चेन्नई: बहुआयामी प्रतिभा के धनी, अभिनेता, कराटे मास्टर और तीरंदाजी प्रशिक्षक शिहान हुसैनी का 25 मार्च को चेन्नई में निधन हो गया। वे लंबे समय से ब्लड कैंसर से जूझ रहे थे। उनके परिवार ने सोशल मीडिया पर उनके निधन की पुष्टि की और बताया कि पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए उनके बेसेंट नगर स्थित निवास ‘हाई कमांड’ में रखा जाएगा, जिसके बाद अंतिम संस्कार मदुरै में होगा।
कला, खेल और अभिनय में बहुआयामी व्यक्तित्व
हुसैनी सिर्फ एक अभिनेता नहीं थे, बल्कि वे एक महान मार्शल आर्टिस्ट, मूर्तिकार और प्रशिक्षक भी थे। उन्होंने 1986 में कमल हासन की फिल्म ‘पुन्नगई मन्नन’ से अभिनय की दुनिया में कदम रखा और इसके बाद रजनीकांत की ‘वेलाइकरण’ और विजय की ‘बद्री’ जैसी सुपरहिट फिल्मों में दमदार भूमिकाएं निभाईं। ‘बद्री’ में उन्होंने एक कराटे कोच की भूमिका निभाई, जो उनके वास्तविक व्यक्तित्व के काफी करीब थी।
बीमारी के बावजूद संघर्ष जारी रखा
अपनी गंभीर बीमारी के बावजूद हुसैनी ने कभी हार नहीं मानी। वे सोशल मीडिया पर लगातार अपनी स्थिति की जानकारी देते रहे, जिससे उनके प्रशंसकों और शिष्यों को उनकी हालत का पता चलता रहा। उनके इलाज के लिए तमिलनाडु सरकार ने 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता भी दी थी।
मेडिकल रिसर्च के लिए किया शरीरदान
अपनी मृत्यु से कुछ दिन पहले ही उन्होंने अपने शरीर को मेडिकल रिसर्च के लिए दान करने की इच्छा जताई थी। यह उनकी शिक्षा और विज्ञान के प्रति अटूट निष्ठा को दर्शाता है।
शिष्यों और प्रशंसकों के लिए खास अपील
हुसैनी के निधन से उनके परिवार, शिष्यों और प्रशंसकों को गहरा आघात पहुंचा है। वे अपने पीछे पत्नी और बेटी को छोड़ गए हैं। उनके परिवार ने उनके अनुयायियों से अनुरोध किया है कि वे उनकी स्मृति में तीरंदाजी करें और कराटे की काताओं का प्रदर्शन करें, ताकि उनके जीवनभर के समर्पण और योगदान को उचित सम्मान दिया जा सके।
कला और खेल जगत में रहेगा अमिट योगदान
शिहान हुसैनी सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि अनुशासन, समर्पण और संघर्ष की मिसाल थे। उनका योगदान कला और खेल जगत में अमिट रहेगा।