रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गुरुवार को श्रीनगर के बादामी बाग कैंटोनमेंट पहुंचे, जहां उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में हिस्सा लेने वाले जवानों से मुलाकात की और उनके शौर्य को सलाम किया। उनके साथ इस मौके पर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी मौजूद रहे।
राजनाथ सिंह ने जवानों से हाथ मिलाया, उनके कंधे पर हाथ रखा और सीधे तौर पर उनके साहस की तारीफ की हैं। उन्होंने उन पाकिस्तानी गोले भी देखे जो हाल ही में सीमा पार से हुए हमलों में गिरे थे।
पहलगाम हमले के बाद जिस तरह कश्मीर की जनता ने आतंकवाद और पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा दिखाया, वही ताकत इस ऑपरेशन में भी नजर आई हैं।
आपने जिस हिम्मत और सटीकता से पाकिस्तानी चौकियों को तबाह किया है, वो दुश्मन कभी नहीं भूल पाएगा।
अपने भाषण के दौरान रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान की परमाणु धमकी पर भी सीधा सवाल उठाया।
क्या ऐसे गैर-जिम्मेदार और गुंडागर्दी करने वाले देश के पास परमाणु हथियार सुरक्षित हैं?
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की निगरानी अब IAEA को सौंप दी जानी चाहिए।
ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि
यह ऑपरेशन भारत ने 7 मई को शुरू किया था, जो कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी। जवाबी कार्रवाई में भारतीय सेना ने पाकिस्तान और POK में मौजूद आतंकी कैंपों को निशाना बनाया, जिसमें लश्कर, जैश और हिज्बुल के 100 से ज्यादा आतंकी ढेर हुए।
इसके बाद पाकिस्तान की तरफ से ड्रोन हमले और गोलाबारी शुरू हो गई, जिसका भारत ने मजबूती से जवाब दिया और पाकिस्तान के 11 अहम एयरबेस को नुकसान पहुंचाया।
10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम को लेकर एक अस्थायी सहमति बनी।
राजनाथ सिंह का दौरा ऐसे वक्त में हुआ है जब देशभर में सेना के ऑपरेशन और पाकिस्तान की गतिविधियों को लेकर माहौल गर्म है। लेकिन रक्षा मंत्री का संदेश साफ था, भारत अपने जवानों पर गर्व करता है और दुश्मन को जवाब देना अच्छी तरह जानता है।