ऑपरेशन सिंदूर के बाद शुरू की गई तिरंगा यात्रा जितनी जोर-शोर से निकली थी, उतनी ही जोर-शोर से फुस्स हो चुकी है। लेकिन इस दौरान जो कुछ हुआ, वो और भी चिंता बढ़ाने वाला है।
मगर इस तिरंगा यात्रा में तमाम जगहों पर भीड़ द्वारा पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाए गए, भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी पर तमाम आपत्तिजनक बयानबाज़ी की गई, मगर इन घटनाओं के कारण एक भी गिरफ्तारी नहीं हुई।
अंतरराष्ट्रीय हिंदू महासंघ भारत के प्रदेश उपाध्यक्ष अर्जुन गिर्ज की यात्रा में शाहगंज, आगरा में “पाकिस्तान ज़िंदाबाद” के नारे लगाए गए। इसके लिए उन्होंने माफी भी मांगी। कांग्रेस द्वारा देशद्रोह का मुकदमा भी दर्ज कराया गया, मगर किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई।
कांकेर में भानुप्रतापपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत बांसकुंड में न सिर्फ तिरंगे का उल्टा फहराकर उसका अपमान किया गया, बल्कि पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे भी लगाए गए। हैरानी की बात ये है कि इस घटना में खुद पंचायत के निर्वाचित प्रतिनिधि, सरपंच सगनू राम उइके, उपसरपंच मनोज कुमार यादव और पंच शामिल थे। इसके बावजूद अब तक न कोई एफआईआर हुई, न किसी की गिरफ्तारी, जिससे साफ होता है कि जब आरोपी सत्ता या सिस्टम के करीब हों, तो कानून अक्सर खामोश हो जाता है।
कर्नल सोफिया कुरैशी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह को जबलपुर हाईकोर्ट और उच्चतम न्यायालय द्वारा दो-दो बार फटकार और एफआईआर के बावजूद उनकी गिरफ्तारी तो दूर, उनसे मंत्री पद से इस्तीफा तक नहीं लिया गया है।
जयपुर में विधायक बालमुकुंद आचार्य द्वारा भारतीय ध्वज तिरंगे से मुंह और नाक पोंछने का वीडियो सार्वजनिक होने के बावजूद उनके खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ।
इसी तरह, भाजपा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते पहलगाम के आतंकवादियों को “हमारे आतंकवादी” बताते हुए भाषणबाज़ी कर रहे थे, तो मध्यप्रदेश के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा भारतीय सेना और देश के सभी नागरिकों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चरणों में समर्पित बताते रहे।
वहीं, मध्यप्रदेश के मनगवां से भाजपा विधायक नरेंद्र प्रजापति तिरंगा यात्रा को संबोधित करते हुए बोले, भारत ने 1973 और 63 की लड़ाई लड़ी। उसमें पाकिस्तान को धूल चटाने का काम किया है। मैं तो ये बात कहता हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह जो कार्यक्रम आयोजित हो रहा है, पाकिस्तान समाप्त कर दिया जाता अगर कहीं यूनाइटेड नेशन के द्वारा सीजफायर का आदेश न आया होता।
मगर कहीं भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। इससे सिद्ध होता है कि भाजपा अपने लोगों को बचाती है, चाहे उनका अपराध कुछ भी हो।
और तमाम मुस्लिम फेसबुक यूज़र, जिनकी पोस्ट को 2-4 लोग भी नहीं पढ़ते, उनकी एक पोस्ट से देश की एकता और अखंडता खतरे में आ जाती है और उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है।
देश के कानून की सारी धाराएं सिर्फ प्रोफेसर अली ख़ान महमूदाबाद, शरजील इमाम, उमर खालिद और गुलफिशा फातिमा जैसे लोगों के लिए ही हैं।
इसे ही वर्तमान दौर में “कानून सबके लिए बराबर है” कहा जाता है, “कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं” कहा जाता है। मगर हकीकत यह है कि भाजपा और उसकी सरकार समर्थित व्यक्ति के ऐसे ही अपराध पर कानून का दूसरा हाथ बहुत छोटा हो जाता है।
भारत में पिछले 11 साल देश के मुसलमानों पर प्रशासनिक अत्याचार के साल रहे हैं और इसके खत्म होने की फिलहाल कोई उम्मीद नहीं है।
ऐसा इसलिए कि देश की विपक्षी पार्टियों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्हें बस अपनी राजनीति के नफ़ा-नुकसान और समीकरण से मतलब है। मुसलमान तो है ही उनका बंधुआ वोटर।
कई राज्यों में कांग्रेस की कोर ताकत मुसलमान वोटर हैं, लेकिन भगवाधारी वोटरों के खोने के डर से वो भी हर ज़ुल्म पर चुप्पी साधे हुए है। सत्ता की इस डर और अवसरवादिता में मुसलमानों के खिलाफ हो रहे अन्याय को कोई सुनने वाला नहीं बचा।
बस यही आज के भारत का यथार्थ है… आप तो बस देश के मुसलमानों का सब्र देखते जाईए…