पाकिस्तान द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों में बताया गया है कि ‘सिंदूर ऑपरेशन’ में 50–52 आतंकवादी मारे गए। वहीं, पाकिस्तान की कायराना गोलीबारी में भारत के 52 सैनिक शहीद हुए हैं, जिनमें पहलगाम और पुंछ के साथ-साथ सेना के 10 जवानों की शहादत भी शामिल है।
यह एक कड़वा सच है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन 52 शहीदों के परिजनों से अब तक एक बार भी मुलाक़ात नहीं की। लेकिन पहलगाम में जो आतंकवादियों ने किया, उसे यह लोग चुनावी फसल काटने के लिए हर जगह दोहराएंगे, दोहरा रहे हैं।
अब “घर-घर सिंदूर” भिजवाने का कार्यक्रम होने जा रहा है। सेना की वर्दी में प्रधानमंत्री के बड़े-बड़े कटआउट लगाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री रोड शो पर रोड शो कर रहे हैं, सैनिकों के परिजनों से अपने ऊपर फूल बरसवा रहे हैं। जो रोड शो पहलगाम या पुंछ में होना चाहिए, वह गुजरात और बिहार में हो रहा है। इसका मतलब साफ है कि कश्मीर में फिलहाल चुनाव नहीं हैं।
पहलगाम में 26 बहनें विधवा हो गईं, उनका सिंदूर उजड़ गया। बजाय इसके कि उन 3-4 आतंकवादियों को पकड़ा जाए, मारा जाए और सज़ा दी जाए, भाजपा अब उन विधवाओं के सिंदूर को लेकर राजनीति करने लगी है, घर-घर सिंदूर भिजवा रही है।
सवाल यह है कि इन 26 बहनों को सिंदूर कैसे भिजवाया जाएगा? सवाल यह भी है कि मनोहर लाल जैसे धाकड़ नेताओं से भरी पार्टी किसको और कैसे सिंदूर भिजवाएगी?
इधर, जो पार्टी मुसलमानों को एक भी टिकट नहीं देती, मंत्रीमंडल में एक भी मुस्लिम मंत्री नहीं बनाती, वही पार्टी विदेश में भारत का पक्ष रखने के लिए बनाए गए 51 सांसदों के डेलिगेशन में 11 मुस्लिम सांसदों को शामिल करती है, जो लगभग 20% हैं। सरकार द्वारा वर्षों से उपेक्षा के बावजूद ये 11 मुस्लिम सांसद पूरी दुनिया में भारत का पक्ष रख रहे हैं।
हालांकि जब ये भारत लौटेंगे, तो इन्हें देशद्रोही या पाकिस्तानी ही कहा जाएगा, क्योंकि जब कर्नल सोफिया को आतंकवादियों की बहन कहा जा सकता है, तो इन सांसदों को भी कुछ भी कहा जा सकता है।
उधर कर्नाटक में UPSC परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 31 लाकर IAS बनीं, राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत, कुलबर्गी की कलेक्टर फौजिया तरन्नुम को भाजपा विधायक एन. रवि कुमार ‘पाकिस्तानी’ कह रहे हैं।
छोटे-छोटे मुस्लिम बच्चों से मीडिया पाकिस्तान, मुसलमान और ग़ाज़ा पर सवाल पूछ रहा है, कि कहीं टोपी पहने इन बच्चों के मुंह से कुछ गलत निकल जाए तो दिखा सकें कि “मदरसे में यही सिखाया जाता है”…
नीति आयोग सुबह देश की अर्थव्यवस्था को दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बताता है, मीडिया डंका पीटती है, लेकिन शाम होते-होते वही नीति आयोग कहता है कि हम नवंबर–दिसंबर में उस रैंक पर होंगे। योजना आयोग का नाम बदलकर नीति आयोग रखने से यही फर्क पड़ा है…
बाकी सब ठीक है। सिंदूर ले लीजिए, मगर जब तक विवाह न हुआ हो, मत लगाइए। सिंदूर लेने खुद मत जाइएगा, विवाह हुआ हो, तो अपने पति को ही भेजिएगा। इन ‘धाकड़ों’ का क्या भरोसा!
और हां, उसे खाइएगा नहीं, न ही घोलकर नसों में डालिएगा। ज़हर होता है… पागल हो जाएंगे… एक को देख ही रहे होंगे।
बस, यही कहना था…