रूस यूक्रेन युद्ध को लेकर एक बार फिर अमेरिकी राजनीति में हलचल तेज हो गई है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध रोकने की बातचीत में देरी को लेकर कड़ी नाराज़गी जताई है। उन्होंने कहा है कि अब तक की बातचीत बेनतीजा रही है और दोनों देश शांति समझौते की दिशा में गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं। ट्रंप का कहना है कि अगर दोनों पक्षों में से कोई भी पक्ष शांति प्रक्रिया में अड़चन डालता रहा तो अमेरिका इस बातचीत से हाथ खींच सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार रात एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “हम यहां लोगों की मौतों की बात कर रहे हैं। हम नहीं चाहते कि यह लड़ाई और लंबी चले। अगर किसी भी पक्ष ने इसे बेवजह कठिन बना दिया तो हम साफ-साफ कहेंगे – तुम मूर्ख हो, बेवकूफ हो, भयानक लोग हो – और हम इस प्रक्रिया को नजरअंदाज कर देंगे।”
अमेरिकी राष्ट्रपति की यह धमकी ऐसे समय आई है जब रूस ने यूक्रेन के खार्किव और सुमी शहरों में लगातार हमले तेज कर दिए हैं। शुक्रवार को हुए हमलों में दो लोगों की मौत हुई जबकि सौ से ज्यादा लोग घायल हो गए। 2022 से जारी इस युद्ध में अब तक हजारों लोगों की जान जा चुकी है और लाखों लोग बेघर हो चुके हैं।
ट्रंप ने कहा कि उन्हें उम्मीद नहीं है कि कुछ ही दिनों में युद्ध रुक जाएगा, लेकिन अमेरिका की प्राथमिकता यही है कि यह संघर्ष जितनी जल्दी खत्म हो सके उतना बेहतर है। उनका बयान अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की चेतावनी के कुछ घंटों बाद आया, जिसमें रुबियो ने कहा था कि अगर बातचीत में जल्द ठोस प्रगति नहीं होती है, तो अमेरिका इस पहल से हट सकता है।
रुबियो का कहना था, “हम इस कोशिश को कई हफ्तों और महीनों तक नहीं खींच सकते। अमेरिका के सामने और भी जरूरी मुद्दे हैं जिन पर फोकस करना ज़रूरी है।” इस बयान ने स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिका अब इस युद्ध को लेकर ज्यादा धैर्य नहीं दिखाने वाला।
रूस की तरफ से भी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कुछ शर्तों के साथ युद्धविराम की बात कही है, लेकिन यूक्रेन इन शर्तों को पूरी तरह मानने को तैयार नहीं दिख रहा है। कीव सरकार का मानना है कि किसी भी समझौते से पहले रूस को अपने कब्ज़े वाले इलाकों से पीछे हटना होगा, जबकि मास्को की मांगें इसके ठीक उलट हैं।
इस बीच ट्रंप प्रशासन की चिंता बढ़ती जा रही है। पहले उन्हें उम्मीद थी कि अमेरिका की मध्यस्थता से कोई समझौता जल्द हो जाएगा, लेकिन अब वाशिंगटन खुले तौर पर यह कह रहा है कि दोनों पक्ष ही समस्या का कारण हैं।
अब देखना यह होगा कि क्या ट्रंप की यह खुली धमकी दोनों पक्षों को समझौते की मेज़ पर लाने में कारगर साबित होगी या फिर युद्ध और लंबा खिंचता चला जाएगा।