बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सियासी हलचलें बढ़ गई हैं। इसी सिलसिले में RJD नेता तेजस्वी यादव 15 अप्रैल को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात करने जाएंगे। दोनों नेताओं की यह मुलाकात के बारे में अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। चर्चा है कि यह मुलाकात सिर्फ औपचारिक नहीं, बल्कि रणनीतिक भी हो सकती है।
इस बीच RJD सांसद मनोज झा ने इस मुलाकात को लेकर सफाई दी है। उनका कहना है कि यह एक औपचारिक बैठक है, लेकिन इसमें बिहार की राजनीति और महागठबंधन की स्थिति पर गंभीर चर्चा जरूर होगी। झा ने बताया कि कांग्रेस की सहयोगी पार्टियों में RJD सबसे पुरानी और भरोसेमंद साथी रही है, इसलिए इस बैठक में पूरा परिदृश्य सामने रखा जाएगा।
#WATCH दिल्ली: राजद नेता तेजस्वी यादव की कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात पर राजद सांसद मनोज झा ने कहा, "यह एक औपचारिक बैठक है। कांग्रेस पार्टी के सहयोगियों पर नजर डालें तो RJD अब तक की सबसे पुरानी सहयोगी रही है। इस औपचारिक बैठक में पूरे परिदृश्य पर चर्चा होगी। यह… pic.twitter.com/gJmrIgLFvB
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 14, 2025
सीट शेयरिंग और मुख्यमंत्री चेहरा हो सकते हैं एजेंडे में
राजनीतिक सूत्रों का मानना है कि तेजस्वी और खरगे की यह मुलाकात महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर हो सकती है। इसके अलावा यह भी निर्णय हो सकता है कि चुनाव में गठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन होगा।
कांग्रेस 70 से कम सीटों पर नहीं मानेगी
कांग्रेस ने पहले ही इशारा दे दिया है कि वह 70 से कम सीटों पर समझौता नहीं करेगी। पार्टी का कहना है कि उसने 2020 में भी 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था और इस बार भी उसका दावा वैसा ही रहेगा। इसके अलावा कांग्रेस चाहती है कि सीट बंटवारे का आधार लोकसभा चुनाव का प्रदर्शन हो।
वाम दल और वीआईपी भी दिखा रहे हैं दम
महागठबंधन में कांग्रेस ही नहीं, वाम दल भी 50 से 60 सीटें मांग रहे हैं। RJD ने खुद 180–190 सीटों पर चुनाव लड़ने का निश्चय कर लिया है। वीआईपी चीफ मुकेश सहनी भी 60 सीटों की दावेदारी कर रहे हैं।
गठबंधन में एकजुटता बनाए रखना बड़ी चुनौती
तेजस्वी यादव की ये बैठक ऐसे समय में हो रही है जब महागठबंधन के अधिकांश सदस्यों के भीतर सीटों और नेतृत्व को लेकर मतभेद उभरते दिखाई दे रहे हैं। इन परिस्थितियों में यह मीटिंग सिर्फ औपचारिक नहीं, बल्कि आने वाले चुनाव की नींव तय करने वाली साबित हो सकती है।
अब हर किसी की नज़र इस मुलाकात पर टिकी हुई है कि तेजस्वी और खरगे के बीच कुछ सहमति बनती है और महागठबंधन चुनावी मैदान में किस रूप में उतरता है।