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पाठशाला बंद, मधुशाला चालू: नई दिशा में जोगी सरकार

जोगी सरकार के शराब विस्तार मॉडल पर व्यंग्य, जहां शिक्षा खत्म कर हर गांव में मधुशाला खोलने की तैयारी है। अब नशा ही रोजगार, विकास और समरसता का नया मंत्र बन गया है।

उत्तर प्रदेश वाले भाइयों, खुश हो जाओ… ताली बजाओ! अब शाम की दवाई और भी सुगम हो जाएगी। प्रदेश के पंद्रह जिलों की धरती अब शराब की सुगंध से भर जाएगी।

जब से लथरेन ने यह खबर पढ़ी है, उसका करेजा और किडनी फूल के कुप्पा हो गए हैं। वह चार बार जोगी जी को धन्यवाद दे चुका है। थैंक्यू जोगी जी वाला पोस्टर छपने भेज चुका है। उसे यकीन है कि जोगी जी ऐसा दौर लाएंगे कि लघु-कुटीर उद्योग की तरह हर घर–हर मधुशाला की फैक्ट्री का लाइसेंस कराया जाएगा। क्योंकि वह जानते हैं कि मंदिर–मस्जिद बैर करातीं, प्रेम सिर्फ यही करा सकती है! बने रहो पीने वालों… क्या करोगे अब पाठशाला!

इसलिए तो जोगी जी पाठशाला को खत्म कर रहे हैं… और मधुशाला को बढ़ा रहे हैं। हमें तो यकीन है, जोगी सरकार पांच किलो राशन की तरह गरीबों के लिए हर महीने पांच क्वार्टर का भी इंतजाम कराएगी।

अब समझ में आया कि सरकार समरसता क्यों चाहती है। अरे भाई, जब सब नशे में होंगे तो कौन जात-पात पूछेगा! सब एक ही लाइन में होंगे ठेके पर, यही तो है असली एकता, असली विकास।

जल्द ही शिक्षा विभाग, आबकारी विभाग में समायोजन के लिए जोगी जी से अर्जी भेजवाएगा। मास्साब कह रहे हैं, पढ़ा-पढ़ाकर क्या मिला? अब तो नशा ही राष्ट्रधर्म है। पाठ्यक्रम में संशोधन की चर्चा है, भूगोल हटेगा, भांगोल पढ़ाया जाएगा। सामाजिक विज्ञान के स्थान पर मदिरा विज्ञान आएगा, और सबसे लोकप्रिय विषय होगा कौन सा ब्रांड, कौन सा स्वाद।

लथरेन तो इस योजना को ग्रामोद्योग क्रांति मान रहा है। कहता है, अब गांव-गांव में छोटे प्लांट लगेंगे। हर हाथ को बॉटल, हर होंठ को क्वार्टर मिलेगा। जो बेरोज़गार युवक पहले हाथ में बायोडाटा लेकर भटकते थे, अब वो ठेके पर चखना बेचेंगे। सबसे ज़्यादा चखना बेचने वाले को सरकार चखना वीर पुरस्कार से नवाजेगी।

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अब शराबी समाज को भी आत्मसम्मान मिलेगा। अब पियक्कड़ को निकम्मा नहीं समझा जाएगा, वह तो प्रदेश की GDP का पिलर होगा।

ख़ैर, जोगी जी को सलाम है। उनकी सोच दूरदर्शी है। जिस देश में हर समस्या का इलाज भूल जाना है, वहां शराब से बड़ा समाधान कोई नहीं। न रोजगार की चिंता, न महंगाई की झिक-झिक। सभी समस्याओं का एक ही हल बन जाएगा, अल्कोहल!

जय-जय जोगी सरकार!
हर घर मधुशाला, यही है अब का नारा।

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अनिल यादव एक वरिष्ठ पत्रकार हैं जो Anil Yadav Ayodhya के नाम से जाने जाते हैं। अनिल यादव की कलम सच्चाई की गहराई और साहस की ऊंचाई को छूती है। सामाजिक न्याय, राजनीति और ज्वलंत मुद्दों पर पैनी नज़र रखने वाले अनिल की रिपोर्टिंग हर खबर को जीवंत कर देती है। उनके लेख पढ़ने के लिए लगातार OBC Awaaz से जुड़े रहें, और ताज़ा अपडेट के लिए उन्हें एक्स (ट्विटर) पर भी फॉलो करें।

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