भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने 25 जून 2025 को इतिहास रचते हुए एक्सिओम-4 (Axiom-4) मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए उड़ान भरी। यह मिशन नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट और ड्रैगन कैप्सूल Grace के जरिए लॉन्च हुआ। शुभांशु शुक्ला 41 साल बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बने, उनसे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत मिशन के तहत यह उपलब्धि हासिल की थी। लेकिन शुभांशु शुक्ला पहले भारतीय हैं जिन्होंने आईएसएस तक पहुंचकर भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक नया मील का पत्थर स्थापित किया।
28 घंटे की रोमांचक यात्रा और सफल डॉकिंग
लॉन्च के बाद ड्रैगन कैप्सूल ने लगभग 28 घंटे में पृथ्वी की कक्षा में 7.5 किमी/सेकंड की रफ्तार से यात्रा पूरी की। कैप्सूल ने कई सटीक इंजन बर्न्स और ऑर्बिट एडजस्टमेंट के बाद आईएसएस के हार्मनी मॉड्यूल के डॉकिंग पोर्ट के साथ खुद को संरेखित किया। 26 जून को शाम 4:01 बजे (IST) Grace ने आईएसएस से सफलतापूर्वक डॉकिंग की, यह प्रक्रिया पूरी तरह ऑटोमैटिक थी, जिसमें लेजर, थर्मल इमेजर और ऑनबोर्ड कंप्यूटरों की मदद से सटीकता से दो स्पेसक्राफ्ट को जोड़ा गया। डॉकिंग के बाद, सभी सुरक्षा और प्रेशर चेक पूरे होने के बाद शुभांशु और उनके साथी आईएसएस में दाखिल हुए, जहां उनका NASA के Expedition 73 क्रू ने स्वागत किया।
वैज्ञानिक प्रयोगों और भारत की नई अंतरिक्ष रणनीति
शुभांशु शुक्ला और उनके साथी 14 दिन तक आईएसएस पर माइक्रोग्रैविटी में करीब 60 वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन करेंगे, जिनमें सात भारतीय प्रयोग भी शामिल हैं। इन प्रयोगों में मसल्स रीजनरेशन, खाद्य सुरक्षा, माइक्रोएल्गी, स्पेस में बीजों की ग्रोथ, और इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले के साथ मानव इंटरैक्शन जैसे विषय शामिल हैं। ISRO और DBT (Department of Biotechnology) की साझेदारी से विकसित इन प्रयोगों का उद्देश्य भविष्य के दीर्घकालिक अंतरिक्ष अभियानों के लिए टिकाऊ जीवन समर्थन प्रणाली और खाद्य उत्पादन के नए रास्ते खोजना है। यह मिशन भारत के गगनयान मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम और 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने के दीर्घकालिक लक्ष्य के लिए भी महत्वपूर्ण अनुभव और डेटा जुटाएगा।
राष्ट्रीय और वैश्विक गर्व, भारत की नई पहचान
शुभांशु शुक्ला की उड़ान को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, केंद्रीय कैबिनेट और भारतीय वायुसेना ने गर्व और उत्साह के साथ बधाई दी। पीएम मोदी ने कहा कि शुभांशु शुक्ला 1.4 अरब भारतीयों की आकांक्षाएं और उम्मीदें लेकर गए हैं। राष्ट्रपति ने इसे ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना का उदाहरण बताया। इस मिशन ने भारत की वैश्विक अंतरिक्ष कूटनीति, विज्ञान-डिप्लोमेसी और तकनीकी नेतृत्व को नई ऊंचाई दी है। शुभांशु शुक्ला ने अपने पहले संदेश में कहा, हम 41 साल बाद अंतरिक्ष में लौटे हैं, यह एक शानदार राइड थी। मेरे कंधे पर तिरंगा है, मैं अकेला नहीं हूं, पूरा भारत मेरे साथ है।
शुभांशु शुक्ला की यह ऐतिहासिक उड़ान न सिर्फ भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षा का प्रतीक है, बल्कि यह देश की नई अंतरिक्ष नीति, वैश्विक सहयोग और तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। यह मिशन आने वाले वर्षों में भारत के मानव अंतरिक्ष अभियानों, अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों और विज्ञान में नेतृत्व को और मजबूत करेगा।