दिल्ली के भागीदारी न्याय सम्मेलन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सबके सामने अपनी गलती कुबूल की। उन्होंने कहा, मैं पिछले 21 साल से राजनीति में हूँ। जमीन अधिग्रहण, मनरेगा, खाने का अधिकार जैसे कई मुद्दों पर काम किया है, लेकिन OBC की समस्याएँ समझने में मुझसे भूल हो गई।
OBC की समस्याएँ पहले नहीं समझ पाए
राहुल गांधी ने कहा कि उन्हें OBC यानी अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की परेशानियाँ पहले अच्छे से समझ नहीं आईं। उन्होंने बताया, 10-15 साल पहले मैं दलितों और आदिवासियों की तकलीफें समझ चुका था, लेकिन OBC की मुश्किलें छुपी रहीं। अगर मुझे आपकी दिक्कतें पहले पता चल जातीं, तो मैं तभी जाति-आधारित जनगणना करा देता।
मैं अपने काम के बारे में सोचता हूं कि मैंने कहां ठीक काम किया और कहां कमी रह गई, तो मुझे 2-3 बातें दिखती हैं।
— Congress (@INCIndia) July 25, 2025
⦁ जमीन अधिग्रहण बिल
⦁ मनरेगा
⦁ भोजन का अधिकार
⦁ ट्राइबल बिल
⦁ नियामगिरी की लड़ाई
ये सारे काम मैंने ठीक किए।
जहां तक आदिवासियों, दलितों, महिलाओं के मुद्दे हैं,… pic.twitter.com/wt3jPixvm9
OBC का दर्द छुपा हुआ रहता है
राहुल गांधी ने समझाया कि OBC समाज की समस्याएँ अक्सर दिखाई नहीं देतीं। उन्होंने कहा, यह मेरी गलती थी, लेकिन अब मैं इसे सुधारना चाहता हूँ। मुझे लगता है, अब इस मुद्दे पर काम करने का समय आ गया है, क्योंकि अब वक्त बदल रहा है।
हलवा आप बनाते हैं, खाते कोई और है
राहुल गांधी ने एक उदाहरण देते हुए कहा, जब सरकार बजट का हलवा बाँटती है, उसमें दलित, पिछड़े, आदिवासी और अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी बहुत कम होती है। जबकि ये लोग देश की 90% आबादी हैं। असल में, हलवा तो आप बनाते हैं लेकिन खाते कोई और हैं। हम बस यही चाहते हैं कि आपको भी बराबर का हक मिले।
मकसद: सम्मान और बराबरी की भागीदारी
राहुल गांधी ने साफ कर दिया कि जातिगत जनगणना सिर्फ पहला कदम है। उनका असली मकसद है कि OBC, दलित और आदिवासी समाज को पूरा सम्मान और बराबरी मिले और समाज में उनकी भागीदारी बढ़े।