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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक कदम: अब सभी जज करेंगे अपनी संपत्ति सार्वजनिक

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सभी जजों की संपत्ति सार्वजनिक करने का निर्णय लिया है। यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध होगी, जिससे जनता का विश्वास और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका में पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना की अध्यक्षता में 1 अप्रैल को आयोजित फुल कोर्ट मीटिंग में यह निर्णय लिया गया कि अब से सभी जज अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करेंगे। इस पहल का उद्देश्य न्यायपालिका में विश्वास को और मजबूत करना है।

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर मिलेगी जानकारी

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि जजों की संपत्ति की जानकारी सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी। इससे जनता को यह जानने का अवसर मिलेगा कि न्यायपालिका के सदस्य अपनी वित्तीय स्थिति को लेकर कितने पारदर्शी हैं। यह कदम न्यायपालिका की जवाबदेही को बढ़ाने और किसी भी तरह की अटकलों को समाप्त करने के लिए उठाया गया है।

पारदर्शिता बढ़ाने के लिए लिया गया फैसला

एक रिपोर्ट के अनुसार, यह फैसला सुप्रीम कोर्ट में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है। इस निर्णय के पीछे एक बड़ी वजह हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास से भारी मात्रा में नकदी बरामद होने की घटना बताई जा रही है। इस मामले के बाद न्यायपालिका की ईमानदारी को लेकर सवाल उठने लगे थे, जिनका जवाब देने के लिए यह कदम उठाया गया है।

CJI को सौंपनी पड़ेगी संपत्ति की जानकारी

बैठक में पारित प्रस्ताव के अनुसार, सभी जजों को अपनी संपत्ति का विवरण भारत के मुख्य न्यायाधीश को सौंपना पड़ेगा, जो इस जानकारी को सार्वजनिक करने की पूरी प्रक्रिया की निगरानी करेंगे। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह विवरण किस प्रारूप में और कब तक सार्वजनिक किया जाएगा।

पहले क्या था नियम और अब क्या बदलेगा?

अब तक सुप्रीम कोर्ट के जज अपनी संपत्ति का ब्यौरा केवल मुख्य न्यायाधीश को सौंपते थे, लेकिन यह जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती थी। इस नए फैसले के तहत अब यह जानकारी जनता के लिए भी उपलब्ध होगी। इससे न केवल न्यायपालिका की पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि जनता का विश्वास भी और मजबूत होगा।

न्यायपालिका में पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम

इस फैसले के बाद न्यायपालिका में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर एक नया अध्याय शुरू होने की संभावना है। इस कदम से न्यायपालिका के प्रति आम जनता के भरोसे को और अधिक मजबूती मिलेगी। यह निर्णय भारत में न्यायिक सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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