भारत में प्रवेश करेंगे। भारत के सीमावर्ती राज्यों में पहले से ही सुरक्षा और संसाधनों की समस्या है। नए प्रवासियों से दबाव और तनाव बढ़ सकता है।

संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियाँ राहत कैंप तो बनाएँगी, लेकिन इतने बड़े स्तर पर राहत और पुनर्वास संभवतः अपर्याप्त होगा।

आर्थिक अस्थिरता: क्षेत्रीय निवेश और व्यापार पर असर

पाकिस्तान का आर्थिक ढांचा पहले ही डगमगाया हुआ है। यदि राज्य बिखरता है, तो इसकी वैश्विक आर्थिक प्रणाली पर व्यापक असर पड़ेगा।

पाकिस्तान के साथ व्यापार करने वाले देश, जैसे चीन और खाड़ी देश, अपने निवेश डूबने की आशंका से परेशान होंगे। CPEC जैसी परियोजनाएँ अनिश्चितता में फँस जाएँगी। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तेल, गैस और कच्चे माल की कीमतों में तेजी से उछाल आ सकता है।

भारत, बांग्लादेश और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों की मुद्राओं पर दबाव पड़ेगा। विदेशी निवेशक दक्षिण एशिया को अस्थिर क्षेत्र मानकर पूँजी वापस खींच सकते हैं, जिससे क्षेत्रीय विकास को बड़ा झटका लग सकता है।

भारत की दुविधा: अवसर के साथ जिम्मेदारी

भारत एक ऐसे पड़ोसी के रूप में सामने आ सकता है जिसे अपने दुश्मन की कमजोरी से लाभ हो सकता है, लेकिन यह लाभ अपने साथ बड़ी चुनौतियाँ भी लाएगा।

एक ओर भारत को पाक-अधिकृत कश्मीर वापस पाने का ऐतिहासिक अवसर मिल सकता है, वहीं दूसरी ओर उसे नए सीमांत इलाकों की सुरक्षा, लाखों शरणार्थियों की व्यवस्था, और कट्टरपंथी संगठनों से निपटना होगा।

साथ ही, बलूचिस्तान और सिंध जैसे संभावित नए राष्ट्रों से भारत के रिश्ते कैसे होंगे, यह एक बड़ा सवाल रहेगा। इन क्षेत्रों की राजनीतिक अस्थिरता भारत की पश्चिमी सीमा को एक नई सुरक्षा चुनौती बना सकती है।

भारत को चीन, अफगानिस्तान, ईरान और खाड़ी देशों के साथ अपने कूटनीतिक संतुलन को और अधिक सावधानीपूर्वक साधना होगा।

धीमी गति से बढ़ता वैश्विक संकट

पाकिस्तान का परमाणु भविष्य अब केवल क्षेत्रीय चिंता नहीं रहा, यह एक अंतरराष्ट्रीय संकट बन चुका है। यह संकट एक परमाणु युद्ध का नहीं, बल्कि परमाणु अराजकता का है, जहाँ हथियार नियंत्रण में नहीं रहते और तकनीक गलत हाथों में पहुँच जाती है।

दुनिया को पाकिस्तान के विघटन को लेकर नीतिगत स्तर पर तैयारी करनी चाहिए। इसमें निम्न कदम आवश्यक हैं:

  • पाकिस्तान की सरकार पर लोकतांत्रिक और संस्थागत स्थिरता के लिए दबाव।
  • परमाणु हथियारों पर अंतरराष्ट्रीय निगरानी बढ़ाना।
  • अफगान-पाक सीमा क्षेत्रों पर चरमपंथी गतिविधियों पर नजर।
  • मानवीय राहत और शरणार्थियों के लिए साझा अंतरराष्ट्रीय योजना।

क्योंकि अगर यह संकट फूटता है, तो इसका दायरा केवल सीमाओं तक सीमित नहीं रहेगा। यह विश्व शांति, सुरक्षा और मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बन सकता है।

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रीतु कुमारी OBC Awaaz की एक उत्साही लेखिका हैं, जिन्होंने अपनी पत्रकारिता की पढ़ाई बीजेएमसी (BJMC), JIMS इंजीनियरिंग मैनेजमेंट एंड टेक्निकल कैंपस ग्रेटर नोएडा से पूरी की है। वे समसामयिक समाचारों पर आधारित कहानियाँ और रिपोर्ट लिखने में विशेष रुचि रखती हैं। सामाजिक मुद्दों को आम लोगों की आवाज़ बनाकर प्रस्तुत करना उनका उद्देश्य है। लेखन के अलावा रीतु को फोटोग्राफी का शौक है, और वे एक अच्छी फोटोग्राफर बनने का सपना भी देखती है। रीतु अपने कैमरे के ज़रिए समाज के अनदेखे पहलुओं को उजागर करना चाहती है।

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