प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी ऐतिहासिक साइप्रस यात्रा के दौरान मिडिल ईस्ट में चल रहे संघर्ष को लेकर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि आज मानवता के लिए सबसे जरूरी चीज है , शांति और स्थिरता, ताकि आम लोग सुकून और सुरक्षित माहौल में अपना जीवन बिता सकें। पीएम मोदी का यह बयान ऐसे समय आया है जब मिडिल ईस्ट में ईरान इजरायल के बीच युद्ध जैसे हालात बन गए हैं और पूरी दुनिया इस तनाव से चिंतित है। प्रधानमंत्री ने न सिर्फ क्षेत्रीय शांति की बात की, बल्कि भारत साइप्रस संबंधों को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाने का संकल्प दोहराया।
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा दो दशकों के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली साइप्रस यात्रा है। इस दौरे को दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संवाद, रणनीतिक साझेदारी और आर्थिक सहयोग के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है। पीएम मोदी ने साइप्रस के राष्ट्रपति और शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात कर रक्षा, व्यापार, संस्कृति, शिक्षा, विज्ञान, तकनीक, पर्यटन, स्वास्थ्य और डिजिटल कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत करने पर जोर दिया। दोनों देशों ने मिलकर एक ठोस रोडमैप तैयार करने की बात कही, जिससे आने वाले वर्षों में भारत-साइप्रस संबंध नई ऊंचाइयों को छू सकें।
शांति और स्थिरता की जरूरत
मिडिल ईस्ट में ईरान इजरायल के बीच लगातार बढ़ते तनाव, सीरिया लेबनान सीमा पर झड़पें, गाजा पट्टी में हिंसा और यमन में अस्थिरता ने पूरे क्षेत्र को असुरक्षा के माहौल में धकेल दिया है। पीएम मोदी ने कहा, मानवता को शांति और स्थिरता की जरूरत है। हमारा प्रयास होना चाहिए कि इस क्षेत्र में स्थिरता लाई जाए, ताकि आम लोगों का जीवन सुकून से बीते। उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत हमेशा क्षेत्रीय शांति, संवाद और कूटनीतिक समाधान का पक्षधर रहा है। भारत ने बार-बार मिडिल ईस्ट के सभी पक्षों से संयम बरतने, हिंसा से बचने और बातचीत के जरिए समाधान निकालने की अपील की है।
मजबूत रोडमैप और साझा लक्ष्य
प्रधानमंत्री मोदी ने साइप्रस के विजन 2035 और भारत के ‘विकसित भारत 2047 के बीच समानताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों देश अपने-अपने विकास लक्ष्यों को पाने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा, हम एक ठोस रोडमैप तैयार करेंगे, जो दोनों देशों के बीच सहयोग को और बढ़ाएगा। इस रोडमैप में रक्षा, समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, विज्ञान-तकनीक, डिजिटल इनोवेशन, ग्रीन एनर्जी, शिक्षा, स्टार्टअप्स, पर्यटन, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे क्षेत्रों में साझेदारी को प्राथमिकता दी जाएगी। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रक्षा सहयोग कार्यक्रम और समुद्री सुरक्षा संवाद को और मजबूत करने की बात भी हुई।
आतंकवाद के खिलाफ साझा लड़ाई और सुरक्षा सहयोग
प्रधानमंत्री मोदी ने साइप्रस को आतंकवाद के खिलाफ भारत के संघर्ष में निरंतर समर्थन देने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, हम साइप्रस के समर्थन के लिए आभारी हैं। आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई में उनका योगदान महत्वपूर्ण रहा है। भारत और साइप्रस ने ड्रग्स और नारकोटिक्स की तस्करी, साइबर अपराध, मानव तस्करी और संगठित अपराध के खिलाफ मिलकर लड़ने का संकल्प लिया। दोनों देशों के बीच रियल-टाइम सूचना विनिमय तंत्र विकसित करने की बात कही गई, जिससे सुरक्षा एजेंसियों को तेजी से जानकारी साझा करने और अपराध पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।
व्यापार, निवेश और आर्थिक साझेदारी को नई दिशा
प्रधानमंत्री मोदी ने यूरोपीय संघ-भारत फ्री ट्रेड समझौते को इस साल के अंत तक अंतिम रूप देने की बात कही, जिससे दोनों पक्षों को आर्थिक लाभ होगा। भारत-साइप्रस-ग्रीस बिजनेस काउंसिल की शुरुआत का भी स्वागत किया गया, जो आर्थिक और व्यावसायिक संबंधों को मजबूती देगी। पीएम मोदी ने कहा, यह काउंसिल दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश, स्टार्टअप्स, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन के क्षेत्र में नए अवसर खोलेगी। उन्होंने साइप्रस में योग और आयुर्वेद के विस्तार पर भी खुशी जताई और सांस्कृतिक संबंधों को और गहरा करने की बात कही।
शिक्षा, संस्कृति और लोगों के बीच संपर्क
प्रधानमंत्री ने भारत और साइप्रस के बीच शिक्षा, संस्कृति और लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने पर भी जोर दिया। उन्होंने साइप्रस में भारतीय छात्रों और पेशेवरों की बढ़ती संख्या का उल्लेख किया और कहा कि दोनों देशों के विश्वविद्यालयों, शोध संस्थानों और सांस्कृतिक संगठनों के बीच सहयोग को और बढ़ाया जाएगा। पीएम मोदी ने साइप्रस में योग, आयुर्वेद और भारतीय भाषाओं के प्रति बढ़ती रुचि का स्वागत किया और कहा कि इससे दोनों देशों के लोगों के बीच आपसी समझ और मित्रता और मजबूत होगी।
सीधी हवाई कनेक्टिविटी और रणनीतिक साझेदारी
प्रधानमंत्री ने भारत और साइप्रस के बीच सीधी हवाई कनेक्टिविटी पर जोर दिया, जिससे दोनों देशों के बीच आवाजाही आसान होगी और पर्यटन, व्यापार तथा शिक्षा के क्षेत्र में नए अवसर मिलेंगे। साथ ही, उन्होंने साइप्रस को यूरोपीय संघ में भारत का विश्वसनीय साझेदार बताया और कहा कि अगले साल साइप्रस यूरोपीय संघ की अध्यक्षता करेगा, जिससे द्विपक्षीय संबंध और मजबूत होंगे। पीएम मोदी ने साइप्रस के साथ मिलकर क्षेत्रीय और वैश्विक मंचों पर साझा हितों की रक्षा करने का भी संकल्प लिया।
भारत की वैश्विक भूमिका और शांति की दिशा में पहल
प्रधानमंत्री मोदी की साइप्रस यात्रा ने न सिर्फ द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा दी है, बल्कि मिडिल ईस्ट में शांति और स्थिरता की जरूरत को भी वैश्विक मंच पर मजबूती से उठाया है। भारत हमेशा से क्षेत्रीय शांति, संवाद और सहयोग का पक्षधर रहा है और आगे भी रहेगा। पीएम मोदी का संदेश साफ है , मानवता के लिए शांति और स्थिरता जरूरी है, और भारत हर मंच पर इसके लिए अपनी भूमिका निभाता रहेगा। भारत और साइप्रस मिलकर क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिससे आने वाले समय में दोनों देशों और पूरी मानवता को लाभ मिल सके।