राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने मंगलवार को मल्लिकार्जुन खड़गे और तेजस्वी यादव के बीच हुई बैठक को एक सफल और मजबूत शुरुआत कहा। हाल ही में एनडीए से अपना नाता तोड़ चुके पारस अब अपनी राजनीतिक गंतव्य नए सिरे से निर्धारित करने में जुट गए हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि वे जल्द ही महागठबंधन का हिस्सा बन सकते हैं।
इंडिया गठबंधन के लोगों को बुलाया जाए
न्यूज़ एजेंसी से बातचीत में पारस ने कहा, “तेजस्वी यादव और मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच हुई बैठक काफी सफल रही। यह एक सकारात्मक पहल है। मेरी राय है कि इस महीने के अंत तक INDIA गठबंधन की एक बड़ी बैठक बुलानी चाहिए, जिसमें सभी घटक दल एक साझा योजना के तहत बिहार के 38 जिलों में जाकर जनता से सीधा संवाद करें।”
#WATCH | Patna, Bihar: Rashtriya Lok Janshakti Party chief Pashupati Kumar Paras says, "The meeting held between Tejashwi Yadav and Mallikarjun Kharge today was very successful. This is a good start… Our opinion is that by the end of this month, people of the INDIA alliance… pic.twitter.com/0Vpvl7KHED
— ANI (@ANI) April 15, 2025
पारस ने यह भी साझा किया कि उनकी पार्टी अगस्त तक राज्य भर में संगठन मजबूत करने और समर्थकों की समस्याओं का समाधान करने पर ध्यान केंद्रित करेगी। उन्होंने कहा, जोर देते हुए, “अगर एनडीए को हराना है, तो INDIA गठबंधन को और मजबूत करना होगा, और इसके लिए छोटी-छोटी पार्टियों को साथ लेना बेहद जरूरी है।” उन्होंने दावा किया कि “बिहार की जनता अब बदलाव चाहती है और खासकर दलित समाज एनडीए से बेहद नाराज़ है।”
से पहले मंगलवार को दिल्ली में तेजस्वी यादव, मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के बीच अहम बैठक हुई, जिसमें राजेश कुमार, बिहार कांग्रेस अध्यक्ष, प्रभारी कृष्णा अल्लावरु, आरजेडी सांसद मनोज झा और संजय यादव भी मौजूद थे। बैठक के बाद तेजस्वी ने कहा, “यह मुलाकात काफी सकारात्मक रही। हम सभी घटक दल मिलकर NDA को हराने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।” उन्होंने यह भी सूचित किया कि अगली बैठक पटना में होगी, जिस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।
महागठबंधन का हिस्सा बनने के लिए तैयार हैं पारस
पारस भी अब महागठबंधन में आ जाने के लिए तैयार हैं—उन्हें बस लालू यादव की हरी झंडी का इंतज़ार है। यदि वे आ जाते हैं, तो महागठबंधन और मज़बूत हो जाएगा, लेकिन सीट शेयरिंग पर दख़ल की समस्या भी बढ़ेगी। पारस पहले ही यह साफ कर चुके हैं कि यदि उन्हें गठबंधन में “सम्मानजनक भागीदारी” नहीं मिली, तो वे अकेले चुनाव लड़ने से भी पीछे नहीं हटेंगे।